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Damodar prasad Raj
मेरा खुद पर जोर नहीं अपना न जाने क्या हुआ है मुझको अब ऐसा लगता है मुझको तेरे बिना न कोई है अपना ©Damodar prasad Raj न जाने क्या हुआ है मुझको
न जाने क्या हुआ है मुझको #Shayari
read moreannii
वो मुझे कुछ इस कदर जानती थी कि मेरी खामोशी भी सुन सकती थी। पर उस दिन न जाने क्या हुआ में चिल्लाता रहा उसके सामने पर वो किसी गैर के साथ खडी खडी हंस रहीं थी । 🖤 वो मुझे कुछ इस कदर जानती थी कि मेरी खामोशी भी सुन सकती थी। पर उस दिन न जाने क्या हुआ में चिल्लाता रहा उसके सामने पर वो किसी गैर के साथ खडी ख
वो मुझे कुछ इस कदर जानती थी कि मेरी खामोशी भी सुन सकती थी। पर उस दिन न जाने क्या हुआ में चिल्लाता रहा उसके सामने पर वो किसी गैर के साथ खडी ख #Poetry #Love #Feeling #alone #nojotoshayri #evol #Life_experience
read morepyara birju
न जाने क्या हुआ हमारे दरमियां , जो दूरियां बढ़ गयी । मेरी खवाइश तो बस इतनी सी थी.... की ज़िन्दगी के कुछ लम्हे तेरे साथ बिताना चाहता हूं ।। मेरी कलम से प्यारा बिरजु😶😶 न जाने क्या हुआ हमारे दरमियां , जो दूरियां बढ़ गयी । मेरी खवाइश तो बस इतनी सी थी.... की ज़िन्दगी के कुछ लम्हे तेरे साथ बिताना चाहता हूं ।। म
TheDavidPathak
एक पेड़ था मैं दोस्ती का, जिसपर कई अजनबी परिंदों का आना जाना हुआ हर परिंदे ने मुझसे दोस्ती की, और मेरी डाली पर, कुछ परिंदों का ठिकाना हुआ हर रोज़ कुछ परिंदे आते हैं, कुछ रुकते हैं, तो कुछ उड़ जाते हैं एक दिन एक प्यारी चिड़िया, आकर मुझपर बैठी थी थोड़ी परेशान थी वो, पर उसकी बातें बड़ी मीठी थी एक बात अच्छी थी उसमें, वो मुझसे न शर्माती थी जब भी उसका मन होता था, वो गाकर मुझे सुनाती थी उससे मुँह मोड़ लूँगा मैं ऐसा मुझसे बोली थी मुँह से वो कुछ भी बोले पर दिल की बड़ी भोली थी अब न जाने क्या हुआ है उसको अब यहाँ नहीं वो आती है नजरें उसको दूर तक ढूँढे पर नज़र नहीं वो आती है. तुम ही वो चिड़िया हो मेरी मेरी यादों में तेरा ठिकाना हुआ आजाओ न वापस फ़िर से तुम बिन ये पेड़ वीराना हुआ एक पेड़ था मैं दोस्ती का, जिसपर कई अजनबी परिंदों का आना जाना हुआ हर परिंदे ने मुझसे दोस्ती की, और मेरी डाली पर, कुछ परिंदों का ठिकाना हुआ #tree एक पेड़ था मैं दोस्ती का, जिसपर कई अजनबी परिंदों का आना जाना हुआ हर परिंदे ने मुझसे दोस्ती की, और मेरी डाली पर, कुछ परिंदों का ठिका
राम
*न जाने किस मनोदशा का शिकार हो गए हैं हम?* *न जाने किस ओर बढ़ रहे हैं हम?* *न जाने क्यों एक समाज के रूप में संगठित नहीं हो पा रहे हैं हम?*
*न जाने किस मनोदशा का शिकार हो गए हैं हम?* *न जाने किस ओर बढ़ रहे हैं हम?* *न जाने क्यों एक समाज के रूप में संगठित नहीं हो पा रहे हैं हम?* #nojotophoto
read moreKunal Rajput (नज़र نظر)
#ghazal मुझे कभी भी कोई भी हुनर नहीं आया सुख़न का शौक़ था बे-शक़ मगर नहीं आया مجھے کبھی بھی کوئی بھی ہنر نہیں آیا سخن کا شوق تھا بے شق مگر نہ #नज़र #nojotovideo #एक_ख़याल
read moreKamaal Husain
तरसती है निगाहें अब तेरे दीदार को हमदम// नजर ऐसी लगी सबकी हमारे प्यार को हमदम//१ बगावत पे उतर आया है इसको कौन रोके अब// तू ही समझा सहुलत से दिल-ए-बिमार को हमदम//२ मोहब्बत ही किया हमने कहीं डाका नहीं डाला// लिए है हाथ में दुनियां ये क्यों तलवार को हमदम//३ मुझे जंजीर से बाधां है मैं तो आ नहीं सकता // गुजारिश है दिवाने की मिलो एक बार को हमदम//४ मोहब्बत तौली जाती है रईसी के तराजू में // न जाने क्या हुआ अच्छे भले संसार को हमदम//५ 🌸सुप्रभात, 🌸🌸🌸🌸 🌸आज का हमारा विषय है ''तरसती हैं निगाहेँ" बहुत खूबसूरत विषय है। 🌸आज सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए। 🌸आपक
🌸सुप्रभात, 🌸🌸🌸🌸 🌸आज का हमारा विषय है ''तरसती हैं निगाहेँ" बहुत खूबसूरत विषय है। 🌸आज सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए। 🌸आपक
read moreVibha Katare
सुबह सबेरे और कुछ आवाज़ें सुबह सुबह आती हैं कई मधुर आवाज़े खिड़की दरवाजों से, खिड़की से घुसपैठ करते पलास के पेड़ से गौरिया ,कोयल और मैना की चहचाहट, बिल्डिंग के दूसरे छोर
सुबह सुबह आती हैं कई मधुर आवाज़े खिड़की दरवाजों से, खिड़की से घुसपैठ करते पलास के पेड़ से गौरिया ,कोयल और मैना की चहचाहट, बिल्डिंग के दूसरे छोर #yqbaba #yqdidi #संवेदनाएँ #व्यंग्य #इंसानियत #पड़ोस #सामाजिकता
read moreAlok Verma "" Rajvansh "Rasik" ""
जिनका दिन हमसे हुआ करता था, आज वो हमें अंधेरे में छोड़ गए, न जाने ऐसा क्या हुआ, जो वो हमको ही भूल गए......! न जाने ऐसा क्या हुआ......!
न जाने ऐसा क्या हुआ......!
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