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Krish Vj
नियमों का उल्लंघन (चिंतन) {अनुशीर्षक में पढ़े} नियम हमारी सुविधा के लिए बने होते हैं। कार्य के पूर्ण होने के लिए नियमों का होना अति आवश्यक हैं। वस्तुतः हम सभी को नियमों के बंधन अच्छे नहीं लगते हैं ।हम नियमों से परे स्वतन्त्र होकर कार्य करना चाहते हैं । यदि हम इस बारे में विचार करें कि बिना नियमों के क्या ? हम जीवन आसानी से जी सकते हैं ? तो कुछ का विचार होगा हाँ और कुछ का ना होगा। एक उदाहरण से हम समझते हैं :_ यदि यातायात के लिए कोई नियम ना हो तो हम अपना दैनिक कार्य बिना बाधा के कर सकते हैं ? यदि यातायात नियमों से बंधा ना होगा तो हम अपना ज
नियम हमारी सुविधा के लिए बने होते हैं। कार्य के पूर्ण होने के लिए नियमों का होना अति आवश्यक हैं। वस्तुतः हम सभी को नियमों के बंधन अच्छे नहीं लगते हैं ।हम नियमों से परे स्वतन्त्र होकर कार्य करना चाहते हैं । यदि हम इस बारे में विचार करें कि बिना नियमों के क्या ? हम जीवन आसानी से जी सकते हैं ? तो कुछ का विचार होगा हाँ और कुछ का ना होगा। एक उदाहरण से हम समझते हैं :_ यदि यातायात के लिए कोई नियम ना हो तो हम अपना दैनिक कार्य बिना बाधा के कर सकते हैं ? यदि यातायात नियमों से बंधा ना होगा तो हम अपना ज
read moreSaritha kothuri
गैरे हमेशा इंतज़ार में रेहता है कि हम कब अपनों से धोका खाएं #yqbaba#yqdidi#चिन्तन #YourQuoteAndMine Collaborating with सुजीत मिश्र
#yqbaba#yqdidi#चिन्तन #YourQuoteAndMine Collaborating with सुजीत मिश्र
read moreAlok Vishwakarma "आर्ष"
ये अलगत्व, ये विचारधारा कितना रस है इसमें, कैसी है यह अविचल धारा #अध्यात्म #चिन्तन #alokstates
Vibha Katare
वचन का अनुगामी कर्म हो.. और कर्मकांड का अनुगामी चिंतन हो.. आँखे मूँद महाभारत तो हो जाएगी बुद्धि मूँद भगवान की भक्ति न हो पाएगी.. .. #yqbaba #yqdidi #hindiwriters #कर्मकांड #चिन्तन #अध्यात्म
"ANUPAM"
#रात्री-चिंतन...!!! रात्रि-रंजन....!! सच एक सर्जरी की तरह है थोड़ा दर्द देता है लेकिन राहत मिलती है। झूठ एक पेन किलर की तरह है, जो आपको अस्थायी राहत जरुर देता है लेकिन साइड इफ़ेक्ट जीवन भर रहता है ! अब समाज फर्क समझने लगा है, सच क्या है झूंठ क्या है मानवता में फूट कहा है दिल में तेरे टुट कहा है रिश्तों में लूट कहां है हरा-भरा क्या है ठूंठ क्या है। ⛑️अलख निरंजन,अलख निरंजन..!!⛑️ 👁️झूठे रिश्ते..!! जूठे व्यंजन...!! ⛑️अलख निरंजन!!!अलख निरंजन ⛑️ ©"ANUPAM" #चिन्तन
Deepak Dilwala
कल से बेहतर आज मिला.... आज से बेहतर कल होगा.... मुश्किल से लड़ने से ही.... मुश्किल का कोई हल होगा... ©दीपक दिलवाला #मुश्किल_का_हल #मुश्किलें #अनुभव #चिन्तन #जीवन #सुख_दुःख #जिंदगी #कविता #पंक्ति #reading
Chintan Kothari
#OpenPoetry आँसू महोब्बत वाला अखियों ने ऐसा निकला आँसू ने लेली मेरी जान हाए रे में कितना परेशान पीछे पड़ा हु उनके अभी न मिली मुझे अब कैसे पटालू मेरे यार हाय रे में कितना परेशान प्यार करता हु तुझसे जान से भी ज्यादा सनम नही दूंगा तुझको धोखा मेरे उस प्यार की कसम बड़ा खुश्बू वाला हाथो में गुलाब लेके अब कैसे करू में इज़हार हाय रे में कितना परेशान कवि चिन्तन की गाथा सुनले तू मेरे यारा तू मेरे प्यार को ठुकराकरा दे अब तो में मरने चला... अब तो बचाले मेरी जान हाय रे में कितना परेशान #कवि चिन्तन कोठारी
आयुष पंचोली
क्या हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे खुद के अस्तित्व मे खुद ही के भीतर कहीं छुपे हैं। और अगर ऐसा हैं तो उनका जवाब प्राप्त कैसे किया जायें? आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual क्या हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे खुद के अस्तित्व मे खुद ही के भीतर कहीं छुपे हैं। और अगर ऐसा हैं तो उनका जवाब प्राप्त कैसे किया जायें? हाँ यह बिल्कुल सत्य हैं, की हमारे सारे सवालों के जवाब, सभी समस्याओं का हल कहीं ना कहीं, हमारे ही अस्तित्व की उन गहराईयौं मे छूपा हैं, जहां हम पहुच नही सकते या यूँ कहें पहुचना नही चाहते। क्योकी हमारे जीवन मे अर्थात् आपके जन्म लेने के बाद से,कितनी ही घटनाए ऐसी घटित होती हैं, जो हमारे मन और मस्तिष्क पर बहुत गहरी छाप छोड़ती हैं। उनमे से कुछ घटनायें हम भुला देते
क्या हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे खुद के अस्तित्व मे खुद ही के भीतर कहीं छुपे हैं। और अगर ऐसा हैं तो उनका जवाब प्राप्त कैसे किया जायें? हाँ यह बिल्कुल सत्य हैं, की हमारे सारे सवालों के जवाब, सभी समस्याओं का हल कहीं ना कहीं, हमारे ही अस्तित्व की उन गहराईयौं मे छूपा हैं, जहां हम पहुच नही सकते या यूँ कहें पहुचना नही चाहते। क्योकी हमारे जीवन मे अर्थात् आपके जन्म लेने के बाद से,कितनी ही घटनाए ऐसी घटित होती हैं, जो हमारे मन और मस्तिष्क पर बहुत गहरी छाप छोड़ती हैं। उनमे से कुछ घटनायें हम भुला देते
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 1 - भक्ति पंचम पुरुषार्थ योगिनामपि सुर्वेषां मद्गतेनान्तरात्मना। श्रद्धावान् भजते यो मां स मे युक्ततमो मतः।। (गीता 6-47)
read moreManav
गहन चिन्तन से निकला परिणाम सदैव सकारात्मकता के निकटतम होता है #Nojotohindi#गहन#चिन्तन