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Best शामिल Shayari, Status, Quotes, Stories

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Rakesh frnds4ever

#कुछ #गैरों से कहा तुमने कुछ गैरों से सुना तुमने #काश कुछ हमसे सुना होता,,, कहना / सुनना जो भी था रहना सहना जो भी था #हम_दोनों के दरमयां था फिर और #कोई गैर कोई

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Bhawana dixit

मुझसे शामिल हो कर;
 मेरे वजूद से ही ;
इनकार कैसा?

©bhavna trivedi #शामिल

Shubham Bhardwaj

- Arun Aarya

#iqbal&Sehmat #शामिल नहीं करेगा

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Rabindra Kumar Ram

" चल इश्क ये मंज़ूर किया जाये , दुश्वारियों का दौर हैं उन्हें मुहब्बत बेइन्तहा किया जाये‌ , चल तुझे मेरे मयस्सर में जार - बेजार किया जाये , तु ही एक शक्श मेरी खामोशियों में बदस्तूर शामिल हैं . " ‌‌ --- रबिन्द्र राम #मंज़ूर #दुश्वारियों #मुहब्बत #बेइन्तहा

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" चल इश्क ये मंज़ूर किया जाये ,
दुश्वारियों का दौर हैं उन्हें मुहब्बत बेइन्तहा किया जाये‌ ,
चल तुझे मेरे मयस्सर में जार - बेजार किया जाये , 
तु ही एक शक्श मेरी खामोशियों में बदस्तूर शामिल हैं . "

   ‌‌                        --- रबिन्द्र राम 

 

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©Rabindra Kumar Ram " चल इश्क ये मंज़ूर किया जाये ,
दुश्वारियों का दौर हैं उन्हें मुहब्बत बेइन्तहा किया जाये‌ ,
चल तुझे मेरे मयस्सर में जार - बेजार किया जाये , 
तु ही एक शक्श मेरी खामोशियों में बदस्तूर शामिल हैं . "

   ‌‌                        --- रबिन्द्र राम 

 #मंज़ूर #दुश्वारियों #मुहब्बत #बेइन्तहा

Rabindra Kumar Ram

" चल इश्क ये मंज़ूर किया जाये , दुश्वारियों का दौर हैं उन्हें मुहब्बत बेइन्तहा किया जाये‌ , चल तुझे मेरे मयस्सर में जार - बेजार किया जाये , तु ही एक शक्श मेरी खामोशियों में बदस्तूर शामिल हैं . " ‌‌ --- रबिन्द्र राम #मंज़ूर #दुश्वारियों #मुहब्बत #बेइन्तहा

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Rabindra Kumar Ram

Pic : pexels.com " मुझे मालूम हैं तुम्हें कुछ मालूम ना होगा , ये इश्क मुहब्बत में तेरा हामी कहीं शामिल ना होगा , अब किस बात से इन्कार किया जाये इस लहजे में , मुहब्बत तो जरा तुम्हें भी हैं इसका यकीन अभी तुम्हें नहीं . " --- रबिन्द्र राम

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" मुझे मालूम हैं तुम्हें कुछ मालूम ना होगा ,
ये इश्क मुहब्बत में तेरा हामी कहीं शामिल ना होगा ,
अब किस बात से इन्कार किया जाये इस लहजे में ,
मुहब्बत तो जरा तुम्हें भी हैं इसका यकीन अभी तुम्हें नहीं . "

                               --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com

" मुझे मालूम हैं तुम्हें कुछ मालूम ना होगा ,
ये इश्क मुहब्बत में तेरा हामी कहीं शामिल ना होगा ,
अब किस बात से इन्कार किया जाये इस लहजे में ,
मुहब्बत तो जरा तुम्हें भी हैं इसका यकीन अभी तुम्हें नहीं . "

                               --- रबिन्द्र राम

Rabindra Kumar Ram

Pic: pexels.com " कोई ख्वाब आंखों में मचलता हैं , अब कौन सी तक्सीम बनाई जाये ‌, लहजे मुहब्बत का एहसास पाल रखा है , इसमें उसकी‌ मनमर्जियां शामिल हैं भी की नहीं ." --- रबिन्द्र राम

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" कोई ख्वाब आंखों में मचलता हैं ,
अब कौन सी तक्सीम बनाई जाये ‌,
लहजे मुहब्बत का एहसास पाल रखा है ,
इसमें उसकी‌ मनमर्जियां शामिल हैं भी की नहीं ."

                             --- रबिन्द्र राम Pic: pexels.com

" कोई ख्वाब आंखों में मचलता हैं ,
अब कौन सी तक्सीम बनाई जाये ‌,
लहजे मुहब्बत का एहसास पाल रखा है ,
इसमें उसकी‌ मनमर्जियां शामिल हैं भी की नहीं ."

                             --- रबिन्द्र राम

Rabindra Kumar Ram

" तेरा ख्याल ही अंजुमन रहा, काफिर तु ही नदारत रही , मिलती तु कि मिलता मैं कहीं , हर ज़र्रे में तु इस तरह शामिल रही ." --- रबिन्द्र राम #ख्याल #अंजुमन

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" तेरा ख्याल ही अंजुमन रहा,
काफिर तु ही नदारत रही , 
मिलती तु कि मिलता मैं कहीं ,
हर ज़र्रे में तु इस तरह शामिल रही ." 

                     --- रबिन्द्र राम " तेरा ख्याल ही अंजुमन रहा,
काफिर तु ही नदारत रही , 
मिलती तु कि मिलता मैं कहीं ,
हर ज़र्रे में तु इस तरह शामिल रही ." 

                     --- रबिन्द्र राम 

#ख्याल #अंजुमन

Author Munesh sharma 'Nirjhara'

वो साँस-साँस सा मुझमें ही धड़कता रहता है, जिसने शामिल भी न किया ज़िंदगी में कभी।। पल, दिन, महीने, साल और तारीख बढ़ते रहे, यूँ तन्हाइयों पर जैसे कितने ही कर्ज़ चढ़ते रहे, वो हँसी- हँसी सा मुझमें ही महकता रहता है, जिसने शामिल भी न किया ज़िंदगी में कभी।।

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वो लफ्ज़ लफ्ज़ में मेरे बसता है
जिसने कभी पढ़ा ही नहीं मुझे...! वो साँस-साँस सा मुझमें ही धड़कता रहता है, 
जिसने शामिल भी न किया  ज़िंदगी में कभी।।

पल, दिन, महीने, साल और तारीख बढ़ते रहे,
यूँ तन्हाइयों पर जैसे कितने ही कर्ज़ चढ़ते रहे,
वो हँसी- हँसी सा मुझमें ही  महकता रहता है,
जिसने शामिल भी न किया  ज़िंदगी में कभी।।
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