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Stories related to असमंजस का अर्थ

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Aman Singh Pal

असमंजस का वक्त #Dreams

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कुछ सहमे सहमे नज़र आ रहे हो , कोई बात हुई है क्या
झूठी हशी से कुछ छुपा रहे ही कोई राज है क्या
किसी के चरित्र से वाकिफ न हो पा रहे हो,
किसी से प्यार हुआ है क्या😊😊 असमंजस का वक्त

#Dreams

PaRth PaRashari

कितना अच्छा होता
अगर हर कोई बाहर से भी अंदर जैसा होता...
☺ #असमंजस

Harvinder Ahuja

मैं बाल्यकाल और यौवन में बंटती,
और देह-काया की मारी युवती,
समझ नहीं पा रही क्या है मेरी अभिलाषा,
पल दो पल कोई साथ बैठा ले या मिटा दे पिपासा,
मुझे कोई समझ नहीं पाया,कैसे सब को समझाती,
आज जो भंवरे मुझ पे डोल रहे उनको दूं कैसे निराशा,
यौवन की इस सीढ़ी पर पांव मेरे डोल रहे हैं,
ना जाने मेरे अपने भला बुरा क्यों बोल रहे हैं।

©Harvinder Ahuja #असमंजस

Atul vasava

असमंजस

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वो खुद अपने घर से बे-घर थे और हमें घर 
से बहार   निकाल ने की बात करते है।

©Atul vasava असमंजस

Abhi

सभी चल दिए अपनी कस्ती को लेकर किनारे पर 
मगर जिसके पास कस्ती ही नहीं तो उसका किनारा क्या होगा? #असमंजस

Raone

असमंजस #कविता

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असमंजस 
जो सोचो वो आसान नहीं होता ।

आसान करने की ठानो तो कोई न कोई बीच आता ।

बीच बाधा को हटाओ तो दिल तड़प जाता ।

तड़पते दिल को सम्हालो तो मंजिल छुट जाता ।

मंज़िल की ओर भागो तो रिश्ता टूट जाता ।

रिश्ता बचाओ तो बीच समाज आता ।

समाज को समझाओ तो कलह हो जाता ।

कलह से बचो तो इंसान हीं गलत है का मुहर लग जाता ।

गलत को सही बोलो तो चरित्र पर बात आता ।

चरित्र पर उंगली न उठाओ कहता तो बदतमीज़ हो जाता ।

बदतमीज़ी की मुहर से बचो तो ढीठ हो जाता ।

ढीठ होने से अच्छा कुछ करो तो अपने मन का हो जाता ।

अपने मन से कुछ करो तो फ़िर कोई न कोई बीच आ जाता ।

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी असमंजस

Prabhu Kishore Sharma ( शर्मा जी)

कल एक शख्स ने हमे "बाबा" कह दिया ,
इसी बात पर हमने कुछ यूं ही लिख दिया।

 बाबा बन गए हो क्या,
 कैसा-कैसा लिख रहे हो क्या ।

 हमने कहा- बाबा बनना अब कहां आसान होता है , 
जीते जी जिंदगी में पोता या पोती देखना होता है।

 कमाने के चक्कर में इंसान फना रहता है ,
बेटे के साथ अब बाप कहाॅ रहता है।

 इसी जद्दोजहद में इंसान फंसा रहता है,
 बाप बेटे को, बेटा बाप को भला- बुरा कहता है।

 तीनो पीढ़ियों का संगम,अब साथ कहाॅ रहता है,
मेरी बीवी, मेरे बच्चे तक ही रोना रहता है।

 आधुनिकता की दौड़ में ,पता नही अभी क्या क्या खोना है,
भागते रहो दिन भर ,न रात को चैन से सोना है ।

- प्रभु किशोर शर्मा (शर्मा जी) #असमंजस

Tr. Kajal Parmar

 #असमंजस

S ANSHUL'यायावर'

असमंजस

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समझ नहीं आता किस जहां हूं,
यहां का हूं या वहां का हूं।

वहशत नोचती है रूह को,
एक जख्मी परिंदा आसमां का हूं।

इनायत - ए - नज़र हो एक बार उसकी,
मैं तलबगार उसकी निगाह का हूं।
दलदल में डूब जाती है किश्तियां जो,
मै नाविक ऐसी नाव का हूं।

जिस पर पैर रख लोग है बढ़ते,
मैं ईट उस पायदान का हूं।
है जिसे समझ ना पाते लोग,
सुखन फहम उस दास्तां का हूं।

ठुकराया जाता हूं हर बार ही,
मै शायर बड़ा बदनाम सा हूं।

सुखन फहम -रचनाकार असमंजस

Prashant Mishra

"असमंजस"

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मेरा दिल 'तोड़' भी नहीं रहा,बस 'निभाये' जा रहा है
'माज़रा' कुछ न कुछ तो है, मग़र 'छिपाए' जा रहा है
जबसे मुझको पता चला किसी और से है ताल्लुक उसका
'उम्मीद' रखूँ या 'मातम' कर लूँ,यही सवाल खाए जा रहा है

--प्रशान्त मिश्रा "असमंजस"
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