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Lakshay Saini
राम —जैसा पुत्र नहीं सीता —जैसी नारी नहीं हनुमान —जैसा सेवक नहीं हरिश्चंद्र —जैसा राजा नहीं भरत— जैसा भाई नहीं शिवी —जैसा परोपकारी नहीं करण—जैसा दानी नहीं प्रहलाद —जैसा भक्त नहीं अनसूया— जैसी माता नहीं द्रोणाचार्य— जैसा गुरु नहीं हिंदू— जैसा धर्म नहीं हिंदी —जैसी भाषा नहीं भारत —जैसा देश नहीं गंगा —जैसी नदी नहीं ©Lakshay Saini #इनमें से हम क्या हैं
#इनमें से हम क्या हैं
read moreMy invisible love
कविताएं कितनी प्यारी होती हैं बिल्कुल उस बच्चे के खिलखिलाते चेहरे की तरह जिसमें ना कोई दोष, ना कोई रोश, ना ही किसी प्रकार का गुस्सा झलकता है बस इनमें प्यार प्यार प्यार होता है कविताएं कितनी प्यारी होती हैं इनके हर छंद में, हर शब्द में, जिंदगी का राग होता है जिंदगी कैसी हो सकती है कैसी है का स्वाद होता है कविताएं कितनी प्यारी होती है शब्द के छल्लो को जोड़कर बनी होती है कभी सुबह, कभी शाम, तो कोई-कोई रात को लिखी होती है कविताएं कितनी प्यारी होती है कोई इनमें अपने किस्से, तो कोई कहानियां बतलाता है कोई जीवन के अच्छे तो कोई, बुरे पल गुनगुनाता है कविताएं है कितनी प्यारी !! #NojotoQuote #shamesukhan #myinvisiblelove #hindi
#shamesukhan #myinvisiblelove #Hindi
read moreMd Adnan Rabbani
ना समझें खुली किताब कई राज है इनमें। चिख़ - व - पुकारे दिल की दबी आवाज है इनमें। #Adnan #Rabbani's #Shayari • ना #समझें #खुली #किताब कई राज है इनमें। चिख़ - व - #पुकारे दिल की दबी आवाज है इनमें। #Nojoto #love #sad
Adnan Rabbani's Shayari • ना समझें खुली किताब कई राज है इनमें। चिख़ - व - पुकारे दिल की दबी आवाज है इनमें। love sad
read moreSheetal Agrahari ☑
तेरी आँखों से ही, मेरे इश्क की शुरुआत हुई थी हम तो डूब ही गये थे इनमें होश तो तब आया जब इनमें हजारों तैरते मिले "Sheetal Agrahari " #aankhe#love#pain
Pankaj JI
तेरी आँखों से ही, तेरी आंखो से ही शुरू हुआ ये सब, खत्म भी, इनमें ही हो, मेरी हिस्से की मोहब्बत को इज़ात दे, गुस्ताख़ी हो, तो सजा दे, एक ही ख्वाहिश है, पूरी कर जो तेरी आंखो से शुरू हुआ ये सब, खत्म भी इनमें ही हो।
raanjha
#OpenPoetry हवाओं में है कुछ नशा सा छाया ,, मौसम इसमे बदनाम ना हो बारीश में बैठ के रोया हूँ मैं आँशु इनमें गुमनाम ना हो ।। बूंदो में उतर कर अश्कों के मेरे कितने जज़्बात बहे जो बरसों से थे मेरे शंग वो भी गम उनके साथ बहे कल खुद में raj था खोया खोया अब वैसी फिर से शाम ना हो बारीश में बैठ के रोया हूँ मैं आँशु इनमें गुमनाम ना हो ।। #OpenPoetry
Shilpa ek Shaayaraa
अल्फाज़ हैं मगर, अल्फा़ज अब भी वही है मगर,, इनमें जज्बात हमारे अब नजर नही आते.. आईने में शक्ल तो अपनी ही दिखती है अब भी,, मगर इनमें हुनर शिल्पा के,, अब नजर नही आते.. मतलब परस्त दुनिया का अब,, हम भी एक हिस्सा है शायद.. तभी तो अब हमे हमारे ही बनाये,, उसुल-ओ-कायदे नजर नही आते.. #Shilpa #LostSelfEsteem #Itsnotme #FeelingLooser #Hatethisfeeling #ShilpaSalve358
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 11 - वीरता का लोभ शरद् की सुहावनी ऋतु है। दो दिन से वर्षा नहीं हुई है। पृथ्वी गीली नहीं है; परंतु उसमें नमी है। आकाश में श्वेत कपोतों के समान मेघशिशु वायु के वाहनों पर बैठे दौड़-धूप का खेल खेल रहे हैं। सुनहली धूप उन्हें बार-बार प्रोत्साहित कर जाती है। पृथ्वी ने रंग-बिरंगे पुष्पों से अंकित नीली साड़ी पहन रखी है। पतिंगे के झुण्ड दरारों में से निकल कर आकाश में फैलते जा रहे हैं। आमोद और उत्साह के पीछे मृत्यु के काले भयानक हाथ भी छिपे हैं, इसका
read moreѕнoвнa ranι cнaυdнary
तुम होते तो जिन्दगी को एक नाम मिलता, यूँ मतलब विहिन न होती ये...! मेरे होने का मुझे इक एहसास होता इक सुकून हर पल मेरे आस पास होता...! यूँ तो हँसी रहती है लवों पर अक्सर मेरे पर तुम होते तो वो हँसी और भी हसीन होती..! रंगिनियाँ बेशक सजी रहती जिन्दगी में पर शायद तब रंगिनीयों में भी इक आभा होती..! फूल और चमन से तो सजी ही है जिन्दगी पर तुम होते तो शायद इनमें खुशबू भी होती...!! यूँ बेचैन न होते मेरे दिन और रैन करार तो होता इस दिल को .. आँखों में अश्क न होते शायद मेरे इनमें होता इन्तजार तुम्हारा ख्वाब तुम्हारे दर्द मेरे दिल को न मिलता इश्क के तोहफे में खुशियाँ सारे जहाँ की समेट लेती मैं आँचल में...! #nojoto #nojotohindi #bechain #tum #zindagi
nojoto #nojotohindi #bechain #tum #Zindagi
read moreराजन गोत्रा ( समर )
हुस्न में अब भी वो नज़ाकत है इश्क में अब भी वो ही आफत है ईंट दर ईंट जिसको बांधा था ख्वाबों की धुंधली सी इमारत है तेरे जलवों को देखकर जाना खून में अब भी वो हरारत है बस करो मूंद भी लो अब पलकें इनमें अब भी वो ही शरारत है तुम मेरे दिल की धड़कने सुन लो इनमें अब भी वो ही बगावत है यूँ न माथे पे ये शिकन लाओ क्या तुम्हें मुझसे कुछ शिकायत है अब तुम्हें मैं गज़ल पुकारूँगा तू समर की लिखी इबारत है