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Ashish Mishra
मैं मुझमें तेरा अक्स ढूँढता हूँ, मैं खुद में तेरा प्रतिबिम्ब ढूँढता हूँ। मैं खुद को तेरी तरह बदलने का प्रयत्न करता हूँ, मैं मुझमें तेरा प्रतिबिम्ब ढूँढता हूँ। तेरी हर गलतियों से कुछ न कुछ सीखता हूँ, मैं खुद में तेरा प्रतिबिम्ब ढूँढता हूँ। मैं आज जिस मुकाम पर पहुंच पाया हूँ, मैं मुझमें तेरा प्रतिबिम्ब ढूंढता हूँ। #प्रतिबिम्ब#
Adyasha Priyadarshini D
।।। प्रतिबिम्ब ।।। मैं तेरा आशमान बनना चाहूँ जिसमें तु उड जाए पंख फैलाए । मैं तेरी वो जमीन बनना चाहूँ जिसमें हक से तु अपने सपनों को बोए ।। सबके सपनों को देती है रंग रूप तु पर तेरा कभी किसी ने न सूना । फिर भी बरसाती रही तु खुशियों की बौछार रख दिल में हजारों ख्वाहिशें दफना ।। एहसास बस मुझे है तेरे व्यथाओं का जो रह जाते हैं अक्सर बिन कहे । न कोई इच्छा न ही आपत्ति लिख देती है तु अपनी जागीर दूसरों के लिए ।। कभी नजर हटा कर जमाने से एक बार आईने में झांक ले। प्रतिबिम्ब हूँ मैं तेरा मेरे अलावा तेरा हमदर्द कोई नहीं ये मान ले । चल तुझको आज लेकर चलूँ मैं उस हरे-भरे बगिया में । जहां खिलेंगे तेरे सपनों के फूल जो भर देंगी खुशियाँ तेरी झोली में ।। कभी कभी वक्त से अपने हक का हिस्सा चूरा लेना चाहिए । PC: Google #प्रतिबिम्ब #yqbaba #YQdidi #YQBhaina #Hindi #YoPoWriMo #Poem #नारी
कभी कभी वक्त से अपने हक का हिस्सा चूरा लेना चाहिए । PC: Google #प्रतिबिम्ब #yqbaba #yqdidi #Yqbhaina #Hindi #yopowrimo #poem #नारी
read moreLOL
निष्ठुरता मेरी.. प्रतिबिम्ब है तुम्हारे आचरण का ©KaushalAlmora SOD : वो लड़की (अंधाधुन) #निष्ठुरता #प्रतिबिम्ब #आचरण #रोजकाडोजwithkaushalalmora #kaushalalmora #attitude #yqdidi
SOD : वो लड़की (अंधाधुन) #निष्ठुरता #प्रतिबिम्ब #आचरण #रोजकाडोजwithkaushalalmora #kaushalalmora #Attitude #yqdidi
read morePervaz Dhiman
खौलते हुए पानी में जिस तरह, प्रतिबिम्ब नहीं देखा जा सकता, उसी तरह क्रोध की स्थिति में, सच को देखा नहीं जा सकता! ©Pervaz Dhiman #खौलते हुए #पानी में जिस #तरह, #प्रतिबिम्ब नहीं #देखा जा सकता, उसी तरह #क्रोध की #स्थिति में, #सच को देखा #नहीं जा #सकता !!
