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Ayush Awasthi
देखा जबसे मैने देखा तुझको कुछ यूँ बीती मेरी शाम बातें मै किससे भी कैसी करूँ लबों पे आता बस तेरा नाम तुम से कभी मिला नहीं हूँ फिर भी तुम मुझसे मिलने आती मैं तुमसे जब गुस्सा होता तुम मुझको कुछ यूँ समझाती ये तेरे इश्क़ मे पागल इंसाँ के ख्वाब है जिसे दुनिया कभी समझ नही पाती ऐसे ख्वाबो को पाने के खातिर पीना पड़ता इश्क का जाम चल तुझसे ख्वाबों मिलने के खातिर अपनी पलको को मैं दूँ आराम बातें मै किससे भी कैसी करूँ लबों पे आता बस तेरा नाम #देखा
Manish Upreti
सब को देखा तुमने, उन्हीं नज़रों से। हम भी वैसे ही दिखे, जैसे सब दिखते हैं।। देखा।
देखा।
read moreHONEY ROMANCE
मुलाक़ात का वो आलम याद आता है पल पल दिल के तार बजने लगे थे मन में हुई थी हलचल नीली नीली आँखे उसकी काया जैसे हो मलमल हिरनी जैसी चाल थी उसकी सौख अदाएं चंचल चाँद से मुखड़े को चार चाँद लगाये काली लटाएं उड़ उड़ के एक ही नज़र में घायल हो गये देखा जब उसने मुड़ मुड़ के ©HONEY ROMANCE देखा जब देखा उसने मुड़ के
देखा जब देखा उसने मुड़ के #Shayari
read moreमनोज कुमार झा "मनु"
मुस्कुराते हुए,देखा था जब उसे। मन को प्यारा लगा, देखा था जब उसे।। नयन से नयन, जब मिले थे कभी, नैनों में चमक आई, देखा था जब उसे।। हाथ से हाथ जब पकड़ लिया था कभी, इस बात का भी आश्चर्य था तब उसे।। वो सीढ़ियों का रास्ता भी क्या गजब का था, छोटे से रास्ते को बड़ा करते उसके साथ से।। मेरे पास से जाता तो हाथ मिलाता जरूर था, "मनु" मगर हम गले मिलना चाहते थे उससे।। ©मनोज कुमार झा "मनु" #देखा जब उसे........ #देखा #जब #उसे
Pankaj Kumar
भरे बाजार हमने खाबों की दीवार टुटते देखा है। कई बार ,बार बार बेवजह अपनों को रूठते देखा है। खुशियों मै सभी साथ थे हमारे। पर मुश्किल घड़ियों मै। एक एक हाथ छुटते देखा है। बुरा दौर का नहीं लगता। लगता है उस दौर मै अपनों की बुरी नियत। जनाब हमने अपने दिवारों को भी। वक्त पर पिछे हटते देखा है। खाबों सा हमने अपनों को समेट रख्खा था। थोड़ी-बहुत हालात क्या बिगड़े। मुट्ठी 👊 की रेत सा एक एक को। हमने फिसलते देखा है।। ©Pankaj Kumar देखा है
देखा है #कविता
read moreGANESH RAJBHAR
"तुमको देखा" ऊजालो में मैंने कभी तुमको देखा । कभी सांझ ढलते किनारों पे देखा ।। मेरे चांद की ऐ! हँसी चांदनी । अपने सनम को नज़ारों में देखा ।। बारिश की रिमझिम फुहारों में देखा । पायल की छम छम, नदियों की कल कल सातों सुरो के , सात छंदों में देखा ।। नदियों में हर पल किनारों को देखा । जज्बातों में देखा ,खयालों में देखा आंसुओं से डूबी, इन आखों में देखा ।। सांस अटकी हो जब भी तेरे आस में ऐ! सनम धड़कते हुवे तुम्हें अपनी धड़कन में देखा ।। फूलों में देखा, सुगंधो में देखा । हवाओं में देखा, इन फिजाओं में देखा । उस सुन्दरता की मूरत को । हर कण, हर दम प्राणों में देखा ।। ©GANESH RAJBHAR "तुमको देखा"
"तुमको देखा" #कविता
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