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Ek villain

#यूरोप के अनुभव से सीखे भारत #KarwachauthFast

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उन्होंने यूरोप की ऊर्जा संकट से भारत को सीख लेने की बात कही अगर हम भविष्य में जीवास ईंधन से प्राप्त किसी भी ऊर्जा संकट से बचना चाहते हैं तो हमें अक्षय ऊर्जा पर जोर देना होगा यह अक्षय ऊर्जा का मतलब समझना भी जरूरी है इस ऊर्जा को तैयार करने के लिए जो विधि अपनाई जाती है वह पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव नहीं डालती यानी इससे प्रदूषण नहीं फैलता साथ ही इसके सूत्र का भी 16 नहीं होता दूसरे शब्दों में कहें तो इसके सूत्र का पुनर्भरण होता रहता है सौर ऊर्जा पवन ऊर्जा जल विद्युत ऊर्जा ज्वार भाटा से प्राप्त ऊर्जा बायोगैस शिव अनादि अक्षय ऊर्जा के ही कुछ उदाहरण हैं हमारे देश प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण है अगर देश की सरकारें अक्षय ऊर्जा के विकास की दिशा में गंभीरता से काम करें तो हमारा देश अक्षय ऊर्जा प्राप्त करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश बन जाएगा इससे हमें प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन करने से भी बच जाएंगे अक्षय ऊर्जा के सूत्र से बिजली प्राप्त करने से बिजली बिल में कटौती होती है भारत सरकार को चाहिए कि आमजन को सोलर पैनल के लिए जागरूक करें और इसे अपनाने के लिए उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करें

©Ek villain #यूरोप के अनुभव से सीखे भारत

#KarwachauthFast

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 13 - हृदय परिवर्तन 'मैडम! यह मेरा उपहार है - एक हिंसक डाकू का उपहार!' मैडम ने आगन्तुक के हाथ से पत्र लेकर पढा। 'मैं कृतज्ञ होऊंगा, यदि इसे आप स्वीकार कर लेंगी।' चर दोनों हाथों में एक अत्यन्त कोमल, भारी बहुमूल्य कम्बल लिये, हाथ आगे फैलाये, मस्तक झुकाये खड़ा था। 'मैं इसे स्वीकार करूंगी।' एक क्षण रुककर मैडम ने स्वतः कहा। उनका प्राइवेट सेक्रेटरी पास ही खड़ा था और मैडम ने उसकी ओर पत्र बढ़ा दिया था। 'तुम अपने स्वामी से कहना, मैंने उनका उपहार स्

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
13 - हृदय परिवर्तन

'मैडम! यह मेरा उपहार है - एक हिंसक डाकू का उपहार!' मैडम ने आगन्तुक के हाथ से पत्र लेकर पढा। 'मैं कृतज्ञ होऊंगा, यदि इसे आप स्वीकार कर लेंगी।' चर दोनों हाथों में एक अत्यन्त कोमल, भारी बहुमूल्य कम्बल लिये, हाथ आगे फैलाये, मस्तक झुकाये खड़ा था।

'मैं इसे स्वीकार करूंगी।' एक क्षण रुककर मैडम ने स्वतः कहा। उनका प्राइवेट सेक्रेटरी पास ही खड़ा था और मैडम ने उसकी ओर पत्र बढ़ा दिया था। 'तुम अपने स्वामी से कहना, मैंने उनका उपहार स्

TARUN KUMAR VIMAL

लेख बड़ा जरूर है लेकिन कुछ समजनें को मिलता है।...............
दुनिया के भ्रष्टाचार मुक्त देशों में शीर्ष पर गिने जाने वाले न्यूजीलैंण्ड के एक लेखक ब्रायन ने भारत में व्यापक रूप से फैंलें भष्टाचार पर एक लेख लिखा है। ये लेख सोशल मीडि़या पर काफी वायरल हो रहा है। लेख की लोकप्रियता और प्रभाव को देखते हुए विनोद कुमार जी ने इसे हिन्दी भाषीय पाठ़कों के लिए अनुवादित किया है। –

न्यूजीलैंड से एक बेहद तल्ख आर्टिकिल।

भारतीय लोग  होब्स विचारधारा वाले है (सिर्फ अनियंत्रित असभ्य स्वार्थ की संस्कृति वाले)

भारत मे भ्रष्टाचार का एक कल्चरल पहलू है। भारतीय भ्रष्टाचार मे बिलकुल असहज नही होते, भ्रष्टाचार यहाँ बेहद व्यापक है। भारतीय भ्रष्ट व्यक्ति का विरोध करने के बजाय उसे सहन करते है। कोई भी नस्ल इतनी जन्मजात भ्रष्ट नही होती

ये जानने के लिये कि भारतीय इतने भ्रष्ट क्यो होते हैं उनके जीवनपद्धति और परम्पराये देखिये।