dilip khan anpadh
छाया ***** जब ईजाद ना हुआ था आईना उस वक्त भी वजूद का एक छाप हमेशा रहा इंसानों के साथ भले उसमें निखार ना था पूर्ण प्रतिबिंबन की क्षमता ना थी पर मजबूती से साथ रहा वो हमेशा शायद ये कहने को कि खुद को अकेला ना समझो इंसान के बुरे और सद्कर्म का वो सदियों से बनता रहा साक्षी इंसान के हर कृत को दुहराता हुआ पाप पुण्य की चिंता से दूर प्रतिरोध और वंचना से दूर अपनी अंध काया और प्राणहीन स्वरूप के साथ अंधेरों से द्वंद करता छाया और उपछाया बन टिका रहा इंसानों के साथ इंसान बढ़ता रहा अंधेरे से उजाले की ओर ये निखरा,प्रसन्नचित साथ चलता रहा फिर इन्ही इंसानों ने मिटा दिया इसका वजूद जब खुद को समेट लिया धूप स्याह अंधेरे सोच के कमरों में आज भी ये छाया रोशनी में दिख अपने वजूद का एहसास दिलाती है शायद कहना चाहती है मैं मिटा नाही आज भी जिंदा हूँ बस मुझे रोशनी का सहारा तो दो दिलीप कुमार खाँ""अनपढ़" #Silence #छाया #प्रतिबिम्ब
#Silence #छाया #प्रतिबिम्ब #कविता
read moreBINNY GAIROLA
जिस पते पे हमने उम्मीदों के खत लिखे वहाँ से मौन शब्दों की प्रतिध्वनियां ही सुनाई दी,अंतर्मन की सुखद यात्रा से कोठरी के घोर तिमिर की यात्रा तक बीच में कोई नवैया था तो वो तुम ही थे,जो अंधकार में चमकती छाया को स्वरूप दे सकते थे,तुम्हारी छाया में मेरा स्थिर स्वरूप बना है और उजालों में थामा हाथ अंधकार के क्षणों में भी थमा रहेगा...परंतु तुम हो कौन,उजालों में परछाई का डर सताए तो अँधेरों के हाथ ही संदेश भेज दो... #अंधेरा #प्रतिबिम्ब Mithilesh Kumar Pramod Kumar Dipmala Singh Anil Kewat Gita Choudhary
#अंधेरा #प्रतिबिम्ब Mithilesh Kumar Pramod Kumar Dipmala Singh Anil Kewat Gita Choudhary
read moreस्मृति.... Monika
उस सुन्दर अंबर -तल से नीरवता की चादर ओढ़े तुम हौले से उतरो मद्धिम -मद्धिम चाँदनी में दिखती तुम धवल हो | रजत चीर का का पड़ा आवरण क्या कोई तुम दुल्हन हो? मारुत बहता, सिंधु डोलता, रजत वसन के पट को खोलता लहरें वेग में हैं स्पर्शी, प्रतीत होती तू चन्द्रमासी, कल्पना का टूटा क्रम, जो भी था वो सब था भ्रम | जिसे सोचती थी मैं "नवोढ़ा "वह तो था" शशि "का "प्रतिबिम्ब " मैं भी नीरव, सिंधु भी नीरव,हर दिशा अब नीरव है मद्धिम -मद्धिम चाँदनी में दिखता चाँद धवल है || स्मृति.... Monika #जो था, वह सब था एक भ्रम #कविता #शशि का #प्रतिबिम्ब #स्मृति.... #Monika
Chandan Bharati
#a_tribute_to_my_friends #Friendship #friendshipdayspecial "एक साथी आइना सा है कोई मेरा या यूँ कहूँ कि मेरा ही प्रतिबिम्ब है वो... जब भी हँसता हूँ मैं, साथ मेरे वो भी हँसता है, जब भी रोता हूँ मैं,
read moreS Ram Verma (इश्क)
#OpenPoetry जब हो जाये किसी को प्रेम अपने , ही प्रतिबिम्ब से डरने वाली से ; तो दर्द खुद-बा-खुद उस प्रेम के , सफर का हमसफ़र हो जाता है ; जब हो जाये किसी को प्रेम अपनी , ही सांसों की तेज़ गति से डरने वाली से; तो दर्द खुद-बा-खुद उस प्रेम के , सफर का हमसफ़र हो जाता है ; जब हो जाये किसी को प्रेम अपनी , ही पदचाप की आवाज़ से डरने वाली से ; तो दर्द खुद-बा-खुद उस प्रेम के , सफर का हमसफ़र हो जाता है ; जब हो जाये किसी को प्रेम अपनी , ही दहलीज़ को पार करने से डरने वाली से ; तो दर्द खुद-बा-खुद उस प्रेम के , सफर का हमसफ़र हो जाता है ; और जब दर्द किसी प्रेम के सफर , का हमसफ़र हो बन जाता है ; तो आँसुओं को देनी पड़ जाती है इज़ाज़त , आँखों के काजल को बहा ले जाने की ! #प्रेम #प्रतिबिम्ब
#प्रेम #प्रतिबिम्ब #कविता #OpenPoetry
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