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Deep shayari with Navdeep

##डरते हो

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Anand Prakash Nautiyal tnautiyal

#क्यूँ डरते हो# #कविता

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क्यूँ मुश्किल से डरते हो तुम,क्यूँ कर्मों से डरते हो,
क्या है जो तुम कर नही सकते, क्यूँ मंजिल से डरते हो,
धरती ने भी बोझ उठाया,पर्वत भी पत्थर संग जीता,
नदियाँ भी सागर में गिरती, वन में हिरन संग में चीता,
कौन बताओ जो बिन मुश्किल के इस दुनिया में जीता,
है कायर जो मानव बनकर मरने को भी विष पीता,
जन्म लिया तो भ्रम काहे का क्यूँ जीने से डरते हो,
क्या डरपोक, अधीर अचल से, सबसे डर के रहते हो,
कुछ तो लाज रखो उस रब की जिसने तुम्हे बनाया था,
तन मन से मजबूती दी और हर कौशल सिखलाया था,
पता चलेगा बहुत डरेगा तुम जैसे डरपोकों से,
फिर तो सोच समझकर देगा मानव वो उन लोकों से. #क्यूँ डरते हो#

Savya Sachi

कागज़ से क्यूँ डरते हो?

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Gulshaad Khan

अंधेरे से क्या डरते हो।

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अंधेरे से क्या डरते हो, 
रोशनी को अपना बना लो,
डर से क्या डरते हो, 
खुदा पे ऐतबार जगा लो,
 कुछ नही यहां, 
यहां सब आंखों का धोखा है,
कौन रुका है वक़्त से ज़्यादा, 
और किसने किसको रोक है,
जो तुम ये खुद के एहम बनाये बैठे हो,
गुलशाद युहीं फ़िज़ूल वहम बनाये बैठे हो,
कि सबको छोड़ना  है एक दिन जहां,
और सब कुछ अभी है इसही वक़्त में यहां,
तो जी लो जी भर के ज़िन्दगी 
ये आखिरी मौका है,
कौन रुका है यहां, 
और किसने किसको रोक है। अंधेरे से क्या डरते हो।

Vic@tory

खोने से डरते हो…! #Shayari

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Raviraaj

#खोने से डरते हो? #शायरी

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ये जो तुम! 
छोटी छोटी बातों को, दिल से लगा लेते हो।
लगता है, तुम्हारे घांव बड़े गहरे है।।

©Raviraaj #खोने से डरते हो?

Savya Sachi

कागज़ से क्यूँ डरते हो?

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pramod malakar

#हिंदू होकर हिंदुत्व से डरते हो तुम! #कविता

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हिंदू होकर हिंदुत्व से डरते हो तुम
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प्रमोद को  बांध नहीं सकता  कोई अपने  मन के खूंटी में,
मैं कैद कर रखा हूं तुम्हारे दिलो-दिमाग को अपने मुट्ठी में।
तुम्हारे बढ़ने वाले हर कदम का गलियारा मेरा है,
तुम्हारी आंखों की रोशनी से होता रोज सवेरा है।
उंगली   जिधर  भी  चलती  है  नटखट   तुम्हारी,
शब्द  निचोड़  कर  कमेंट करती  है सोच हमारी।
हिन्दू हो कर हिन्दुत्व से डरते हो तुम,
सर कटते हुए देख कर भी गुम सूम रहते हो तुम।
कभी महंगाई कभी बेरोजगारी का रोना सर पर सवार है,
मुफ्त कि आदत से हुआ इंसानियत बीमार है।
धर्म  संकट में  है पर समझ  नहीं रहा  है कोई,
घर जलने वाला है फिर भी मन मस्ती में है खोई - खोई।
35 टुकड़े करने वाला धर्म तमाशा देख रहा है,
हिन्दू कितना बेशर्म है मोदी , योगी का आशा देख रहा है।
उठो नौजवानों आग लगा दो अब भी अपने सीने में,
भगवान कण - कण में है नहीं है सिर्फ मदीने में।
अस्त्र शस्त्र लिपटी है गेरुआ वस्त्र सूती में,
प्रमोद  को बांध नहीं सकता कोई  अपने मन के  खूंटी में,
(((((((((((((((((((((((((())))))))))))))))))))))))))))
प्रमोद मालाकार की कलम से।

©pramod malakar #हिंदू होकर हिंदुत्व से डरते हो तुम!

Sonam Creative

#क्यों डरते हो गणित से? #thought

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गणित से न 
भागो तुम
खेल २ में गणित को 
जानो तुम
गणित पर है संसार टिकी
गणित को 
पहचानो तुम। #क्यों डरते हो गणित से?

Jagseer Jassal

तुम कयामत से डरते हो ! हमारी हर साँस कयामत है।

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तुम कयामत से डरते हो !
हमारी हर साँस कयामत है। तुम कयामत से डरते हो !
हमारी हर साँस कयामत है।
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