Nojoto: Largest Storytelling Platform

New सुमति Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about सुमति from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, सुमति.

Stories related to सुमति

    LatestPopularVideo

Geeta Rawat Gafil

'कुमति निवार सुमति के संगी' #कविता

read more
कुमति निवार  सुमति के संगी

©Geeta Rawat  Gafil 'कुमति निवार सुमति के संगी'

Vinod Mishra

सुमति कुमति सब के उर रहही,नाथ पुरान निगम अस कहहीं @vinod mishra recitation #समाज

read more

ROHAN KUMAR SINGH

महावीर विक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी #रक्षा_करि_ऐ_प्रभु 🙏😔🙏 Priya Rajput Annu Sharma guriya kumari Shikha Sharma 👁️RuPaM 👁️R #nojotophoto #विचार

read more
 महावीर विक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी 
#रक्षा_करि_ऐ_प्रभु
    🙏😔🙏 Priya Rajput  Annu Sharma guriya kumari Shikha Sharma 👁️RuPaM 👁️R

Vikas Sharma Shivaaya'

सुमति कुमति सब कें उर रहहीं।नाथ पुरान निगम अस कहहीं॥ जहाँ सुमति तहँ संपति नाना।जहाँ कुमति तहँ बिपति निदाना॥ हे नाथ ! पुराण और वेद ऐसा कहते ह #समाज

read more
सुमति कुमति सब कें उर रहहीं।नाथ पुरान निगम अस कहहीं॥
जहाँ सुमति तहँ संपति नाना।जहाँ कुमति तहँ बिपति निदाना॥
हे नाथ ! पुराण और वेद ऐसा कहते हैं कि सुबुद्धि (अच्छी बुद्धि) और कुबुद्धि (खोटी बुद्धि) सबके हृदय में रहती है, जहाँ सुबुद्धि है, वहाँ नाना प्रकार की संपदाएँ (सुख की स्थिति) रहती हैं और जहाँ कुबुद्धि है वहाँ विभिन्न प्रकार की विपत्ति (दुःख) का वाश होता है। 
🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' सुमति कुमति सब कें उर रहहीं।नाथ पुरान निगम अस कहहीं॥
जहाँ सुमति तहँ संपति नाना।जहाँ कुमति तहँ बिपति निदाना॥
हे नाथ ! पुराण और वेद ऐसा कहते ह

NEERAJ SIINGH

आप सभी को पुरुष दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। सृष्टि सम्पूर्ण रूप से प्रकृति नहीं है, इसमें पुरुष तत्व भी उतना ही शामिल है जितनी प्रकृति। प #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #neerajwriteson

read more
धूप हो घर की छत से छनती धूप हो जो पाले पोशे हर पौधे को बढ़ाये , सुरक्षा करें , ध्यान रखें और हर किसी का मान रखे ध्यान रखे , चुप चाप रहकर हर बात का भान रहे , पूरी करते हर जरूरत इस शमशान से संसार मे जहाँ ना कोई हृदय ना कोई भाव , बस ठगने को खड़े सब बड़े चाव से , डटकर लड़कर ,
अपना सबकुछ बेचकर करते 
तुम घर की जरुरतो का रखरखाव 
पुरुष तुम ,धैर्य हो , सम्मान हो , 
गति हो तुम सुमति हो , तुमसे 
सबकुछ हैं परिवार ,
तुम सबके हो दुलार , 
पुरुष तुम ......धन्य हो आप सभी को पुरुष दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। 
सृष्टि सम्पूर्ण रूप से प्रकृति नहीं है, इसमें पुरुष तत्व भी उतना ही शामिल है जितनी प्रकृति। 
#प

सोमेश त्रिवेदी

मेरी अपनी मौलिक रचना! 🙏🙏🙏 (अशोक से सम्राट को, ना बुद्ध होना चाहिए) आतंक का ये रास्ता, अब रुद्ध होना चाहिए,

read more
(अशोक से सम्राट को, 
ना बुद्ध होना चाहिए)

आतंक का ये रास्ता, अब रुद्ध होना चाहिए,
कश्मीर का वतावरण, भी शुद्ध होना चाहिए...
गति से गति प्रगति बने,मति से मति सुमति बने, 
उन्नति का पथ सदा, अनिरुद्ध होना चाहिए... 

छल कपट से दूर हो, राम पर विश्वास हो, 
राम का ही राज्य हो, अब नहीं वनवास हो... 
कैकई! ये जान लो, मंथरा पहचान लो, 
राम के प्रति हृदय,सुविशुद्ध होना चाहिए... 

जब धर्म दीक्षा ले रहे, तो धर्म क्या है जान लो, 
जो धर्म की रक्षा करे, वो कर्म क्या है जान लो... 
स्वराष्ट्र रक्षा धर्म है, और धर्म ही तो कर्म है, 
तो धर्म रक्षा के लिए, अब युद्ध होना चाहिए... 