भारत मे धर्म लेनेदेन वाले व्यवसाय जैसा है। भारतीय लोग भगवान को भी पैसा देते हैं इस उम्मीद मे कि वो बदले मे दूसरे के तुलना मे इन्हे वरीयता देकर फल देंगे। ये तर्क इस बात को दिमाग मे बिठाते हैं कि अयोग्य लोग को इच्छित चीज पाने के लिये कुछ देना पडता है। मंदिर चहारदीवारी के बाहर हम इसी लेनदेन को भ्रष्टाचार कहते हैं। धनी भारतीय कैश के बजाय स्वर्ण और अन्य आभूषण आदि देता है। वो अपने गिफ्ट गरीब को नही देता, भगवान को देता है। वो सोचता है कि किसी जरूरतमंद को देने से धन बरबाद होता है।

जून 2009 मे द हिंदू ने कर्नाटक मंत्री जी जनार्दन रेड्डी द्वारा स्वर्ण और हीरो के 45 करोड मूल्य के आभूषण तिरुपति को चढाने की खबर छापी थी। भारत के मंदिर इतना ज्यादा धन प्राप्त कर लेते हैं कि वो ये भी नही जानते कि इसका करे क्या। अरबो की सम्पत्ति मंदिरो मे व्यर्थ पडी है।

जब यूरोपियन इंडिया आये तो उन्होने यहाँ स्कूल बनवाये। जब भारतीय यूरोप और अमेरिका जाते हैं तो वो वहाँ मंदिर बनाते हैं।

भारतीयो को लगता है कि अगर भगवान कुछ देने के लिये धन चाहते हैं तो फिर वही काम करने मे कुछ कुछ गलत नही है। इसीलिये भारतीय इतनी आसानी से भ्रष्ट बन जाते हैं।

भारतीय कल्चर इसीलिये इस तरह के व्यवहार को आसानी से आत्मसात कर लेती है, क्योंकि

1 नैतिक तौर पर इसमे कोई नैतिक दाग नही आता। एक अति भ्रष्ट नेता जयललिता दुबारा सत्ता मे आ जाती है, जो आप पश्चिमी देशो मे सोच भी नही सकते ।

2 भारतीयो की भ्रष्टाचार के प्रति संशयात्मक स्थिति इतिहास मे स्पष्ट है। भारतीय इतिहास बताता है कि कई शहर और राजधानियो को रक्षको को गेट खोलने के लिये और कमांडरो को सरेंडर करने के लिये घूस देकर जीता गया। ये सिर्फ भारत मे है

भारतीयो के भ्रष्ट चरित्र का परिणाम है कि भारतीय उपमहाद्वीप मे बेहद सीमित युद्ध हुये। ये चकित करने वाला है कि भारतीयो ने प्राचीन यूनान और माडर्न यूरोप की तुलना मे कितने कम युद्ध लडे। नादिरशाह का तुर्को से युद्ध तो बेहद तीव्र और अंतिम सांस तक लडा गया था। भारत मे तो युद्ध की जरूरत ही नही थी, घूस देना ही ही सेना को रास्ते से हटाने के लिये काफी था।  कोई भी आक्रमणकारी जो पैसे खर्च करना चाहे भारतीय राजा को, चाहे उसके सेना मे लाखो सैनिक हो, हटा सकता था।

प्लासी के युद्ध मे भी भारतीय सैनिको ने मुश्किल से कोई मुकाबला किया। क्लाइव ने मीर जाफर को पैसे दिये और पूरी बंगाल सेना 3000 मे सिमट गई। भारतीय किलो को जीतने मे हमेशा पैसो के लेनदेन का प्रयोग हुआ। गोलकुंडा का किला 1687 मे पीछे का गुप्त द्वार खुलवाकर जीता गया। मुगलो ने मराठो और राजपूतो को मूलतः रिश्वत से जीता श्रीनगर के राजा ने दारा के पुत्र सुलेमान को औरंगजेब को पैसे के बदले सौंप दिया। ऐसे कई केसेज हैं जहाँ भारतीयो ने सिर्फ रिश्वत के लिये बडे पैमाने पर गद्दारी की।

सवाल है कि भारतीयो मे सौदेबाजी का ऐसा कल्चर क्यो है जबकि जहाँ तमाम सभ्य देशो मे ये  सौदेबाजी का कल्चर नही है

3- भारतीय इस सिद्धांत मे विश्वास नही करते कि यदि वो सब नैतिक रूप से व्यवहार करेंगे तो सभी तरक्की करेंगे क्योंकि उनका “विश्वास/धर्म” ये शिक्षा नही देता।  उनका कास्ट सिस्टम उन्हे बांटता है। वो ये हरगिज नही मानते कि हर इंसान समान है। इसकी वजह से वो आपस मे बंटे और दूसरे धर्मो मे भी गये। कई हिंदुओ ने अपना अलग धर्म चलाया जैसे सिख, जैन बुद्ध, और कई लोग इसाई और इस्लाम अपनाये। परिणामतः भारतीय एक दूसरे पर विश्वास नही करते।  भारत मे कोई भारतीय नही है, वो हिंदू ईसाई मुस्लिम आदि हैं। भारतीय भूल चुके हैं कि 1400 साल पहले वो एक ही धर्म के थे। इस बंटवारे ने एक बीमार कल्चर को जन्म दिया। ये असमानता एक भ्रष्ट समाज मे परिणित हुई, जिसमे हर भारतीय दूसरे भारतीय के विरुद्ध है, सिवाय भगवान के जो उनके विश्वास मे खुद रिश्वतखोर है 

