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Best देवकी Shayari, Status, Quotes, Stories

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Shalini Nigam

~हाथ जोड़ विनती करूं, हे देवकी के लाल~ 
करुणा करो विपदा हरो 
~हे नंद यशोदा के बाल गोपाल~

©Shalini Nigam #देवकी #लाल #Nojoto #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine #Love #Life

Rakesh frnds4ever

#janmashtami #अधरं #मधुरं #वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं । #हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। #वसुदेवसुतं #देवं

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Dr. Devbrat Pundhir

वो है तभी तो हम हैं, 
उसके आगे तो ये दुनियां भी कम है, 
जो कभी थी देवकी और कभी हुई यशोदा, 
जिसके आगे तो भगवान भी है हारा, 
तुझसे ही है ये संसार सारा, 
ऐसा पावन है मां तेरा रूप, 
जो है सारे जग में है न्यारा।। #maa #जग #संसार #यशोदा #देवकी #न्यारा

Aniruddha Soni

#RDV19

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वो  प्रेम  प्रणेता  कान्हा भी  जब धर्म का करता मंथन है
तब  बांसुरी  का  रूप  बदलकर  होता  चक्र  सुदर्शन  है

वो  गोकुल  की  सुरताल बना वो लाल नन्द की ढाल बना
वसुदेव  का   पुत्र  है  वो  संग  दो  मैय्या  का  लाल  बना
भगवान की किस्मत देखो कि  वो माँ भी कारावास में थी
कि  कृष्ण  बचाने  आएगा जीवन भर इस अरदास में थी
जब  कंस  कपट  से  देवकी  की  काया  करती क्रंदन है
तब  बांसुरी  का  रूप  बदलकर  होता  चक्र  सुदर्शन  है

भगवतगीता का सार  रहा  वो  एक  गगन  विस्तार  रहा
कभी  क्रोध  रणचंडी  सा  कभी  मोहक  सा  श्रृंगार रहा
वो दुर्योधन  को  समझाने  एक  रूप  अति विक्राल बना
वो दुर्योधन का  काल बना वो महाभारत की  चाल  बना
जब  कृष्ण  को  नकार   कर  दुर्योधन  करता  गर्जन  है
तब  बांसुरी  का  रूप  बदलकर  होता  चक्र  सुदर्शन  है

मटकी  से  मथुरा  तक  जिसका  महाकाव्य  में वर्णन है
धर्म  कर्म  तप  त्याग  प्रेम  सम्पूर्ण   समाहित   संगम  है
वो  गर्व  गोवर्धन  चूर  करे  और प्रेम का भी वो बन्धन है
वो  नाग  नाथ  कहलाता  है  वो  एक  सुगंधित  चंदन है
जब  कर्म  तराजू  पर  करता  हर न्याय देवकी नन्दन है
तब  बांसुरी  का  रूप  बदलकर  होता चक्र  सुदर्शन  है

तब  बांसुरी  का  रूप  बदलकर  होता चक्र  सुदर्शन  है
तब  बांसुरी  का  रूप  बदलकर  होता चक्र  सुदर्शन  है #RDV19

pooja roy

ज्ञानियों का गुंथन लिखूं या गाय का ग्वाला लिखूं! कंस के लिए विष लिखूं या भक्तों का अमृत प्याला लिखूं। रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!  पृथ्वी का मानव लिखूं या निर्लिप्त योगेश्वर लिखूं। चेतना चिंतक लिखूं या संतृप्त देवेश्वर लिखूं। रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं! जेल में जन्मा लिखूं या गोकुल का पलना लिखूं। देवकी की गोदी लिखूं या यशोदा का ललना लिखूं।

