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Ashok Mangal

लगातार बढ़ रहे हैं देशभर में बलात्कार !
पांच से पचासी साल तक हो रहे इसके शिकार !!

संसार से बिदा हो गये सारे संस्कार !
पाश्चात्य अनुकरण से उजड़ रहे घर परिवार !!

हर बुरी आदतों में देश को धकेला जा रहा !
जुए के विज्ञापनों में हर नामचीन नजर आ रहा !!

दारू गुटका छोड़, ड्रग्स प्रचलन पांव पसार रहा !
सीधे जुए से बचे हुओं को क्रिकेट सट्टे में लाया जा रहा !!

एटीएम लूटे जा रहे, वाहन तोड़े जा रहे !
बेरोजगारी के परिणाम उभर के आ रहे !!

खून कच्ची उमर वालों से करा रहे !
तरुणाई के सहारे 3 साल जुवेनाइल में गुजरवा रहे !!

छुड़ाने के बाद अपराध जगत में पैर जमा रहे !
काले कारनामों से जल्द से सफ़ेद पोश नेता बन जा रहे !! 

इसी चक्रव्यूह में फंस आज़ादी कसमसा रही !
जनता गुलामी से बदतर जीवन को मजबूर नजर आ रही !!

युवाओं से उम्मीदों पर मोबाइल पानी फ़ेर रहा !
सड़कों पर भी युवा मोबाइल ही देख रहा !!

आगे पीछे देखने भर को नहीं राजी !
रूह तक लहू-लुहान बलिदानी जिन्होंने अनमोल जान लगादी !!

आवेश हिंदुस्तानी 29.09.2024

©Ashok Mangal #AaveshVaani #JanMannKiBaat

Ashok Mangal

सासुओं ने बहुओं पे सालों साल ज़ुल्म ढ़ाया,
सास ने ख़ुद सहे जुल्मों के बदले बहू को सताया !
अशिक्षित को गुलाम व अर्द्धशिक्षित को नौकरानी,
कामकाजी पे भी बचे समय में घर काम का बोझा ढ़ाया !!

परिणामस्वरूप बहुओं ने बाज़ी पलट दी अब,
उच्चशिक्षा ग्रहण करने की कोशिशें कर रही सब !
पुरुषों से आगे निकलने की लगी है होड़,
जड़ मूल से मिटा रही जुल्मों सितम का सबब !!

जिन सासुओं परिस्थितियों से किया नहीं समझौता,
पुत्र का तलाक़ हुआ या खुद हुई वृद्धाश्रम को बिदा !
शादियाँ भी खानापूर्ति बन कर रह गई,
युवतियां शादी के नाम से ही होती घरवालों से ख़फ़ा !!

शादी सभ्य स्वस्थ सुदृढ़ समाज की है नींव,
शादी से ही सम्भव है धरती पर इंसानी जीव !
लालन-पालन से संस्कारों का संचार होता,
आज का विकृत समाज इस मुद्दे पे नहीं संजीद !!

समाज़ के सभ्य संपन्न निस्वार्थी वर्ग ने एकजुट होना है,
इस परिस्थिति से बाहर निकलने का पर्याय खोजना है !
तभी सिर्फ़ तभी हमें संस्कारी समाज के दर्शन सम्भव, 
जब तक न सुधरे परिस्थितियां, चैन से नहीं बैठना है !!

- आवेश हिंदुस्तानी 29.09.2024

©Ashok Mangal #AaveshVaani 
#JanMannKiBaat

Ashok Mangal

White नदियों में गंदे नाले छोड़कर कर रहे प्रदुषित !
सफाई के नाम, जनकोष उड़ाने में सारा ध्यान है लक्षित !!

सड़क सतह लगातार बढ़ा, घरों दुकानों में मैला पानी घुसा रहे !
सड़कों की गुणवत्ता कमजोर रख, खड्ड़े बढ़ाते जा रहे !!

घूसखोरी और राजनीति से अवैध निर्माण बढ़ा रहे !
जब फिर लगी भूख, तो कानून आड़ ले फिर से धन उगाह रहे !! 

नेताओं में अक्ल और जनहित नीयत की है कमी !
जो भी अक्ल है उसमें उगाही की सोच ही सर्वोपरी !!

अधिकारियों में अक्ल की नहीं है कमी !
बदली हो जाने के डर से उन्हें करनी पड़ती इनकी गुलामी !!

परिणामत: जनकोष जनहित बजाय स्वहित में हो रहा स्वाहा !
नेताओं की बिनबात पत्तलकारों द्वारा जारी रहती वाह वाह !!