लेखक-ब्रायन,
गाडजोन न्यूजीलैंड

 ( समाज की बंद आँखों को खोलने के लिए इस मैसेज  को जितने लोगो तक भेज
#tarun_kumar_vimal सकते हैं भेजने का कष्ट करें ।) #indian #politics #tarun_kumar_vimal

Rekha Pandey

चलते हुए सड़कों पर सिग्नल तोड़ जाते हैं चलान के नाम पर नेताओं का रौब दिखाते हैं बैठे हुए ट्रेनों में , कितना समान चुराते हैं और हम भारत में, यूरोप चाहते हैं बेटा बेटी, उच नीच, जाती धर्म चिल्लाते हैं और हम भारत में, यूरोप चाहते हैं

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 चलते हुए सड़कों पर सिग्नल तोड़ जाते हैं
चलान के नाम पर नेताओं का रौब दिखाते हैं
बैठे हुए ट्रेनों में , कितना समान चुराते हैं
और हम भारत में, यूरोप चाहते हैं

बेटा बेटी, उच नीच, जाती धर्म 
चिल्लाते हैं
और हम भारत में, यूरोप चाहते हैं

Maheep Tiwari

Madhu Kaur Rekha Rani Kavita Rani

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यूरोप के एक देश मे एक आदमी को भूखे मरने की सजा मिली,
उसे एक जेल में बंद किया गया, सजा ऐसी थी कि जब तक उसकी मौत नही हो जाती तब तक उसे भूखा रखा जाए ।
उसकी बेटी ने अपने पिता से मिलने के लिए सरकार से अनुरोध किया कि वह हर रोज अपने पिता से मिलेगी। 
उसे मिलने की इजाजत दे दी गयी ।
मिलने से पहले उसकी तलाशी ली जाती कि वह कोई खाने का सामान न ले जा सके। 
उसे अपने पिता की हालत देखी नही गई। वो अपने पिता को जिंदा रखने के लिए अपना दूध पिलाने लगी। 
जब कई दिन बीत जाने पर भी वो आदमी नही मरा तो पहरेदारों को शक हो गया और उन्होंने उस लड़की को अपने पिता अपना दूध पिलाते पकड़ लिया, उस पर मुकदमा चला ओर सरकार ने कानून से हटकर भावनात्मक फैसला सुनाया ओर उन दोनों को रिहा कर दिया गया..
ये पेन्टिंग यूरोप की सबसे महंगी पेन्टिंग है।
नारी कोई भी रूप में हो चाहे माँ हो, चाहे पत्नी हो, चाहे बहन हो, चाहे बेटी...हर रूप में वात्सल्य त्याग ओर ममता की मूरत है...
अतः हर तरह से नारी का सम्मान करें !!!
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 🌹😊😇 #NojotoQuote Madhu Kaur Rekha Rani Kavita Rani

SHASHANK KASHYAP

#History

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Hindi shayari quotes यूरोपियन का इतिहास जो आपने कभी नही सुना ।

वास्कोडिगामा और कोलंबस कौन थे ? ये दोनो यूरोप के प्रसिद्ध लूटेरे थे। जहाँ वास्कोडिगामा पुर्तगाल  व कोलम्बस स्पेन से दोनों यूरोप के प्रसिद्ध लूटेरे थे। जिसमें कोलम्बो सन् 492 मे अमेरिका को लूटने वही वास्कोडिगामा सन् 498 मे भारत पहूँचा। चुकि ये दोनों देश एक ही धर्म के थे जो सन् 490 से पहले एक- दूसरे को ही लूटने मे लगे रहते थे । तो यूरोप के छठे पोप ने दोनों देशों को एक फरमान सुनाया जिसमें पुर्तगाल पूर्वी  देशों को लूटने का काम करेगे और  स्पेन पश्चिमी देशों को।
ज्यादा जानकारी के लिए कमेंट करे। #NojotoQuote #history

Pooja Harne

 
14 फ़रवरी 498 को वैलेंटाइन को फांसी पर लटका दिया गया | उसका आरोप इतना था कि वो बच्चो की शादिया कराता था | उस समय राजा छोटे मोटे कारणों के लिए ही मौत की सजा सुना देता था और कोई भी उसका विरोध करने की हिम्मत नही रखता था | जिस दिन उनको फांसी हुयी तो जिन युवक युवतियों ने उनके कहने पर शादिया की , तो उन्होंने वो दिन वैलेंटाइन डे के रूप में मनाना शुरू कर दिया | इस तरह वैलेंटाइन डे को यूरोप में मनाना शुरू कर दिया | यूरोप में वैलेंटाइन डे को केवल शादीशुदा लोग ही मनाते है लेकिन भारत में लोग वैलेंटाइन की कहानी से अनजान बिना किसी वजह के वैलेंटाइन डे मनाते है | #Valentineday#valentinedayrealstory


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