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D.P. Singh
भुलक्कड़ आदमी ठहरा , भुला तो इश्क़ भी डाला, जलाता क्या जमाने को, तो खुद को खाक कर डाला ।। इन सिगरेट वाले भाई साहब के लिए
इन सिगरेट वाले भाई साहब के लिए #शायरी
read morePinki
गर लगी आग दिल में 'तो धुँआ ही उठेगा जनाब , अपनी सोच पर पाबंदिया रखना , वो क्या है ना' हम सिगरेट के शौकिन नहीं है..... ©Pinki सिगरेट
सिगरेट #शायरी
read moreपूर्वार्थ
सिगरेट के उपासकों के लिए 🧘 सिगरेट के उपासकों के लिए 🧘 सिगरेट अध्यात्म है, स्वभक्ति में रुचि रखने वाले लोगों के लिए सिगरेट पथप्रदर्शक है , मार्ग से भटके हुए लोगों के लिए सिगरेट भरोसा है ,दिल टूटे आशिकों का सिगरेट जुड़ाव है,, सिगरेट। रसौ वै स: ,इस सूक्ति को सार्थक करती है अर्थात, सिगरेट रस रूप है। वह जाज्वल्यमान होते ही हम सभी को प्रेरित करती है कार्यों कि ओर ,वह सिद्ध करती है , उपनिषद की इस सूक्ति को " उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।" वह चित्रकार भी है ,हवा में उड़ता उसका धुआं अनेकानेक चित्रों का निर्माण करता है ,तितली मोर, न जानें क्या क्या, कभी कभी लगता है कि,सिगरेट ही पिकासो की अभिप्रेरणा रही होगी☺️ सिगरेट ,भेदभाव रहित है ,वह छुआ _ छूत ऊंच _नीच आदि कुरीतियों से कोसो दूर है कोई उसे राजमहल में ग्रहण करे ,या चौराहे पर कोई युवा करे या बुजुर्ग, वह सबके साथ समान व्यवहार करती है 😁 प्रातः। काल उठते हि जैसे हि वह मेरे अधरों से लगती है ,तो लगता है कि किसी नई नवेली नायिका ने अपने कोमल अधर मेरे अधरों पर आहिस्ता से रख दिए हों , और फिर कड़क आलिंगन करके इठलाती हुई , रसोई घर की तरफ चली गई हो ,💓 अंत में कहूं तो । सिगरेट वस्तु मात्र नहीं है । सिगरेट अंत है प्रारंभ का🤘😇 ©पूर्वार्थ #सिगरेट
Ammara Hussain
ये जो तुम सिगरेट की कश ले कर धुआँ मे उड़ाते हो मेरे साथ ज़ीने के हार पल कम करते जाते हो #अम्मारा #सिगरेट
कवि शशांक शेखर त्रिपाठी
आज बरसों बाद सिगरेट पिया मैने इस उम्मीद में शायद तुम फिर आओ मेरे करीब और मुझसे लिपट कर रोते हुए कहो नो स्मोकिंग, नो ड्रिंकिंग सिगरेट
सिगरेट
read moreबड़े साहब 2.O
अच्छा सुनो... एक अंगार होंठों पर रह गया है... सिगरेट की तरह इसे आकर बुझा दे कि.. मेरा ख़्वाब नींद के बदन से राख की तरह झड़ता है..! #बड़े_साहब #सिगरेट
-Kumar Kishan Krishan Kr. Gautam
ये सिगरेट और इसका कस तुम्हारे सारे गम भूला रहे है ये सिगरेट जो तुम्हारी यादें थीं उनकी सौतन बनती जा रही है, क्या तुम को ये तन्हाई सताती है जाना तुम इनकी आशना में आओ सब कुछ और बेझिझक तड़प सब आदतें भूला देती है, तुम भी कभी इनका ख़याल करो इनकी चाहतें बेहिसाब है। #कुमार किशन #सिगरेट