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जीtendra
इस जीवन से मुझे विरक्ति है और समाज की प्रचलित नीति से क्रोध, मैं थोड़ा अलग थलग हूं और इतना अलग थलग क्यों हूं मैं भी नहीं समझ पाया हूं ये समाज जिसे स्पृहणीय समझता है मैं उसे तुच्छ समझ उसका त्याग कर देता हूं और ये समाज जिसे नीच समझ कर छोड़ देता है मैं उसे सहर्ष स्वीकार कर लेता हूं... #जीवन #समाज #त्याग #तुच्छ #स्वीकार
©Kalpana'खूबसूरत ख़याल'
Thank you 💐 मेरा बचपन से ही सपना था कि मेरी कविता अखबार में आये और आज उस अखबार में आई जो मेरे घर आता है। ♥️कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती मोटू कहते हैं बच्चों के फेवरिट कार्टून "21 जून 2019" को देश के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले अखबार 'अमर उजाला' की साप्ताहिक पत्रिका 'रूपायन' में मेरी कविता "ये तुच्छ प्राणी खुद को इंसान बताता है" कविता "रंग इंसानों के" शीर्षक से प्रकाशित हुई।♥️ धन्यवाद अमर उजाला टीम 😍 कविता 💐
मेरा बचपन से ही सपना था कि मेरी कविता अखबार में आये और आज उस अखबार में आई जो मेरे घर आता है। ♥️कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती मोटू कहते हैं बच्चों के फेवरिट कार्टून "21 जून 2019" को देश के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले अखबार 'अमर उजाला' की साप्ताहिक पत्रिका 'रूपायन' में मेरी कविता "ये तुच्छ प्राणी खुद को इंसान बताता है" कविता "रंग इंसानों के" शीर्षक से प्रकाशित हुई।♥️ धन्यवाद अमर उजाला टीम 😍 कविता 💐
read moreVishnu Dutt Ji Maharj
मित्रों,,,आज आपको एक ऐसे कथा के बारे में बताने जा रहा हूँ,, जिसका विवरण संसार के किसी भी पुस्तक में आपको नही मिलेगा,,और ये कथा सत प्रतिशत सत्य कथा है,, कथा का आरंभ तब का है ,,जब बाली को ब्रम्हा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ,,की जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा,,उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर मे चली जायेगी,, और इससे बाली हर युद्ध मे अजेय रहेगा,, सुग्रीव, बाली दोनों ब्रम्हा के औरस ( वरदान द्वारा प्राप्त ) पुत्र हैं,,और ब्रम्हा जी की कृपा बाली पर सदैव बनी रहती है,, बाली को अपने बल पर बड़ा घमंड था,,उ
मित्रों,,,आज आपको एक ऐसे कथा के बारे में बताने जा रहा हूँ,, जिसका विवरण संसार के किसी भी पुस्तक में आपको नही मिलेगा,,और ये कथा सत प्रतिशत सत्य कथा है,, कथा का आरंभ तब का है ,,जब बाली को ब्रम्हा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ,,की जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा,,उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर मे चली जायेगी,, और इससे बाली हर युद्ध मे अजेय रहेगा,, सुग्रीव, बाली दोनों ब्रम्हा के औरस ( वरदान द्वारा प्राप्त ) पुत्र हैं,,और ब्रम्हा जी की कृपा बाली पर सदैव बनी रहती है,, बाली को अपने बल पर बड़ा घमंड था,,उ
