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Flintop
सेवार्थ,, श्रमदान।। निस्वार्थ जिवन घालवण्याच वेड ©Flintop #परमार्थ,,,,,
#परमार्थ,,,,,
read moreAlok Vishwakarma "आर्ष"
निष्पन्न निस्तारित निगम, निम्नांकलित निर्भिक निमित । निन्दन निलय निष्ठुर निमिष, निःस्वार्थ निष्ठा निखिल नित ।। #कविता #alokstates #परमार्थ #अपवर्ग #प्रेम #lifelessons #missingyou
#कविता #alokstates #परमार्थ #अपवर्ग #प्रेम #lifelessons #missingyou
read moreआयुष पंचोली
जब हम निस्वार्थ भाव से किसी चीज की कामना करने लगते हैं, तो वह स्वतः ही हमारी और आकर्षित होने लगती हैं। और उसी के अनुकूल परिस्थितियाँ भी स्वतः ही होती चले जाती हैं। सबकुछ भाव के ही अधीन हैं, ईश्वर भी भाव के ही वश मे होता हैं। जिसका भाव शुद्ध और परमार्थ को साधने वाला होता हैं, उसे कभी किसी चीज की कामना करनी ही नही पड़ती। और एक कटु सत्य यह भी हैं की, जैसे ही कोई व्यक्ति परमार्थ का मार्ग चुनता हैं, सबसे पहले उसका परिवार ही उसका विरोधी हो जाता हैं। और आश्चर्य की बात यह हैं की, परमार्थ के मार्ग पर चलने वाले की दुश्मन दुनिया हो जाती हैं, मगर ईश्वर और प्रकृति उसके अनुकूल हो जाते हैं। इसलिये शायद हम ना ही कर्ता हैं, ना ही कारक, हम सिर्फ निमित्त मात्र हैं। उसके कार्य के जिसने इस सकल सृष्टि की रचना की हैं।🙏🙏 ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #mereprashnmerisoch जब हम निस्वार्थ भाव से किसी चीज की कामना करने लगते हैं, तो वह स्वतः ही हमारी और आकर्षित होने लगती हैं। और उसी के अनुकूल परिस्थितियाँ भी स्वतः ही होती चले जाती हैं। सबकुछ भाव के ही अधीन हैं, ईश्वर भी भाव के ही वश मे होता हैं। जिसका भाव शुद्ध और परमार्थ को साधने वाला होता हैं, उसे कभी किसी चीज की कामना करनी ही नही पड़ती। और एक कटु सत्य यह भी हैं की, जैसे ही कोई व्यक्ति परमार्थ का मार्ग चुनता हैं, सबसे पहले उसका परिवार ही उसका विरोधी हो जाता हैं। और आश्चर्य की बात यह हैं की, परमार्थ के मार्ग पर चलन
जब हम निस्वार्थ भाव से किसी चीज की कामना करने लगते हैं, तो वह स्वतः ही हमारी और आकर्षित होने लगती हैं। और उसी के अनुकूल परिस्थितियाँ भी स्वतः ही होती चले जाती हैं। सबकुछ भाव के ही अधीन हैं, ईश्वर भी भाव के ही वश मे होता हैं। जिसका भाव शुद्ध और परमार्थ को साधने वाला होता हैं, उसे कभी किसी चीज की कामना करनी ही नही पड़ती। और एक कटु सत्य यह भी हैं की, जैसे ही कोई व्यक्ति परमार्थ का मार्ग चुनता हैं, सबसे पहले उसका परिवार ही उसका विरोधी हो जाता हैं। और आश्चर्य की बात यह हैं की, परमार्थ के मार्ग पर चलन
read morePnkj Dixit
#OpenPoetry श्रेष्ठ वृत्तियाँ अपना लेने के उपरान्त फिर मनुष्य को परमार्थ प्रयोजनों में संलग्न होने में कोई कठिनाई नहीं पड़ती । निर्वाह और परमार्थ भली प्रकार साथ- साथ निभता रह सकता है , इसे वे प्रत्यक्ष अनुभव करते है । अपने गुण- कर्म - स्वभाव का स्तर उठाते है । एक क्षण भी निरर्थक नही गुजारते । समझदारी , ईमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी के आदर्शों से जीवन को ओत - प्रोत करते है तथा दिव्य दृष्टि प्राप्त करते है । ०१/०८/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' श्रेष्ठ वृत्तियाँ अपना लेने के उपरान्त फिर मनुष्य को परमार्थ प्रयोजनों में संलग्न होने में कोई कठिनाई नहीं पड़ती । निर्वाह और परमार्थ भली प्रकार साथ- साथ निभता रह सकता है , इसे वे प्रत्यक्ष अनुभव करते है । अपने गुण- कर्म - स्वभाव का स्तर उठाते है । एक क्षण भी निरर्थक नही गुजारते । समझदारी , ईमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी के आदर्शों से जीवन को ओत - प्रोत करते है तथा दिव्य दृष्टि प्राप्त करते है । ०१/०८/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' #विचार #सुप्रभात
श्रेष्ठ वृत्तियाँ अपना लेने के उपरान्त फिर मनुष्य को परमार्थ प्रयोजनों में संलग्न होने में कोई कठिनाई नहीं पड़ती । निर्वाह और परमार्थ भली प्रकार साथ- साथ निभता रह सकता है , इसे वे प्रत्यक्ष अनुभव करते है । अपने गुण- कर्म - स्वभाव का स्तर उठाते है । एक क्षण भी निरर्थक नही गुजारते । समझदारी , ईमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी के आदर्शों से जीवन को ओत - प्रोत करते है तथा दिव्य दृष्टि प्राप्त करते है । ०१/०८/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' विचार सुप्रभात
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