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Sneha Agarwal 'Geet'
जीवन कुछ पल का, तुम इस तरह जीना, कि बिन तेरे लगे, ए साथी! सब सूना सूना। मृत्यु जब सखी बन, तुझे गले लगाने आये, ले जाते हुए तुझे, हाथ उसके भी कंपकंपायें। सुनहरी यादें ही बस इस जग में रह जानी है, ये जिंदगी तो बस पल दो पल की कहानी है। मुसाफ़िर है,ए इंसां! तू यहाँ कुछ ही पल का, हँस के जी ले जिन्दगी, क्या भरोसा कल का। अटल सत्य है ये कि, जो आयेगा,वो जायेगा, जो जान लेगा ये सच, वो ही सदा मुस्कुरायेगा। ©Sneha Agarwal 'Geet' #सनेहा_अग्रवाल #मैं_अनबूझ_पहेली
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चाहा है मैने किस कदर तुझे,सिवा मेरे कोई बता नहीं सकती। दिल लुभाने कोआयेंगी बहुत,वफ़ा हर कोई निभा नहीं सकती। जब तक है ये हुस्न,ये जवानी,संग तेरे है हसीनाओं का मेला, ढ़लती जवानी में मुझ सी हमसफ़र,कोई और संग तेरे मुस्कुरा नहीं सकती। ©Sneha Agarwal 'Geet' #सनेहा_अग्रवाल #मैं_अनबूझ_पहेली
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बनकर के मीत साथ निभाना तुम, प्रीत की डोरी को महकाना तुम। लिख दूँ ग़ज़ल और गीत तेरे लिए, पढ़कर के जरा सा मुस्कुराना तुम। तुम बनो सुर मेरा,धुन मैं बन जाऊँ, संगीत कोई नया फिर बनाना तुम। सूनी सूनी सी है जीवन की बगिया, बनकर के बादल बरस जाना तुम। चाँद की चाँदनी बुला रही मनमीत ख़्वाब मिलन के अब सजाना तुम। #सनेहा_अग्रवाल #मैं_अनबूझ_पहेली #गजल_सृजन
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बारिश की बूँदें, किस्सा मोहब्बत का बता रही। सुहानी रुत में देख चाँद को,ये फिज़ा शरमा रही। वस्ल की रात में, चाँदनी का यूँ मचल उठना, मानो चाँद के दीदार का,वो चिलमन हटा रही । चढ़ चुका प्रेम का परवान, महक उठी फिजायें, रात की रागिनी दुल्हन सी, दीदार को तरसा रही। मिलन का वादा लिए, ढल रहा है पूनम का चाँद, रात बनकर काली घटा , आँचल अपना फैला रही। मिलकर चल रहे दोनों, हमसफ़र बनकर के साथ, देख ये नज़ारा आज, 'गीत' मोहब्बत के सुना रही #सनेहा_अग्रवाल #मैं_अनबूझ_पहेली #गजल_सृजन
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कबीर और तुलसी के ये दोहे सजाती। गीता और रामायण का सार भी बताती। ऐसी सुंदर, सरल है ये अपनी मातृभाषा, कोरे कागज़ पे सुंदर गीत बन सज जाती। हिन्दी और हिन्द पर अब करो अभिमान। हिन्दी अपनी मातृभाषा, है ये अपनी शान। गर्व करो हिन्दी पे सब हिन्द देश के वासी, तभी बनेगी हिन्दी की चहुँ ओर पहचान। मत करो तुम, हिन्दी भाषा का तिरस्कार। मिले इसमें अपनापन, सिखाती है प्यार। माँ के आँचल सी लगे, देती ममता की छाँव, रिश्तों में मान बढ़ाये, मिले स्नेह दुलार। #सनेहा_अग्रवाल #मैं_अनबूझ_पहेली #Hindidiwas
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तेरे इंतज़ार में ,आज भी हर ख़्वाब सजाये बैठे हैं, अब तो आलम ये है कि हम खुद को भुलाये बैठे हैं। तेरे रूठ जाने का अंदाज़ भी तो था कितना हसीं, तेरी हर अदा से हम, इस दिल पे चोट खाये बैठे हैं। सावन,भादो सब बीत गये और बीत गई रुत सुहानी, अब तो आओगे तुम,हम ये दिल को समझाये बैठे हैं। राह तके ये निगाहें तेरी, पर अब तलक तुम न आये, अब तो लगता है कि बेदर्दी,हमें यूँ ही फुसलाये बैठे हैं। बताओ "गीत" के मीत, तुम इतना क्यों बदल गये अब, हम आज भी तेरा दिया गुलाब किताब में दबाये बैठे हैं। ©Sneha Agarwal 'Geet' #सनेहा_अग्रवाल #sneha_geet #गजल_सृजन
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इस इश्क़ इबादत पे साजिशों का पहरा होता है। फिर भी इश्क़ तो इश्क़ है,कब कहाँ ठहरा होता है। आसान नहीं है इश्क़ में अनारकली सा बन जाना, दिल में दर्द और आँखों में समंदर भरा होता है। ©Sneha Agarwal 'Geet' #सनेहा_अग्रवाल #sneha_geet #साहित्य_सागर #sahityasaghar
Sneha Agarwal 'Geet'
सरकार इतनी बदनाम क्यों है। विपक्ष का ये ओछा काम क्यों है। राम राज्य फिर से लौट के आ रहा, फिर परेशान-सी आवाम क्यों है। ये कौनसे विद्रोह की हो रही तैयारी, सड़कों पे आज इतना जाम क्यों है। फुसला रहे तुम आज अन्नदाता को, सोच में तुम्हारी इतना तामझाम क्यों है। उजाड़ रहे तुम 'गीत' के गुलिस्तां को, शहर में तुम्हारे कत्लेआम क्यों है। ©Sneha Agarwal 'Geet' #सनेहा_अग्रवाल #sneha_geet #साहित्य_सागर #गजल_सृजन
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