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Anu Mittal
आख़िरिश हमको घर से निकलना पड़ा वक्त बदला तो हमको बदलना पड़ा जिस गली में न जाने की खाई कसम उस गली से भी आख़िर गुज़रना पड़ा हमकदम न मिला हमसफर न मिला भीड़ में हमको तन्हा ही चलना पड़ा चलते चलते जहां पे कदम रुक गये हादसों को भी रस्ता बदलना पड़ा आदतन शमा महफ़िल में रौशन हुई फितरतन परवानों को जलना पड़ा अनु "इंदु " अनु मित्तल ' इंदु '
अनु मित्तल ' इंदु '
read moreMehfil-e-Mohabbat
लोग मिलते हैं,भूल जाते हैं धूल उठती है बैठ जाती है ©राहुल रौशन अश्वनी मित्तल भैया♥️
अश्वनी मित्तल भैया♥️ #शायरी
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ज़िंदगी को कुछ इस तरह से जियो जब मरो तो कहो मज़ा आ गया ©राहुल रौशन अश्वनि मित्तल भैया ♥️
अश्वनि मित्तल भैया ♥️ #शायरी
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रात को रोक लिया, दिन को भी ढलने न दिया आतिशे इश्क़ ने कभी दिल को संभलने न दिया अपने दुश्मन तो हमीं ख़ुद हैँ,गिला किससे करें हम तो रुसवा भी हुये जाम छलकने न दिया हमने धड़कन को भी सीने में छुपा कर रखा हद के अंदर भी अरमां को मचलने न दिया जी में आया कि नईं दुनियां बसा लें लेकिन हसरते दीद ने वादों से मुकरने न दिया आतिशे इश्क़ ने झुलसा के रख दिया हमको राख होने न दिया, हमको सुलगने न दिया किसी मुफलिस की पूंजी की तरह रखा है खत जलाये थे मगर यादों को जलने न दिया अनु 'इंदु' हसरतें अनु मित्तल ' इंदु '
हसरतें अनु मित्तल ' इंदु '
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Natural Morning खुरच दूँ इन यादों को दिल से,अगर कोई औजार मिले तब कहीँ इस दिल को मेरे ,शायद कुछ करार मिले मिटने लगी हैं अब तो इन हाथों की लकीरें भी अब तो अपनी मर्ज़ी से जीने का इख्तियार मिले राहों में घेर लेते हैं लम्हे गुजिश्ता रातों के कब तक पनाह ढूंढे कोई ,कहाँ तक फरार मिले कुछ देना है तो दो हमें मंजिल का कुछ सुराग क्यूँ हमें इन राहों का गुबार ही हर बार मिले बेहद पुरइत्मीनान थीं उसकी रिफाकतें अगर फिर क्यूँ खुशी के बदले में ग़म ही बेशुमार मिले अनु "इंदु" हसरतें .....यादें अनु मित्तल इंदु
हसरतें .....यादें अनु मित्तल इंदु
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अपनी तदबीर से कुछ रंग तो भरना होगा अब तो तक़दीर की जुल्फों को संवरना होगा कौन बदलेगा कुदरत के उसूलों को यहां वो अगर खुशबू है तो उसको बिखरना होगा हर बुलंदी का अंजाम यही है यारो चढ़ते सूरज को समंदर में उतरना होगा हरेक शख्स के हिस्से में है यह रंगे सहर उगते सूरज की किरणों को बिखरना होगा उसके माथे पे शिकन पड़ती है तो पड़ जाये इस हक़ीकत से हम सब को गुज़रना होगा अनु"इँदु " हसरतें ....यादें अनु मित्तल 'इंदु '
हसरतें ....यादें अनु मित्तल 'इंदु '
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इश्क की राह से कभी मैं भी गुज़र कर देखूं , तुम्हारे हिज्र में कभी मैं भी बिखर कर देखूँ लोग कहते हैं बड़ा लुत्फ़ है इस दर्द में भी , तुमसे मिल लूँ तो ज़रा, मैं भी बिछड़ कर देखूं तेरे मयखाने से चला आता हूँ बिन पिये अक्सर लड़खड़ाऊं तो सही , तब तो सम्भल कर देखूँ मशवरा मुझको दिया करती है दुनियाँ अक्सर पहले बिगड़ूँ तो ज़रा , तो ही सुधर कर देखूँ खुद से मिलना भी मयस्सर नहीं होता मुझको तुम से निकलूं तो ज़रा ,खुद से भी मिल कर देखूँ अनु"इंदु " हसरतें ....यादें अनु मित्तल ' इंदु '
हसरतें ....यादें अनु मित्तल ' इंदु '
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