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Mihir Choudhary
तुमने तो हँस के पूछा था बोलो न कितना प्रेम है बोलो कैसे मैं बतलाता बोलो ना कैसे समझता जब अहसास समंदर होता है तो शब्द नही फिर मिलते हैं उन बेहिसाब से चाहत को कैसे कैसे मैं बतलाता बोलो न कैसे दिखलाता बोलो न कैसे समझता तब भी हिसाब का कच्चा था अब भी हिसाब का कच्चा हूँ जो था वो ना मेरे बस का था अब तो जो हालात हुए उनसे तो मैं अब बेबस हूं अब अंदर -अंदर सब जलता है लावा जैसा सा कुछ पलता है धीमे धीमे कुछ रिसता है कुछ टूट-टूट के पीसता है नस-नस मैं जैसे कुछ खौलता है धड़कन बिजली सा दौड़ता है अब बेहिसाब ये यादे है बस बेहिसाब ये चाहत है बोलो क्या वो प्रेम ही था बोलो न क्या ये प्रेम ही है मिहिर... बिरहा
बिरहा
read moreRajashree Mali
किती सावरू मी स्वतःला ,मन काही ऐकत नाही,न राहून सारखा सारखा तुझाच विचार येतो , किती समजवायचा त्या मनाला ,मन ऐकेल पण हृदय काही ऐकत नाही, डोळे मिटल्यावर तुझाच चेहरा दिसतो, सतत तुझेच भास होतो. किती सावरू मी स्वतःला . तुझ फोटो पाहून मन माझे वेडे होते आणि हृदय मात्र हसू लागते , तुझे विचार आल्याशिवाय ऐक क्षण ही राहवत नाही. किती सावरू मी स्वतःला . हृदयाला तुला गमावण्याची भीती वाटत राहते , सतत वाटत असते ती दूर गेला आहेस, आणि डोळ्यात आश्रु जमा होतात,मन खूप भरून येते ,खूप राडवस वाटत,पण रडता येत नाही, कुणालातरी सगवेसे वाटते , पण कोणीच नाही मिळत, किती सावरू मी स्वतःला . #किती सावरू मी स्वतःला # प्रेम
#किती सावरू मी स्वतःला # प्रेम
read moreAnuj Ray
" बिरहा की रातें" न धुंआ न कहीं ,आग जला करती है, बिरहा की रातें यूं ही ,खामोश जला करती हैं जलता है बदन आग की लपटों में,दो बूंद की उम्मीद लिये, बेबसी हाथ मला करती है। फागुन का महीना हो, या घनी सावनी रातें, पिया मिलन की आस में, यूं ही ख़ला करती हैं। ©Anuj Ray #बिरहा की रातें
#बिरहा की रातें
read moreAzaad Pooran Singh Rajawat
"तेरी यादों के सहारे दिन कट जाता है कट जाती है रात वो पल सुकून भरा होता है जब होती है सपने में तुझसे संजीदा मुलाकात टूटते ही सपना तुझसे मिलने को दिल करता है सच है सखी विरह में प्रेम पलता है खुदा मेहरबान होगा जल्द मिलेंगे हम दोनों दिल से दिल लगाकर उड़ेल देंगे इक दूजे को अपना संचित प्यार करके बयां दिल का हर जज़्बात।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #Youme सच है सखी बिरहा में प्रेम पलता है
Deepak Shah (Sw. Atmo Deep)
नज़्म - "बिरहा की तितली" सूरत देखने वाले क्या जानें, इस दिल पे क्या बीती? दिल जाने या रब जाने, हमारे दिल पे क्या गुज़री! #nazm #कविता #nojotohindi #hindipoetry #हिन्दी #ShahNamaByDeepakShah #KachcheAkshar
read moreDr. Nazim Kundarkivi