read moreMangal Pratap Chauhan
हिंदी से हिन्द तक.... हिंद के इस सरजमीं पर, अंग्रेजों का ताना-बाना है। राजभाषा को तुच्छ समझते, ये कैसा मनमाना है।। हिंदी से ही सभ्यता, संस्कृति, संस्कार, हिंदी से ही हम सब की परिपाटी है। पुरा समय से भारत मां की वंदन करती, हिंदी से ही हिंद की अनुपम माटी है।। हिंदी और हिंद का सम्मान करो, ये हिंदुस्तान की गौरवगाथा है। हिन्द को विश्वगुरु बनाने वाली, ये हम सबकी मातृभाषा है।। आज हिंदी को तुच्छ समझ लिया, डलहौजी के औलादों गैरों ने। वरना विश्व की सर्वोच्च भाषा होती, उर्दू, फारसी, अंग्रेजी औरों में।। रचयिता~© मंगल प्रताप चौहान हिंदी से हिन्द तक... मंगल प्रताप चौहान
हिंदी से हिन्द तक... मंगल प्रताप चौहान
read moreParul Sharma
आत्मा ही परमात्मा का अंश है ये देह नहीं। क्यूँ कि ये देह संसार और सांसारिक वस्तुऐं ईश्वर द्वारा बनाई गयी हैं जिसमें ईश्वर अपना कुछ अंश रख देता है और इस प्रकार वह ईश्वर से जुड़ी रहती है पर पूर्णतया ईश्वरीय नहीं होती। इसी लिये हमें उस में से मनोविकारों( मोह, माया, लोभ,लालच,ईष्या द्वष,झूठ,फरेब, आदी) को निकालना होता है ईश्वरीय बनाना होता है कि वो उस में बसे ईशवरीय अशं जैसी होकर पूर्णतया ईश्वरीय हो जाये। जबकि आत्मा ईश्वरीय अशं है पर हम उस पर मनोविकर युक्त शारिरिक बोझ डाल कर रोगी और क्षीर्ण और मैला कर देते हैं। जिससे वह ईश्वरता का ओज प्राप्त नहीं कर पाती। अत: अगर हम खुद को ईश्वर अशं मानते है तो हमें अधिक से अधिक मनोविकारों को अपने अंदर से निकालना होगा और उन्हें दुबारा न आने देना होगा। क्यों कि ईश्वर बनना मेरे ख्याल से अस्मभव है पर पर परमात्मा की प्राप्ती की ओर जाना आसान भी है और संभव भी। पारुल शर्मा #MorningQuotes #GoodMorningQuotes#सुविचार#सुप्रभात#प्रवचन#GoodMorningMassages आत्मा ही परमात्मा का अंश है ये देह नहीं। क्यूँ कि ये देह संसार और सांसारिक वस्तुऐं ईश्वर द्वारा बनाई गयी हैं जिसमें ईश्वर अपना कुछ अंश रख देता है और इस प्रकार वह ईश्वर से जुड़ी रहती है पर पूर्णतया ईश्वरीय नहीं होती। इसी लिये हमें उस में से मनोविकारों( मोह, माया, लोभ,लालच,ईष्या द्वष,झूठ,फरेब, आदी) को निकालना होता है ईश्वरीय बनाना होता है कि वो उस में बसे ईशवरीय अशं जैसी होकर पूर्णतया ईश्वरीय हो जाये। जबकि आत्मा ईश्वरीय
#morningquotes #Goodmorningquotes#सुविचार#सुप्रभात#प्रवचन#GoodMorningMassages आत्मा ही परमात्मा का अंश है ये देह नहीं। क्यूँ कि ये देह संसार और सांसारिक वस्तुऐं ईश्वर द्वारा बनाई गयी हैं जिसमें ईश्वर अपना कुछ अंश रख देता है और इस प्रकार वह ईश्वर से जुड़ी रहती है पर पूर्णतया ईश्वरीय नहीं होती। इसी लिये हमें उस में से मनोविकारों( मोह, माया, लोभ,लालच,ईष्या द्वष,झूठ,फरेब, आदी) को निकालना होता है ईश्वरीय बनाना होता है कि वो उस में बसे ईशवरीय अशं जैसी होकर पूर्णतया ईश्वरीय हो जाये। जबकि आत्मा ईश्वरीय
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