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" शमी सतीश " (Satish Girotiya)
जाम-ए-जिंदगी से , जिदंगी, कतरा-कतरा छलक रही है हमारी , एक तुम हो जिसे फर्क नहीं पड़ता, इक ये उम्र तेरे इंतजार में, गुज़र रही है हमारी। मिला था एक दोस्त पुराना, कल भरे बाजार में, देखते ही बोला, "शमी", दाढ़ी अब सफ़ेद हो रही है तुम्हारी। ©" शमी सतीश " (Satish Girotiya) #सफेदी
Ashish kumar Official
#बेफिकर थे हम #अपने बालों में #सफेदी को देखकर नींदे ही उड़ा दी हैं किसी ने #अच्छे लगते हो बोलकर ©Ashish Kumar Official Shivani Verma (seenu) NIKHAT الفاظ جو دل چو جائے Kundan Dubey Parwarish Kal ki (Deepak Yadav) cute riya
Shivani Verma (seenu) NIKHAT الفاظ جو دل چو جائے Kundan Dubey Parwarish Kal ki (Deepak Yadav) cute riya
read moreRam babu Ray
काग बनकर ये जवानी उड़ रही है जो बिता ये बचपन कहानी उड़ रही है खड़े जवानी की सड़कें ना जाने कहाँ सड़क रही है देखो बुढ़ापे की सफेदी कुछ दाँते हिल रही है जैसे बनकर दिये कपूर जल रही है रोशनी कहाँ है सब बन उड़ रही है मुझे तो समझ नही आ रहा कैसा ये जीवन चल रही है.! ©Ram babu Ray काग बनकर ये जवानी उड़ रही है जो बिता ये #बचपन कहानी उड़ रही है खड़े जवानी की सड़कें ना जाने कहाँ सड़क रही है देखो #बुढ़ापे की #सफेदी कुछ दाँते हिल रही है
Ankit waghela
ये पहेनी जो सफेदी.. अब चुभन सी होती है.. अल्लाह बोल दिया मुझे..बस नमाज़ी में घुटन सी होती है! कुछ अनुभव..कुछ संभावित ये उपचार होते है.. दोस्त! यहां दो और दो चार नहीं होते है! जान बचाना बाए हाथ चमत्कार थोड़ी है.. मशगूल ये हाथ..कभी हमारे अपने भी खो देती है। ये पहेनी जो सफेदी.. अब चुभन सी होती है.. अल्लाह बोल दिया मुझे..बस नमाज़ी में घुटन सी होती है! दर्द से वाकिफ हम भी..यहां रोज होते है.. बेबाक बने नैन..बस रोने को आंसू नहीं होते है! लाचार आंखे.. लथपथ खून.. चिंखो से शामे होती है.. एक रात गुजार के देख.. यहां सवेरे नहीं होते है! इल्तेज़ा बस इतनी तुजसे..है इन्सान हम भी.. आसान नहीं.. बचाना एक नन्ही सी जान भी.. शिफा तो खुदा की! बस मेरे प्रयास होते है.. ना लिहाज..ना लहेजा..क्यो मारने को तेरे हाथ होते है? डर है..अब एक दिन हम भी कतराएंगे.. जब खो देंगे हमें.. क्या पाएंगे..क्या गवाएंगे.. ज़हेनसीब में.. वाह! मेरा पेशा क्या इंसानियत बोती हैं.. जान के बदले जान..ये अंकीत हमारी किमत होती है! ये पहेनी जो सफेदी.. अब चुभन सी होती है.. अल्लाह बोल दिया मुझे..बस नमाज़ी में घुटन सी होती है! ©Dr. Ankit waghela #सफेदी #PoetryUnplugged
Arya purush
कई साल बीते कॉलेज के। अब बालो मे सफेदी है। बचपना सब भूल गए आदर्शो मे अब तेजी है। कई साल बीते कॉलेज के। अब बालो मे सफेदी है। आर्य_पुरुष
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