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Stories related to नाममात्र घटस्फोटित

Ashok Mangal

...Quote के आगे.. राहुल जी ने कहा था, आखिरी पंक्ति के कांगेसी को भी टिकट मिलेगा ! टिकट की लालसा वाला तो स्वार्थ से सना ही मिलेगा !! निस्वार्

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कांग्रेस की रामायण - 7
कांग्रेस भी मन की बात का अनुसरण कर रही है !
सोनिया गांधी उदयपुर चिंतन शिविर में मन की बात कह रही है !!
कांग्रेस ज़मीन पर टिकी न होकर, ऊपर से लटक रही है !
निस्वार्थ कार्यकर्ताओं की सुनवाई का कोई जरिया ही नहीं है !!

सोनिया जी ने सही कहा पार्टी ने हमें बहुत कुछ दिया है !
उस कर्ज़ को लौटाने का समय आ गया है !!
ये बात बड़े छोटे नेताओं से कही जा सकती है !
परंतु राजनीत में कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका रहती है !!

कांग्रेस में कार्यकर्ताओं का शोषण हो रहा है !
गत तीन दशकों से कार्यकर्ता मनोबल खो रहा है !!
नेता कार्यकर्ता को गुलाम समझने लगे हैं !
सच्चे खुद्दार कार्यकर्ता घर में बैठे रहने लगे हैं !!...
(... अनवरत अनुशीर्षक में पढ़े ) ...Quote के आगे..
राहुल जी ने कहा था, आखिरी पंक्ति के कांगेसी को भी टिकट मिलेगा !
टिकट की लालसा वाला तो स्वार्थ से सना ही मिलेगा !!
निस्वार्

yogesh atmaram ambawale

सुप्रभात मित्रानों आजचा विषय आहे खरा गोडवा... यावर सुंदर सुंदर रचना करा. #खरा #गोडवा #Collab #yqtaai Best YQ Marathi Quotes पेज ला भेट द्य

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ऊस काय किंवा साखर काय !
हे फक्त नाममात्र आहे.
खरा गोडवा हा माणसाच्या वाणीत असावा तो बोलण्यातून जाणावा,
खरा गोडवा हा प्रेमात असावा तो प्रेमळ वागणुकीतून दिसावा.

नसावा कधीच मुखी शब्द कडवा,
प्रेमाने बोला सर्वांशी तोच खरा गोडवा. सुप्रभात मित्रानों
आजचा विषय आहे
खरा गोडवा...
यावर सुंदर सुंदर रचना करा.
#खरा #गोडवा 
#collab #yqtaai 
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Sangeeta Kalbhor

भोलेनाथ बड़ी देर कर दी आने में इंतजार बरसों का पूरा करने में आपका आना मानो भोर है मेरे मन की सुखदुःख की औकात ही क्या अब मनमानी करने की ऐ भोल

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yogesh atmaram ambawale

शुभ संध्या मित्रहो आताचा विषय आहे गोडवा.. #गोडवा1 #गोडवा चला तर मग आज या विषयावर लिहुयात. #Collab #yqtaai Best YQ Marathi Quotes पेज ला भेट

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ऊस काय किंवा साखर काय !
हे फक्त नाममात्र आहे.
खरा गोडवा हा माणसाच्या वाणीत असावा तो बोलण्यातून जाणावा,
खरा गोडवा हा प्रेमात असावा तो प्रेमळ वागणुकीतून दिसावा.
नसावा कधीच मुखी शब्द कडवा,
प्रेमाने बोला सर्वांशी तोच खरा गोडवा. शुभ संध्या मित्रहो
आताचा विषय आहे
गोडवा..
#गोडवा1
#गोडवा
चला तर मग आज या विषयावर लिहुयात.
#collab #yqtaai 
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कवि राहुल पाल 🔵

#gumaan हे ! मानव मतकर गुमान इस चंचल,कंचन,नश्वर काया की तुम सूखे पत्तो के माफ़िक जला दिए जाओगे । नाम रहेगा काम रहेगा शेष बचा इस धरती पर तत्

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गुमान 
हे ! मानव
 मतकर गुमान इस चंचल,कंचन,नश्वर काया की ,
तुम सूखे पत्तो के माफ़िक जला दिए जाओगे ।
नाम रहेगा काम रहेगा शेष बचा इस धरती पर ,
  तत्वरूप अवशेष अस्थि संग मिटा दिए जाओगे ।
 क्यो सत्य विमुख है,जब मन मस्तिष्क संज्ञान है ,
 ज्ञात में अज्ञात व्यक्ति रूप में भुला दिए जाओगे ।
  हे!जनसाधारण तुम धर्म,कर्म के लोभी बनो वरना ,
   फलस्वरूप नाममात्र दीवारों पर लटकाए जाओगे ।
               
                                        " कवि राहुल पाल " #gumaan 
हे ! मानव
मतकर गुमान इस चंचल,कंचन,नश्वर काया की
तुम सूखे पत्तो के माफ़िक जला दिए जाओगे ।
नाम रहेगा काम रहेगा शेष बचा इस धरती पर 
तत्

yogesh atmaram ambawale

सुप्रभात लेखक मित्र आणि मैत्रिणींनो Kase आहात? लिहिताय ना?? आजचा विषय आहे एक संवाद मनाचा... #एकसंवादमनाचा

