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Prem Nirala
उद्भट राजनीतिज्ञ , महाप्रतापी, महापराक्रमी योद्धा , अत्यन्त बलशाली , शास्त्रों का प्रखर ज्ञाता , प्रकान्ड विद्वान पंडित एवं महाज्ञानी रावण की लंका फुकने आज न जाने ऐसे ही कितने राम उस भीड़ में आएँगे जिसके अंदर एक दुशासन छुपा होगा, कलयुग के द्रौपदी के लिए! क्यूँ कि रावण जहाँ दुष्ट था और पापी था, वहीं उसमें शिष्टाचार और ऊँचे आदर्श वाली मर्यादायें भी थीं। राम के वियोग में दुःखी सीता से रावण ने कहा है, “हे सीते! यदि तुम मेरे प्रति काम-भाव नहीं रखती तो मैं तुझे स्पर्श नहीं कर सकता।” prem_nirala_ उद्भट राजनीतिज्ञ , महाप्रतापी, महापराक्रमी योद्धा , अत्यन्त बलशाली , शास्त्रों का प्रखर ज्ञाता , प्रकान्ड विद्वान पंडित एवं महाज्ञानी रावण क
उद्भट राजनीतिज्ञ , महाप्रतापी, महापराक्रमी योद्धा , अत्यन्त बलशाली , शास्त्रों का प्रखर ज्ञाता , प्रकान्ड विद्वान पंडित एवं महाज्ञानी रावण क #prem_nirala_
read moreDr Jayanti Pandey
नि:शस्त्र होकर भी मां सीता ने,अहंकार को धूल चटाया था लंकापति को उसकी ही लंका में , घुटनों के बल बैठाया था। सीता माता की छाया से ही, दुष्ट रावण की लंका हांफी थी मां के तपोबल के तेज से, रावण की चंद्रहास भी कांपी थी। रावण बड़ा पराक्रमी था और सारी दुनिया उसके वश में थी पर एक स्त्री के अपमान की कीमत,उसके सारे कुल ने दी। न राम सा जननायक जग में,न ही वैदेही से सतीत्व की नारी दोनों की नयनाभिराम मनोहारी छवि , तीनों लोक से न्यारी। 🌝प्रतियोगिता-34 🌝 🌷"वास्तविक योद्धा सीता"🌹 नि:शस्त्र होकर भी मां सीता ने,अहंकार को धूल चटाया था लंकापति को उसकी ही लंका में , घुटनों के बल
🌝प्रतियोगिता-34 🌝 🌷"वास्तविक योद्धा सीता"🌹 नि:शस्त्र होकर भी मां सीता ने,अहंकार को धूल चटाया था लंकापति को उसकी ही लंका में , घुटनों के बल #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqhindi #yqpoetry #क़लम_ए_हयात #jayakikalamse #वास्तविक_योद्धा_सीता
read moreHarshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat ना कर कमज़र वाली हरकतें सुन ,माधव के पीर पराई नारी की शक्ति क्षमता वहीं ललकार ना तू उसके स्वाभिमान को ना रखती फिर उधार अपने अस्तित्व पे लगे अभिशाप को तू राघव बन जा कर से मुक्त ख़ुद की तृष्णा प्रण कर ख़ुद को अहंकार में दबी पोरुश वाली बात हमेशा याद ख़ुद को मुझको ना जाने कितनी शिकायतों में ख़ुद को झोंक चुकी हूं, बन हनुमान अब रावण की लंका को ख़ुद ही तू जला चुका अभिमान को सोच रही सितारों में तेरा भी एक नाम गढ़वाती हूं तेरी सोच को ख़ुद के है कदमों मै रोज़ गिरते हुए क्र्यूं देखना चाहती हूं इज्ज़त दांव पर लगवा कर ख़ुद को मैं का अहम समझने वाले को रावण पराक्रमी योद्धा सा भस्म होते हर बार क्र्यूं देखना चाहती हूं ©️ जज़्बात ए हर्षिता #restzone #relationship #women #responsibility #yqbaba #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat ना कर कमज़र वाली हरकतें सुन ,माधव के पीर
#restzone #Relationship #Women #responsibility #yqbaba #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #jazzbaat ना कर कमज़र वाली हरकतें सुन ,माधव के पीर
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