उठो उठो हे वीर तुम, रणभूमि में ललकार दो, 
रणभेरी से गर्जन करो, सम केशरी हुंकार दो... 
संस्कार अपने त्याग कर, तलवार अपने त्याग कर, 
अशोक से सम्राट को, ना बुद्ध होना चाहिए...
 #NojotoQuote मेरी अपनी मौलिक रचना!
 🙏🙏🙏

(अशोक से सम्राट को, 
ना बुद्ध होना चाहिए)

आतंक का ये रास्ता, 
अब रुद्ध होना चाहिए,

KUNDAN KUNJ

       ***प्रार्थना *** कलम, कापी हो परम हथियार, हे माँ भारती ऐसा इल्म का प्रसार करो। रहे मस्तक गर्व से ऊंचा सदा तेरी ऐसा हम पर एक कृपा करो

read more
Feeling ***प्रार्थना ***
कलम, कापी हो परम हथियार, 
हे माँ भारती ऐसा इल्म का प्रसार करो।
रहे मस्तक गर्व से ऊंचा सदा तेरी
ऐसा हम पर एक कृपा करो।।
भाईचारा और प्रेम भाव का
हर पल हम पर वर्षा करो ।
विनाश हो कुविचार मन का
ऐसा ज्ञान दीप का प्रभा करो।।
आए अमन फिर से इस घाटी में 
एक नया स्वर्ग का विस्तार करो।। 

कलम, कापी हो परम हथियार, 
हे माँ भारती ऐसा इल्म का प्रसार करो।।

गले का फंदा था बना हमारा, 
370 और 35 ए का धारा । 
जिहाद और लुटेरों से भरा परा था 
हमारी ये स्वर्ग की पावन धरा।। 
फन लगाए बरसों से बैठा था 
देश द्रोहियों का एक विचार धारा।। 
तपिश और असहनीय दर्द को झेल रहा था 
बरसों से तेरी माटी के ही संतान सारा।। 
विमुक्त हुए हैं हम अभी अभी ही 
बस फिर से अमन चैन का विस्तार करो।। 

कलम, कापी हो परम हथियार, 
हे माँ भारती ऐसा इल्म का प्रसार करो।।        ***प्रार्थना ***
कलम, कापी हो परम हथियार, 
हे माँ भारती ऐसा इल्म का प्रसार करो।
रहे मस्तक गर्व से ऊंचा सदा तेरी
ऐसा हम पर एक कृपा करो

kavi manish mann

पाठ-4: अश्व/शुनगति (मात्रिक छन्द - 7 मात्राएँ, अंत में "ध्वजा"): दिनांक: 17.09.2020 मात्रिक छन्द: अश्व/शुनगति (मात्रिक छन्द - 7 मात्राएँ, #yqdidi #मौर्यवंशी_मनीष_मन #छंद_मन #अश्व_छंद

read more
इक राज था।
इक साज था।
लेकिन नहीं,
वो आज था। पाठ-4: अश्व/शुनगति (मात्रिक छन्द - 7 मात्राएँ, अंत में "ध्वजा"):
दिनांक: 17.09.2020

मात्रिक छन्द:

अश्व/शुनगति (मात्रिक छन्द - 7 मात्राएँ,

Vikas Sharma Shivaaya'

श्री हनुमान चालीसा श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि। अर्थ- श्री गुरु महाराज के चरण कमलो #समाज

read more
श्री हनुमान चालीसा 
 श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
अर्थ- श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है।
 **** 

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।
अर्थ- हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूं। आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सद्‍बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुखों व दोषों का नाश कर दीजिए।
**** 
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥1॥
 अर्थ- श्री हनुमान जी! आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।
 **** 
राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥
अर्थ- हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नहीं हैं।
 **** 
महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥
अर्थ- हे महावीर बजरंग बली!आप विशेष पराक्रम वाले  हैं। आप खराब बुद्धि को दूर करते  हैं, और अच्छी बुद्धि वालों के साथी, सहायक  हैं।
 **** 
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥
अर्थ- आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।
 **** 
हाथबज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजै॥5॥
अर्थ- आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।
 **** 
शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥
अर्थ- शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है।
 
**** 
विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर॥7॥
अर्थ- आप प्रकान्ड विद्या निधान  हैं, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम के काज करने के लिए आतुर रहते  हैं।
 
**** 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया॥8॥
अर्थ- आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते  हैं। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में बसे रहते  हैं।
 
**** 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रूप धरि लंक जरावा॥9॥
अर्थ- आपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया।
 
**** 
भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज संवारे॥10॥
अर्थ- आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्‍देश्यों को सफल कराया।
 
**** 
लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥11॥
अर्थ- आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।
 
**** 
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥12॥
अर्थ- श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा कि तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।
 
**** 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥13॥
अर्थ- श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया कि तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।
 