- आवेश हिंदुस्तानी  27.09.2024

©Ashok Mangal #Hope 
#AaveshVaani 
#JanMannKiBaat

Ashok Mangal

White  कारों पर कार कंपनी से कई गुना ज्यादा सरकार कमाती है !
इसीलिए फुटपाथों पे धड़ल्ले से कारें पार्क की जाती हैं !! 

फुटपाथों पे टपरियां छुटभैये नेताओं की मौज कराती है !
जनता को सुरक्षित चल सकने की जगह ही न मिल पाती है !!

देश की युवा पीढ़ी जुए सट्टे नशे पत्ते में धकेली जा रही !
धन जुटाने के लिये अपराध की ओर बढ़ती नजर आ रही !!

नेताओं से साठगांठ इनके हौ हौंसले चौगुने बढ़ा रही है !
संस्कारी सुशिक्षित युवाओं को बेरोजगारी सता रही है !!

क्रिकेट और मोबाइल की लत समय खा रही है !
अनचाहे फोनों की आफ़त कार्य समय पे जुल्म ढ़ा रही है !!

सरकारों को जनहित से सरोकार नहीं !
पत्रकार भी अब जनहित के पैरोकार नहीं !!

महंगी न्यायपालिका आम बूते से बाहर है !
न्याय प्रक्रिया अब सजे बाजार सा कारोबार है !!

समय पर चुनावों का न करा पाना शर्मनाक है !
आज़ादी नाम की, गुलामी से बदतर हालात है !!

बुद्धिजीवियों को सलाखों में डाल डरा रक्खा है !
आज़ादी में अग्रजों ने अंग्रेजों से ज्यादा उधम मचा रक्खा है !!

एकजुटता से खड़ी हो पाये गर सारी युवा पीढ़ी !
तभी सम्भव है चढ़ पाना आज़ादी की मंजिल की सीढ़ी !!

-आवेश हिंदुस्तानी 24.09.2024

©Ashok Mangal #sad_quotes 
#AaveshVaani 
#JanMannKiBaat

Ashok Mangal

White तानाशाह समझ रहा जन अब उसके साथ नहीं !
ऐसे में सुधरे बिना सत्ता टिकने के आसार नहीं !!

छुट पुट छूट दे देकर बहलाने की कोशिशें जारी है !
छोटी मोटी बीमारी नहीं, जन को गंभीर बीमारी है !!

जुए के विज्ञापनों को अविलंब बंद करे तानाशाह !
वरना रह न सकेगा तनके अब सत्ता में तानाशाह !!

जुए में बरबाद युवा, अपराध में लिप्त होना ही है !
घर घर जन जन की आंखों को इसने भिगोना ही है !!

नशे के बाजार भी सत्ता संज्ञान, संरक्षण में फल फूल रहे !
इक्का दुक्का इनसे हटके कर ले, उसको ही ये पकड़ रहे !!

नैतिकता की होली हो रही फूहड़ फिल्मों व सीरियलों से !
खुलेआम अश्लीलता पसर रही प्रसारित कई विज्ञापनों से !!

पढ़ाई हेतु तरुणाई को बड़े शहरों में अकेले रखना आम है !
पब प्रचलन सिगरेट चलन अब लड़कियों में भी आम है !!

शादी होती नहीं समय पर, हुई तो भी अक्सर टिकती नहीं !
समाज की लापरवाही से ये समस्या कदापि हल होनी नहीं !!

एकल परिवार अक्सर एक दूजे से निभा न पाते !
बात बिन बात लड़ झगड़ कर तलाक़ की ओर बढ़ जाते !!

स्वार्थसनी मानसिकता परिवार संस्कार भुला रही !
बच्चों में मां बाप प्रति आदर सम्मान रहा नहीं !!

उम्रदराज बनी जोड़ियां प्रजनन में                                               अमूमन असफल है !
कईयों के मन में तो बच्चे                                                           पैदा ही न करने ललक है !!

समाज की सुदृढ़ता जग                                                            संचलन के लिए है जरूरी !
कुंभकरण अनुसरण करते                                                  बुद्धिजीवियों में भरी है मगरूरी !!

हे राम...हे कृष्ण...                                                               असंभव दीखे जनहित जश्न..

                                                                                       - आवेश हिन्दुस्तानी 26.8.24

©Ashok Mangal #Krishna 
#AaveshVaani 
#JanMannKiBaat 
#janmashtami

Ashok Mangal

अधिकांश देशवासियों को महंगाई बेरोजगारी सता रही है !
जो इससे बच पाये हैं उनके समय की बरबादी की जा रही है !!

अनचाहे फोन दिन भर सताते हैं !
चैन से दो मिनट भी हम जी नहीं पाते हैं !! 

