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Best पढते Shayari, Status, Quotes, Stories

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ankush rajput

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जिदंगी कि किताब के पन्ने इतने है 
जनाब 
इनको पढते पढते जिदंगी ही  खत्म हो जाती है 
इससे अच्छा तो पहले ही आखिरी पना पढ लिया जाए मौत का
शायद जिदंगी की पढाई में पास हो जाए


अंकुश

Sachin Kukade

कितना पढू पढते पढते पागल ना हो जाऊ

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 कितना पढू पढते पढते पागल ना हो जाऊ

PuRuShOtAm PaReEk

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद, आप हमेशा याद रहेंगे क्यूंकि उपन्यास सम्राट तथा पिछड़े वर्ग का आईना नाम कई है।हिन्दी का आज जितना भी विकास हुआ है और जितना विकास होगा,उस विकास में एक स्वर्णिम सीढी थे मुंशी प्रेमचंद।इनकी कहानियाँ पढते-पढते न जाने कितनी पीढियाँ गुजर गई और न जाने कितने और बचपन इनकी लिखी कहानियों को याद करेंगे। ईदगाह कहानी मैं मानता हुँ हर बचपन की पसंदीदा रही है। #munshipremchand

SnehaD Gupta ( writer)

यादें बचपन वाली। #bachpan #lunchbreak

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बचपन और लंच ब्रेक  लंच ब्रेक से पहले ही,
आधी लंच वाक्स खाली हो जाती थी।
पढते पढते क्लास रूम में,
  इतनी भुख लग जाती थी।
टिचर से आंखे चुरा और नुक छुप के,
गटा-गट हलवा पूरी मुंह में जाती थी।
दोस्तों के वाक्स देखकर मुंह में पानी आती थी,
इसलिए तो उनके साथ सबकुछ मिलके बांटी जाती थी।



स्नेहा गुप्ता यादें बचपन वाली। 

#Bachpan #LunchBreak

Ek jikr Av

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क्या करू अपनी आदत से परेशान हो गया हूँ
क्या याद रखना था कुछ तो भूल गया हूँ
चलते-चलते रस्ता बैठे-बैठे उठना
खाते-खाते खाना सोते सोते सोना
अपना घर उसका घर सब भूल गया हूँ 
क्या याद रखना था कुछ तो भूल गया हूँ

करते करते ईबाबत मागते मागते दुआएँ
जलाते जलाते दीपक बुझते बुझते तिलिया
मेरी गलती तेरी रहमत सब भूल गया हूँ
क्या याद रखना था कुछ तो भूल गया हूँ
पढते पढते आँखे करते करते बया
सोचते सोचते मतला लिखते लिखते हल
अपना घाव उसका चाव सब भूल गया
क्या याद रखना था कुछ तो भूल गया हूँ

पिते पिते रुकना तैरते तैरते डूबना
छानते छानते गलिया ढूंढते ढूंढते रस्ता
आपना शहर उसका गावँ भूल गया हूँ
क्या याद रखना था कुछ तो भूल गया हूँ

खाते खाते चोट बिखरते बिखरते जजबात
सिसकते सिसकते होठ बहते बहते मोती
अपना मृदंग उसके हाथ सब भूल गया हूँ
क्या याद रखना था कुछ तो भूल गया हूँ
कुछ तो भूल गया हूँ.....!!!!!!

Akash lover

Mamta Subhadra Kumari Poonam

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कभी आना हमारी दिल की गली में थक जाओगे 
अपना नाम पढते पढते💯 Mamta Subhadra Kumari Poonam

Ashish Verma

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(एक प्रेम पत्र जो अंजान  था ईश्क से )  

यह  समय  क्यू  बीत  जाता हैं , 
साथ  मेरे उदासी दे जाता  है  ,
ख़ुशी बेशुमार  होती थी ,
चन्द  उसकी मुस्कान  देखकर ,
वो चले जाते थे ,
बहुत  गम मेरे साथ देकर ,
सोचा तो यही था ,
कल बात करूगा  उनसे ,
पर  हिम्मत  ना होती थी ,
मुझमे उन्हे  सामने देखकर ,
ऐसा  लगता था उनकी आंखे हर पल कुछ बया  करती थी ,
मै समझ लेता था उनकी हर एक झुकी  पलके देखकर ,
उनकी खामोशिया  हर पल कुछ ना कुछ बया  करती रही ,
आंखे भी नम  हो जाती थी ,उनकी खामोशिया  पढते  पढते ,
हर वक्त  डर  सा  लगा रहता  था ,कही  कोइ चुरा  ना ले जाये उनको ,
मै यह  सोच कर रो पड़ता ,शायद  मेरी ज़िन्दगी  का क्या  होगा ,
ना चाहते हुये हम  उन्ही  से मोहब्बत  किये  जा रहे  थे ,
ना चाहते  हुये  हम  ख्वाबो  मे उन्हे  अपना बनाये  जा रहे थे ,
इश्क  इतना खूबसुरत  था ,यह  आज जाना मैने ,

तू रहे ,मै मिट  जाऊ यह  अल्लाह  से दुआ मागा  मैने ,
तू रहे  मै मिट  जाऊ  यह अल्लाह से दुआ मागा  मैने ..............!

              ( लेखक  "आशीष  कुमार  वर्मा" )

Ek jikr Av

क्या करू अपनी आदत से परेशान हो गया हूँ
क्या याद रखना था कुछ तो भूल गया हूँ
चलते-चलते रस्ता बैठे-बैठे उठना
खाते-खाते खाना सोते सोते सोना
अपना घर उसका घर सब भूल गया हूँ 
क्या याद रखना था कुछ तो भूल गया हूँ

करते करते ईबाबत मागते मागते दुआएँ
जलाते जलाते दीपक बुझते बुझते तिलिया
मेरी गलती तेरी रहमत सब भूल गया हूँ
क्या याद रखना था कुछ तो भूल गया हूँ

पढते पढते आँखे करते करते बया
सोचते सोचते मतला लिखते लिखते हल
अपना घाव उसका चाव सब भूल गया
क्या याद रखना था कुछ तो भूल गया हूँ

डरते डरते डरना बिछडते बिछडते जीना
 रोते रोते हस्ना हस्ते हस्ते हंसना
आपना आयना उसका पत्थर सब भूल गया हूँ
क्या याद रखना था कुछ तो भूल गया हूँ

पिते पिते रुकना तैरते तैरते डूबना
छानते छानते गलिया ढूंढते ढूंढते रस्ता
आपना शहर उसका गावँ भूल गया हूँ
क्या याद रखना था कुछ तो भूल गया हूँ

खाते खाते चोट बिखरते बिखरते जजबात
सिसकते सिसकते होठ बहते बहते मोती
अपना मृदंग उसके हाथ सब भूल गया हूँ
क्या याद रखना था कुछ तो भूल गया हूँ...!! #nojotohindi#nojoto#merishyrimerimhobhhat

Rishi Rawal

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*जरुरी नहीं की प्यार हमेशा किसी की शक्ल से ही हो,*
*कभी कभी किसी की शायरी पढते पढते भी प्यार हो जाता है.RISHI #NojotoQuote

Dpk Kumar

deepness of lv #deepness of lv

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मैने पिछली रात वो जो
हीर की किताब पढते-पढते खुली छोड़ दी थी, उस मैं से रंन्जे का किरदार कही खो गया है,
मुझे डर है के वो कही हकीकत में न उतर आए। deepness of lv
#deepness of lv
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