**** 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा,  नारद, सारद सहित अहीसा॥14॥
अर्थ-  श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते हैं।
 
**** 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते, कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥15॥
अर्थ- यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।
 
**** 
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राजपद दीन्हा॥16॥
अर्थ- आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।
 
**** 
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना॥17॥
अर्थ- आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।
 
**** 
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥
अर्थ- जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है कि उस पर पहुंचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।
 
**** 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥
अर्थ- आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुंह में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।
 
**** 
दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥
अर्थ- संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।
 
**** 
राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसा रे॥21॥
अर्थ- श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले हैं, जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता अर्थात् आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।
 
**** 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना ॥22॥
अर्थ- जो भी आपकी शरण में आते हैं, उस सभी को आनन्द प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक हैं, तो फिर किसी का डर नहीं रहता।
 
**** 
आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक तें कांपै॥23॥
अर्थ- आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक कांप जाते हैं।
 
**** 
भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥24॥
अर्थ- जहां महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते।
 
**** 
नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥25॥
अर्थ- वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती है।
 
**** 
संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥
अर्थ- हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते हैं।
 
**** 
सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा॥27॥
अर्थ- तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ हैं, उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।
 
**** 
और मनोरथ जो कोइ लावै, सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥
अर्थ- जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।
 
**** 
चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥29॥
अर्थ- चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।
 
**** 
साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥
अर्थ- हे श्री राम के दुलारे! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।
 
**** 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता॥31॥
अर्थ- आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते
है।
 
1.) अणिमा- जिससे साधक किसी को दिखाई नहीं पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ में प्रवेश कर जाता है।
2.) महिमा- जिसमें योगी अपने को बहुत बड़ा बना देता है।
3.) गरिमा- जिससे साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है।
4.) लघिमा- जिससे जितना चाहे उतना हल्का बन जाता है।
5.) प्राप्ति- जिससे इच्छित पदार्थ की प्राप्ति होती है।
6.) प्राकाम्य- जिससे इच्छा करने पर वह पृथ्वी में समा सकता है, आकाश में उड़ सकता है।
7.) ईशित्व- जिससे सब पर शासन का सामर्थ्य हो जाता है।
8.) वशित्व- जिससे दूसरों को वश में किया जाता है।
 
**** 
राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥
अर्थ- आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते हैं, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।
**** 
तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥
अर्थ- आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते हैं और जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते हैं।
**** 
अन्त काल रघुबर पुर जाई, जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥34॥
अर्थ- अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते हैं और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे।
**** 
और देवता चित न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥
अर्थ- हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते हैं, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती।
**** 
संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥
अर्थ- हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती हैं।
**** 
जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥
अर्थ- हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझ पर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।
**** 
जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई॥38॥
अर्थ- जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परमानन्द मिलेगा।
**** 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा॥39॥
अर्थ- भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी हैं, जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।
**** 
तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥40॥
अर्थ- हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए।
**** 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सूरभूप॥
अर्थ- हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनंद मंगलों के स्वरूप हैं। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' श्री हनुमान चालीसा 
 श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
अर्थ- श्री गुरु महाराज के चरण कमलो

कवि राहुल पाल 🔵

#स्त्रियों_का_साहित्य_में_योगदान साहित्य जब तक मौखिक परम्परा का हिस्सा था तब तक लेखन में स्त्रियों का योगदान बराबरी के स्तर पर रहा ,परन्तु इ #Nojotochallenge #कविता #nojotopoetry #nojotohindi #nojotoquotes #nojotoapp #nojotonews #nojotohindishayari

read more
न जाने कितने कवि बने..
कितने साहित्य रवि बने ,
  शब्द समूह की बीड़ा बनी..
तुम नैनो की क्रीड़ा बनी ,
तुम पुष्पो की डाली हो..
 मधुकर की तुम माली हो ,
  हर रस का है उद्गम तुमसे..
  करुणा का अनुभव तुमसे ,
  तुम चंद चकोर चिरैया हो..
  तुम कोयल तुम गौरैया हो ,
 तुम ही छवि का दर्पण हो..
तुम श्रृंगार को अर्पण हो ,
   तुम ही साहित्य उजागर हो..
तुम ही काव्य प्रभाकर हो ,
   तुम गौरी,सीता,सतभामा हो..
तुम शोभा ,कमला,रमा हो ,
 तुम देवा की देवभक्तन हो...
 तुम ही देवकी,युवतीजन हो ,
 तुम कवि का हो बिंदु सखा..
 तुम्हे हमने कुछ छंद लिखा !! #स्त्रियों_का_साहित्य_में_योगदान
साहित्य जब तक मौखिक परम्परा का हिस्सा था तब तक लेखन में स्त्रियों का योगदान बराबरी के स्तर पर रहा ,परन्तु इ
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile