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Kavi Aditya Shukla
White लिया था प्रण लिखने को रश्मिरथी पर लिख रहा हूं मधुशाला ©Kavi Aditya Shukla कविता कोश कविता
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read moreकवि प्रभात
White टूटने वाले तारे देता फिरे जब की तू ही प्रतिपल भाई गिरे भव कितना है निर्दय पता चल गया न सोचे जो पीड़ित न दूँ पीड़ा रे ©कवि प्रभात #good_night कविता कोश कविता कोश
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read moreपूजा सक्सेना ‘पलक’
White मुझे अमावस्या की ओर बढ़ते, चाँद के सफर-सा, प्रेम नहीं चाहिए तुम्हारा।। * मेरी चाहत है..., मुझे शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के सफर पर चलते चाँद-सा, पूर्ण, उज्जवल और पवित्र प्रेम मिले तुम्हारा। ©पूजा सक्सेना ‘पलक’ #Love कविता कोश कविताएं प्यार पर कविता कविता कोश
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read moreDev Rishi
"वह कौन रोता है इतिहास के अध्याय पर "..!! जहां तक इस प्रश्न के जवाब...उसी कमरे में बैठे लोगों से ली जा सकती हैं। क्यों कि, उसके आत्मा के गाढ़े कभी खुल ही नहीं पाते हैं। रात ऐसा लगता है .. दीवाली हो रही है। ... एक नुतन श्रृंगार (भाग 2) __ देव ऋषि मान ©Dev Rishi कविता कोश
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read moreHariom Shrivastava
Suno Chaand आपको व आपके परिवार को 'शरद पूर्णिमा' की बधाई एवं शुभकामनाएँ, तथा -दो दोहे- शरद पूर्णिमा पर्व की, बड़ी अनोखी बात। इस दिन होती चाँद से, रात्रि अमृत बरसात।। शरद पूर्णिमा चाँद की, धवल चाँदनी खास। इसीलिए श्रीकृष्ण ने, रचा इसी दिन रास।। -हरिओमश्रीवास्तव- ©Hariom Shrivastava #Moon कविता कोश कविता कोश
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read moreHarishh,,,
सुबह हो तुम शाम हो तुम, राग हो तुम वैराग हो तुम, मेरे हृदय के दीप मेरे चारों धाम हो तुम, जो जग की मानूँ तो हँस दूँ उन पर मैं तुम्हारा सेवक मेरे घनश्याम हो तुम! ©Harishh,,,,, कविता कोश
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read moreAakansha shukla
पल भर के लिए कल्पना कीजिए, फोन, दूरदर्शन, अन्य सभी, बिजली चलित उपकरणों, को खुद से दूर कर दीजिए। कितना भयावह दृश्य वो होगा, कितना शांत वातावरण होगा। उस शांति में भी एक भय होगा, मन में बस एक सवाल होगा। कैसे अब दिन में गुजारा होगा, कैसे अब किसी से बात होगा। कैसे गर्मियों में पानी ठंडा होगा, कैसे ठंड में हीटर चालू होगा। इन सवालों के बाद हमारे, पास बस एक रास्ता होगा। संस्कृति से अपनी जुड़ने का, सिर्फ एक ही वास्ता होगा। फोन के बगैर किताबों, पर हम सब ध्यान देंगे। फ्रिज के बगैर गगरे, का ठंडा पानी पियेंगे। त्योहार मनाने के लिए, सभी से मिलने जायेंगे। खेल-कूद कर अपनी, स्फूर्ति और उम्र बढ़ाएंगे। एक बार फिर दादी-नानी, अपनी कहानियां सुनाएंगी। पुरानी परंपराओं से हम, अपने रिश्ते सुलझाएंगे। बिन यंत्रों के अपने जीवन, को हम खुशाहाल बनायेंगे। बिन यंत्रों के भी जीवन में, सुख-शांति हम पाएंगे। ©Aakansha shukla कविता कोश
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read moreSarita Kumari Ravidas
आधी अधूरी जैसी भी हूं सबसे पहले इंसान हूं मैं नासमझ नादान जो भी हूं आंखों में आसूं लिए इक आस हूं मैं माना हूं भरोसे में..... मैं कुछ से धोखे खाईं राहों में मुश्किले तो सभी की आनी है पर किससे कहूं? सबसे पहले इंसान हूं मैं।। ©Sarita Kumari Ravidas #Parchhai कविताएं कविता कोश कविता कविताएं कविता कोश
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