भीगी शब सूना जंगल बिरहा की मारी घबराई डा नाज़िम मुरादाबादी✍︎ ©Dr. Nazim Moradabadi भीगी शब सूना जंगल बिरहा की मारी घबराई डा नाज़िम मुरादाबादी✍︎
भीगी शब सूना जंगल बिरहा की मारी घबराई डा नाज़िम मुरादाबादी✍︎ #Shayari
read moreThe creativity of Anil Rathore
प्यार इतना जताने का क्या फायदा, बिरहा में तड़फड़ाने का क्या फायदा l जब बिछड़ना ही है एक दिन राह में, पथिकों से दिल लगाने का क्या फायदा ll पूरा जो होे सके स्वप्न देखो वही, व्यर्थ आशा जगाने का क्या फायदा l न हो मोहन के मिलने की संभावना, बनके राधा लुभाने का क्या फायदा ll नियति ने ही लिखा, नियति का फैसला, फिर नियत डगमगाने का क्या फायदा l प्यार इतना जताने का क्या फायदा, बिरहा में तड़फड़ाने का क्या फायदा ll #SelfWritten...✍️ ©Anil_kr93 प्यार इतना जताने का क्या फायदा, बिरहा में तड़फड़ाने का क्या फायदा l जब बिछड़ना ही है एक दिन राह में, पथिकों से दिल लगाने का क्या फायदा ll
प्यार इतना जताने का क्या फायदा, बिरहा में तड़फड़ाने का क्या फायदा l जब बिछड़ना ही है एक दिन राह में, पथिकों से दिल लगाने का क्या फायदा ll #poem #SelfWritten
read moreAnamika Nautiyal
सारी नदियाँ नहीं पहुँच पाती सागर से मिलन के लिए ठीक उसी तरह हर प्रेमिका नहीं पहुँच पाती है अपने प्रियतम तक कुछ लूनी बन जाती हैं। मिलन हमेशा संभव नहीं होता क्योंकि कुछ विरह नायिकाओं का होना भी आवश्यक होता है प्रेम के इस पहलू को परिभाषित करने के लिए।
मिलन हमेशा संभव नहीं होता क्योंकि कुछ विरह नायिकाओं का होना भी आवश्यक होता है प्रेम के इस पहलू को परिभाषित करने के लिए। #नदी #अनाम #बिरहा #रात्रिख्याल #अनाम_ख़्याल #mynightquote #लूनी
read moredevanti devi
तेरी चाहत में तेरी हसरत है मुझे बहुत सताती है तेरी इच्छा पर तेरी हसरत है मुझे बहुत सताती है शुन्य गगन में चपला चमकी बही मन्द पुरबाइ सच मानो मित्र हमें उसी क्षण याद तुम्हारी आई गया हृदय का कोना कोना तक्षण बिरहा कुल हो फुट पड़ी जल की
Secret Quotes
बस आता जमलंच तर लवकर ये फक्त, ओढ लागलीये भेटीची आतुरता वाढत आहेत डोळे भरून तिला बघण्याची, एक भेट महत्वाची आहेत तिची अन माझी राहवत नाहीये आता दूर अजून बाळा, काळजी वाढत आहेत खूपच बाळाची, जीव झुरतोय धड पड बघ या देहाची, मनी अंतरी भास होतोय तिचा डोळे उघडता त्रासाने अश्रू पण अनावर होत आहेत आता, खूप दिवस झालेत आता मिठीत घेण्या हट्ट होतोय मनी तळमळतोय देह माझा, जणू आता परत ओढ लागलीये प्रीतीची.. AS Patil✍️ अट्टहास होत आहेत मन व्याकूळ विचार स्तब्ध शरीर स्थीर प्राण जड वाटू लागलेत स्वतःचे, स्वतःला सावरणे पण कठीण होत आहेत आता,. वेळेला सावरू शकलो पा
अट्टहास होत आहेत मन व्याकूळ विचार स्तब्ध शरीर स्थीर प्राण जड वाटू लागलेत स्वतःचे, स्वतःला सावरणे पण कठीण होत आहेत आता,. वेळेला सावरू शकलो पा
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