साइबर क्राइम का खतरा भी मंडरा रहा है !
बैंक वाला भी फोन करने से बाज नहीं आ रहा है !!

कानूनी बदलाव यू ट्यूब पर दिन रात आते हैं !
यू ट्यूब शीर्षक मजकूर से मेल ही नहीं खाते हैं !!

केवाईसी बार बार लिया जाता है !
डाटा लीक करके बेच दिया जाता है !!

जब कभी ये साइबर क्रिमिनल के हाथ लग जाता है !
वो फोन पे लीक डाटा के सहारे विश्वास जुटा, ठगता जाता है !!

साइबर क्रिमिनल को हजारों सिम बेचे जाते हैं !
सच्चे ग्राहकों से फोन वाले बार बार केवाईसी जुटाते है !!

कुत्तों के काटने की लाखों घटनाओं का आंकड़ा न थमता है !
सड़क पे छोड़ो, सोसाइटी में चहलकदमी में भी डर लगता है !!

कैंसर कारक पदार्थ धड्डले से बेचे जा रहे है !
जानलेवा बीमारी में हम अपने अजीजों को गंवा रहे हैं !!

पदपथ अतिक्रमित है हफ्तों की वसूली के कारण !
बाज़ार पैदल जाने में भी समय व्यर्थ होता है इसी कारण !!

गाड़ी से जायें तो ट्रैफिक जाम समय खाता है !
इन सभी कारणों से तनाव बढ़ता जाता है !!

सारांश ये है कि हम काम करने की शक्ति घटा रहे हैं !!
अस्सी करोड़ को थमाया, और बीस तीस करोड़ को थमाना चाह रहे हैं !!

आजादी हाथ में कटोरे के लिए नहीं जुटाई गई है !
बलिदानियों के खून से सिंची आजादी स्वाभिमान के लिए पाई है !!

नई पीढ़ी मोबाइल जुए सट्टे नशे पत्ते अपराध से बच नहीं पा रही !
पुरानी पीढ़ी की हिम्मत जवाब दिए जा रही !!

राजनेताओं का जन ज्वलंत प्रश्नों से सरोकार ही नहीं !
देश का भविष्य चक्रव्यूह में न फंसे, ऐसी मंशावाली कोई सरकार नहीं !!
आवेश हिन्दुस्तानी 03.08.2024

©Ashok Mangal #Freedom 
#leaders 
#AaveshVaani 
#JanMannKiBaat

Ashok Mangal

आज का युग और बुजुर्ग

बुजुर्गो की अनदेखी आज ज्वलंत समस्या है !
जाने अनजाने में ये बहुतांश घरों में घड़ता है !!

नई पीढ़ी भी आज के बढ़ते तनाव में जी रही है !
बुजुर्गों से सीख लेने की मानसिकता ही नहीं है !!

तजुर्बा दुनियां के है हर ज्ञान विज्ञान से ऊपर है !
कंप्यूटर ज्ञान में नई पीढ़ी बुजुर्गों से ऊपर है !!

बुजुर्गों को ये मानने में ज़रा भी परहेज नहीं है !
मगर नई पीढ़ी तजुर्बे को तरजीह ही न दे रही है !!

तजुर्बे से महरूम युवाओं का तनाव बढ़ता है !
बुजुर्ग आखिर वृद्धाश्रम की ओर चल पड़ता है !!

बुजुर्ग को कमाने की लालसा नहीं है !
इसी लालसा में सारी जिंदगी जी ही ली है !!

अब उम्र के इस पड़ाव पर है सुकून की ही लालसा !
आदर भरा वार्तालाप सुकून की बारिश कर सकता !!

युवा पीढ़ी अनादर करने में कोई कसर न छोड़ती !
यहीं से एकल परिवार की नींव घर घर में पड़ती !!

एकल परिवार तनाव कम करने ऐवजी बढ़ाता है !
अफ़सोस युवा इत्ती सी बात समझ नहीं पाता है !!

अग्रजों ने भी युवाओं को बिगाड़ने के आयाम रचे है !
तनाव में वो ज्यादा है जो बिगड़ने से बचे हैं !!

अग्रजों को ईमान की कदर नहीं है !
क्योंकि उनमें अधिकतर चोर उच्चके ही है !!

संभवत: कलयुग के अंतिम दौर में ही पहुंच रही है ये दुनिया !
सदियों में बनी प्रलय प्रकोप से पलों में विध्वंस्त हो सकती दुनिया !!

- आवेश हिन्दुस्तानी 02.08.2024

©Ashok Mangal #AaveshVaani 
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#oldage 
#youth

Ashok Mangal

स्वच्छ सात्विक शुद्ध  व समय से भोजन !, 
आदतों में परिवर्तन, बीमारियों से दूर रोगमुक्त जीवन !!

