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Ashu
परेशान हा मै हु परेशान , क्यों की जितनी सोची थी जिंदिगी उससे भी कड़वी निकली ,समय के थपेड़ों ने ऐसा मारा है कि देखते देखते सब बिखर गया, अब चाह कर भी सब समेट नहीं सकता ,बहुुत रुलाया है रे तूने ए जिंदगी ,मुझे भी हक़ था खुश रहने का ,अगर सब कुछ लेना ही था तो शुरू से ही न दिया होता कुछ भी ,तू तो आज कल के इंसान से भी गयी गुजरी निकली अब इसे तेरी गलती कहूं या मुझें सजा दिया तूने ,अगर गलती की है तूने तो कभी माफ़ नही करूँगा मै, अगर सजा दी है तो फिर मुझे मेरी गलती बता। #परेशान #अनियंत्रित #जिंदगी
Kamal bhansali
जब कभी काले बादलों के साये नभ में छा जाते तब यह सोचकर परेशान हो जाता गहन बरसात में बादलों का रंग क्यों बदल जाता फिर यह सोच कर संतोष कर लेता जब भी जीवन का मौसम खराब हो जाता है और वक्त की हवाये विपरीत चलने लगती तो अपनों के चेहरे का रंग भी तो कुछ इस तरह ही उभर कर सामने आता। इसमें आश्चर्य करने जैसा कुछ भी नहीं है सब यथार्थ की वास्तिविकता है। ✍👬कमल भंसाली यथार्थ अवलोकन
यथार्थ अवलोकन
read moreKapil Tomer
आत्म अवलोकन: सुख का आभास -------------------- हर व्यक्ति खुद की नज़रों में,यदि बुरा दिखाई देता हो। दिल के अंदर हर एक वक्त,बस "मैं" ही सुनाई देता हो। समझ जाओ की मद में हो, हल्का थोड़ा मन कर लो, वक़्त यही है खुद का तुम,खुद से अवलोकन कर लो। ✍️कपिल वीरसिंह 9259242665 ©Kapil Tomer आत्म अवलोकन
आत्म अवलोकन
read moreduggu_durgesh
इस दुनिया की हेरा फेरी में हम इतना बदल गए है, अपनी ही गलियों में हम स्वयं भटक गए है, समझ नही आता खुद से शिकायत करु या शाबाशी क्योंकि चंद पल की खुशियो के खातिर हम खुद का वजूद भूल गए हैं!! -दुर्गेश पाल #आत्म अवलोकन
Sarita Shreyasi
निज विकास हेतु आवश्यक हैं, संरक्षण एवम् वर्धन : अपने सद्गुणों का परित्याग एवम् सुधार : अपने विकारों का स्वीकार एवम् अर्जन : औरों की अच्छाईयों का निराई एवम् विसर्जन : अर्जित नकारत्मकता का और यह संभव है, जब हम सजगता से करते हैं नित्य अवलोकन अपने मन में चलते विचारों का । मन का सजग अवलोकन
मन का सजग अवलोकन
read moreरसिक उमेश
वो गांव की तलहटी वो महुआ के पेड़, जहां बिताया बचपना अब हो गए अधेड़। हरियाली खेतों में रिमझिम बारिश की फुहार, वो मनुहार लगे अपना सा देख प्रकृत श्रृंगार। चल फिर बसते हैं अपनी उस नदिया के पार, जहां बिताया बचपन अपना सपनो का संसार। ©रसिक उमेश #प्रकृत का अवलोकन:- #Sunrise
अशोक द्विवेदी "दिव्य"
दहेज़ समाज में प्रतिष्ठा का सूचक हैं। ©अशोक द्विवेदी "दिव्य" #दहेज़ #समाज #अवलोकन #दोहरापन
Shravan Goud
अपना आंकलन समय समय पर करने से मनोबल बढता है। आंतरिक अवलोकन करना चाहिए
आंतरिक अवलोकन करना चाहिए
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