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 ज्ञानियों का गुंथन लिखूं या गाय का ग्वाला लिखूं!
कंस के लिए विष लिखूं या भक्तों का अमृत प्याला लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं! 
पृथ्वी का मानव लिखूं या निर्लिप्त योगेश्वर लिखूं।
चेतना चिंतक लिखूं या संतृप्त देवेश्वर लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!
जेल में जन्मा लिखूं या गोकुल का पलना लिखूं।
देवकी की गोदी लिखूं या यशोदा का ललना लिखूं।

pooja roy

ज्ञानियों का गुंथन लिखूं या गाय का ग्वाला लिखूं! कंस के लिए विष लिखूं या भक्तों का अमृत प्याला लिखूं। रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!  पृथ्वी का मानव लिखूं या निर्लिप्त योगेश्वर लिखूं। चेतना चिंतक लिखूं या संतृप्त देवेश्वर लिखूं। रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं! जेल में जन्मा लिखूं या गोकुल का पलना लिखूं। देवकी की गोदी लिखूं या यशोदा का ललना लिखूं।

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 ज्ञानियों का गुंथन लिखूं या गाय का ग्वाला लिखूं!
कंस के लिए विष लिखूं या भक्तों का अमृत प्याला लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं! 
पृथ्वी का मानव लिखूं या निर्लिप्त योगेश्वर लिखूं।
चेतना चिंतक लिखूं या संतृप्त देवेश्वर लिखूं।
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!
जेल में जन्मा लिखूं या गोकुल का पलना लिखूं।
देवकी की गोदी लिखूं या यशोदा का ललना लिखूं।

Shubham shukla

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देवकी के लाला यशोदा के दुलारे 
एक तुम ही हो सारी दुनियाँ से निराले
चाह तुम राधा की थे मीरा ने भी प्रेम कर डाला तुम से
चाहा तुम्हें सबने खुद को कर दिया तुमने दुनिया के हवाले
तेरे प्यार में तड़पे हम सारे जग वाले 
अरे आजा मेरे कान्हा तुम्हें हम प्रेम से पुकारे 
देवकी के लाला यशोदा के दुलारे...........

SamadYusufzai

वो गीत है वो छंद है वो नंद का आनंद है वही भूत है भविष्य है वही आदि है अनंत है वो बाल है वो लाल है अधर्मियों का काल है वो यत्र है वो तत्र है वही तो सर्वत्र है

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 वो गीत है वो छंद है
वो नंद का आनंद है
वही भूत है भविष्य है
वही आदि है अनंत है

वो बाल है वो लाल है
अधर्मियों का काल है
वो यत्र है वो तत्र है वही तो सर्वत्र है

Sandeep Bhardwaj

देवकी की कोख पुछी, कहाँ हो वासुदेव के प्यारे
माँ यशोदा तुम्हें बुलाती, आओ कान्हा नंद दुलारे।।

धरती अंबर पुछ रहे हैं, कब आओगे पाप मिटाने
और बेड़ियाँ पुछती बंदीगृह की, कब आओगे इन्हें छुड़ाने।
आह पुछती है मथुरा की, और पुछते भक्त बेचारे
अब तो मुक्ति दिलाओ मोहन, आओ नारायण कंस हराने।
देवकी की कोख पुछी, कहाँ हो वासुदेव के प्यारे
माँ यशोदा तुम्हें बुलाती, आओ कान्हा नंद दुलारे।। #nojotovoice #nojotohindi #Janamashtmi #krishna #nojotoindia

Sandeep Bhardwaj

देवकी की कोख पुछी, कहाँ हो वासुदेव के प्यारे
माँ यशोदा तुम्हें बुलाती, आओ कान्हा नंद दुलारे।।

भक्त तुम्हारे पुछ रहे हैं, कब दोगे दर्शन लुभाने
और पुछता यमुना का पानी, कब आओगे चरण धुलाने। 
गोपियों का साथ पुछता, और पुछती राधा प्यारी
अब तो श्यामा प्रेम दिखाओ, रासलीला के बहाने।।
देवकी की कोख पुछी, कहाँ हो वासुदेव के प्यारे
माँ यशोदा तुम्हें बुलाती, आओ कान्हा नंद दुलारे।। #nojotovoice #nojotohindi #Janamashtmi #krishna #nojotoindia
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