विषय :- माँ सीता विधा :- सार छन्द राम-राम सुन बोल उठी फिर , देखो सीता माता । कौन छुपा बैठा उपवन में , नही सामने आता ।। राम-राम सुन बोल उठी फिर ..... लगता तुम भी मायावी हो , छल करते हो हमसे । होते भक्त अगर तुम प्रभु के , छुपे न होते हमसे ।। नार पराई को हर लेना , लंकापति को भाता । राम-राम सुन बोल उठी फिर..... सुनो मातु मैं भक्त राम हूँ , तुम्हें खोजने आया । साथ शक्ति मैं इस लंका की , आज परखने आया ।। देर नही अब और लगेगी , मैं विश्वास दिलाता । राम-राम सुन बोल उठी फिर .... कह दो जाकर मेरे प्रभु से , मन मेरा घबराता । पापी रावण की लंका में , और न ठहरा जाता ।। आकर संग चले ले हमको , वो हैं सबके दाता । राम-राम सुन बोल उठी फिर .... कभी-कभी तो सोच-सोच कर , होती मन में उलझन । बिन उनके बीतेगा कैसे, मेरा अब यह जीवन ।। क्यों इतनी अब देर लगाये , तोड़ लिए क्या नाता । राम-राम सुन बोल उठी फिर .... ०९/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय :- माँ सीता विधा :- सार छन्द राम-राम सुन बोल उठी फिर , देखो सीता माता । कौन छुपा बैठा उपवन में , नही सामने आता ।।
विषय :- माँ सीता विधा :- सार छन्द राम-राम सुन बोल उठी फिर , देखो सीता माता । कौन छुपा बैठा उपवन में , नही सामने आता ।। #कविता
read moreलंकापति दशानन रावण
#ज़िंदगी 😌 चाहे #एक_दिन ☝ की हो या चाहे #चार_दिन ☺ की, उसे #ऐसे_जियो 😉 जैसे कि #ज़िंदगी_तुम्हें ☝ #नहीं_मिली, 😒 ज़िंदगी 😌 को #तुम_मिले 👫 हो ।। 😘😍 ©लंकापति दशानन रावण लंका पति रावण😎
लंका पति रावण😎 #ज़िंदगी #लव #तुम_मिले #एक_दिन #चार_दिन #ऐसे_जियो #ज़िंदगी_तुम्हें #नहीं_मिली
read moreDeepak
अगर लंका चाहिए तो रावण तो बनना पड़ेगा ना ©Deepak अगर लंका चाहिए तो रावण तो बनना पड़ेगा ना
अगर लंका चाहिए तो रावण तो बनना पड़ेगा ना
read moreankit saraswat
Ek villain
अनुकूलता और प्रतिकूलता युगल के समान है जो जो गम मनुष्य को संसार में जन्म लेते ही प्राप्त होते हैं यही कारण है कि मां के गर्भ में ममता इसने है और अपन तत्व के लोग में आकार लेते हैं तू जब संसार में आते हैं तब है रोता है शिशु की बंदी हुई मूर्ति का आशय यही है कि गर्भ में उसे परमानंद की जो संपत्ति मिली है वह शिशु छोड़ नहीं पा रहा है संसार में दो तरह की परिस्थितियां हर काल में मौजूद रहती हैं त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को वनवास हुआ और उनकी अर्धांगिनी माता सीता का अपहरण हो गया तो खुद भगवान श्रीराम रोने लगे इस स्थिति को देखकर भगवान शंकर से माता सीता ने पूछा यही श्री राम आप के आराध्य देव हैं जिनके नाम की पूजा करते हैं भगवान शंकर ने कहा हा सती में इन्हीं का नाम जपता हूं सती ने प्रति प्रसन्न किया यह तो सामान्य जन की तरह विपरीत हालात में भी जैसे मनुष्य रोता है वैसे ही रो रहे हैं इस पर भगवान शंकर ने कहा सती तुम्हारे प्रश्न उत्तर भी समाहित है भगवान श्रीराम आसमा जन को यह संदेश दे रहे हैं कि मनुष्य जीवन में विपरीत परिस्थितियां आती रही रहती है मेरे प्रभु नारायण रूप में नहीं बल्कि नर रूप में अमृत हुए हैं इनके रोने का संदेश है कि जब मैं शंकर जी के आराध्य होरोर आ सकता हूं तब मनुष्य रूप लेने में किसी को भी रोने की स्थिति से सम्मान करना पड़ सकता है भगवान शंकर के उत्तर में मनुष्य शब्द पर गौर करना चाहिए जब व्यक्ति मन में स्थित होकर जीवन व्यतीत करता है श्रीराम की तरह मर्यादा में रहता है और वैदिक जीवन जीने में विश्वास रखता है तब उसकी क्रियाशक्ति से प्राप्त उपलब्धियां अपहिद भी हो सकती हैं मन दुखी हो तब भी श्री राम की तरह आदमी बल नहीं छोड़ना चाहिए गौरव विधिक जीवन के पर्याप्त प्रतिकूलता ओं के कारण से मुकाबला करते रहना चाहिए एक दिन उसका समूल विनाश होकर रहेगा ©Ek villain # अनीति की लंका #Love
# अनीति की लंका Love
read moreUma Shankar