1. गेहूं का आटा, सफेद नमक, सफेद शक्कर, 
रिफाइन तेल, प्रेशर कूकर 
के बदले ज्वार बाजरे नाचनी का आटा, 
सेंधा नमक, गुड, घाणी तेल तिल नारियल सरसों राई 
( सूर्यमुखी सोयाबीन छोड़कर), माटी की हांडी में पकाएं ।

2. नाभि में रोज रात दो बूंद नारियल तेल, 
नासिका और बीसों नाखूनों पर लगाओ।

3. प्लास्टिक हटाओ- खाने की वस्तुएं लाने, 
रखने और खाने के बर्तनों से, 
इनके बजाय स्टेनलेस स्टील या कांच इस्तेमाल करें ।

4. खाना सुबह 8 से शाम 6 तक ही खाएं, 
रात को 14 घंटे उसे पचाने के लिए रहे ।

5. सुबह जल्दी उठें, स्नान करके प्रभु का ध्यान करें, 
अनमोल जीवन तनाव मुक्त बनाएं, 
जीवन का असली आनन्द पाएं ।

- आवेश हिंदुस्तानी 30.07.2024

©Ashok Mangal #NatureLove 
#AaveshVaani 
#JanMannKiBaat

Ashok Mangal

जनता की औकात नहीं है,
सिर्फ ईवीएम ही घात नहीं है !
राजनीति इस क़दर गई गुजरी,
दाम दंड भेद की भेंट चढ़ी है !!

जन गर चहीते को सत्ता दे दे,
सत्ता उसे सलाखों में भेज दे !
अदालत से छूटे भी तो,
दूजे पैंतरे से फिर सलाखों में !!

विपक्ष नेता ही असल जनता है,
बिन विपक्ष लोकतंत्र नहीं चलता है !
तानाशाही का ये आलम, 
जनहित को दिनरात ठगता है !!

जनता जो कर सकती करती है,
नेताओं में ही कमी रही है !
एकजुटता को ठेस लगाते,
जनहित की होली जलाते !!

रोज़ी रोटी के हैं लाले,
हर सुकून पे डाका डाले 
दूषित नदियां प्रदूषित हवा,
अनचाहे फोन समय बिगाड़े !!

सट्टा जुआ नशा पत्ता अपराध की जड़,
नई पीढ़ी का भविष्य ही रहा उजड़ !
बुद्धिजीवियों के हौसले ही बुलंद नहीं,
जिनके थे वे जेल में हैं या जग में नहीं !!

हे राम, हे कृष्ण...
असंभव सा जनहित का जश्न...

- आवेश हिन्दुस्तानी 28.07.2024

©Ashok Mangal #AaveshVaani 
#JanMannKiBaat

Ashok Mangal

अनेक बाबाओं की शौहरत बढ़ी दिन दूनी रात चौगुनी !
त्राहि त्राहि जनता को चटाते ये अंधविश्वास की चाशनी !!

लाखों की भीड़ जुटा तेजी से जमा कर लेते अकूत संपत्ति !
आयकर छूट लाभ ले, संपत्ति में होती जल्दी जल्दी वृद्धि !!

भीड़ को देख नेताओं की टपकने लगती लार !
इन बाबाओं के कदमों में होता राजनैतिक संसार !!

राजनीति के दाव उलटे पड़ने पर ही होती इन्हें जेल !
फिर चल पड़ता दे लेकर बारंबार पैरोल का खेल !!

जनस्वास्थ्य की मिलावटी खाद्यों से की जाती ऐसी तैसी !
लागत से दस बीस गुने दामों पे होती दवाओं की आपूर्ति !!

जब आमजन की औकात से बाहर रचता इलाज का रास !
वो इलाज हेतु पहुंच जाता किसी न किसी बाबा के पास !!

आमजन अंधविश्वास के जाल में आसानी से फंस जाता !
भावनाएं चरम पे पहुंचने पर हाथरस सा हादसा घड़ जाता !!

मिलीभगत से कई मामले किए जा चुके हैं रफा दफा !
बाबाओं नेताओं का रहता ही है चोली दामन का रिश्ता !!

देश बरबादी के कगार पर इसीलिए पहुंच रहा !
क्योंकि इंसान अपना भला बुरा ही नहीं समझ रहा !!

भोली भाली जनता के हकों के साथ हो रहा खिलवाड़ !
जनता समझ गई जिस दिन, लेगी हर जुल्म का हिसाब !!

आवेश हिन्दुस्तानी 5.07.2024

©Ashok Mangal #AaveshVaani #JanMannKiBaat
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