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एक संवाद मनाचा,आज माझ्याशी झाला.
म्हणे समजण्यास तू मला,थोडा उशीरच केला.
मी ही उत्तरलो,तू तर सर्वच जाणतो आहेस,
तू माझं मन आहेस,मी फक्त कृती करतो.
ती करवून घेणारा तर तूच आहेस.
तुझं कसं आहे,तू बोलशील ती पूर्व दिशा,
तू चांगल्याला वाईट बोललास तर वाईटच,
किंवा वाईटाला चांगलं बोललास,तर ते चांगलंच, 
मी काय नाममात्र,
सर्व काही तुझ्या विचारांवर अवलंबून असतं.
तू कधी कुणाला जवळ करशील 
कधी कुणाला दूर लोटशील,काही सांगता येत नाही.
कधी कधी तर तुझा स्वार्थीपणा ही दिसून येतो,
नेहमी माझ्यासोबत राहणारा तू,
पाहताच एखादा सुंदर चेहरा,लगेच परका होतोस तू. सुप्रभात लेखक मित्र आणि मैत्रिणींनो
Kase आहात?
लिहिताय ना??
आजचा विषय आहे

एक संवाद मनाचा...
#एकसंवादमनाचा

yogesh atmaram ambawale

सुप्रभात मित्र आणि मैत्रिणीनों आजचा विषय आहे प्रिय मन.. #प्रियमन चला तर मग लिहुया. #Collab #yqtaai #letters #yolewrimoमराठी लिहीत राहा. Y

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रोज सर्वांना पत्र लिहीत असतो मला मात्र लिहीत नाही,ही तुझी तक्रार आहे ना?
पण खरचं,मला थोडा उशीरच झाला तुला पत्र लिहिण्यास,त्या बद्दल क्षमस्व...
पण तू तर सर्वच जाणतो आहेस,तू माझं मन आहेस,मी फक्त कृती करतो ती करवून घेणारा तर तूच आहेस.
तुझं कसं आहे,तू बोलशील ती पूर्व दिशा,
तू चांगल्याला वाईट बोललास तर वाईटच,
किंवा वाईटाला चांगलं बोललास तर ते चांगलंच, कारण मी काय नाममात्र हे सर्व काही तुझ्या विचारांवर अवलंबून असतं.
तू कधी कुणाला जवळ करशील कधी कुणाला दूर लोटशील काही सांगता येत नाही.
कधी कधी तर तुझा स्वार्थीपणा ही दिसून येतो,नेहमी माझ्यासोबत राहणारा आपला तू पाहताच एखादा सुंदर चेहरा लगेच परका होतोस.
जाणतो मी अशा कित्येक गोष्टी आहेत जिथे तुझी घालमेल होते.
तुझ्याबद्दल एक गोष्ट मला खूप प्रिय आहे,
तू लवकर वाईट विचार करत नाही,कुठे काही चुकीचं घडलं तरी त्या मागे ही काय कारण असेल ह्याचा प्रथम विचार करतोस,लगेच टोकाला जात नाही.
कधी कधी तू खूप उदास असतो नाराज असतोस पण जास्त वेळ तसा न राहता पुन्हा आनंदी होतोस.
आणि हो तू तर जाणता आहेस, तुझ्याबद्दल मी काय लिहू,माझं लिहिणं तर फक्त एक बहाणा आहे,तुझे विचार,तुझे शब्द मांडणे हेच माझे कार्य आहे. सुप्रभात मित्र आणि मैत्रिणीनों
आजचा विषय आहे
प्रिय मन..
#प्रियमन 
चला तर मग लिहुया.
#collab #yqtaai #letters #yolewrimoमराठी 
लिहीत राहा. #Y

N S Yadav GoldMine

#Dark जैसे अभिमन्‍यु से शत्रुवीरों का संहार करने वाले परीक्षित का जन्‍म हुआ है, उसी प्रकार सुरथ से यह मेरा महाबाहु पौत्र उत्‍पन्‍न हुआ है !!

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जैसे अभिमन्‍यु से शत्रुवीरों का संहार करने वाले परीक्षित का जन्‍म हुआ है, उसी प्रकार सुरथ से यह मेरा महाबाहु पौत्र उत्‍पन्‍न हुआ है !!                      🌹{Bolo Ji Radhey Radhey}🌹
महाभारत: -आश्‍वमेधिक पर्व (अनुगीता पर्व) अष्‍टसप्‍ततितम अध्याय: श्लोक 18-35 

🎑 साथ ही विजय की अभिलाषा लेकर आक्रमण करने वाले उन सैन्‍धव योद्धाओं के मस्‍तकों को वे झुकी हुई गांठ वाले भल्‍लों द्वारा काट काट कर गिराने लगे। उनमें से कुछ लोग भागने लगे, कुछ लोग फिर से धावा करने लगे और कुछ लोग युद्ध से निवृत्‍त होने लगे। 

🎑 उन सबका कोलाहल जल से भरे हुए महासागर की गम्‍भीर गर्जना के समान हो रहा था। अमित तेजस्‍वी अर्जुन के द्वारा मारे जाने पर भी सैन्‍धव योद्धा बल और उत्‍साहपूर्वक उनके साथ जूझते ही रहे। थोड़ी ही देर में अर्जुन ने युद्ध स्‍थल में झुकी हुई गांठ वाले बाणों द्वारा अधिकांश सैन्‍धव वीरों को संज्ञा शून्‍य कर दिया। उनके वाहन और सैनिक भी थकावट से खिन्‍नहो रहे थे। 

🎑 समस्‍त सैन्‍धव वीरों को कष्‍ट पाते जान धृतराष्‍ट्र की पुत्री दु:शला अपने बेटे सुरथ के वीर बालक को जो उसका पौत्र था, साथ ले रथ पर सवार हो रणभूमि में पाण्‍डुकुमार अर्जुन के पास आयी। उसके आने का उद्देश्‍य यह था कि सब योद्धा युद्ध छोड़कर शान्‍त हो जाय। 

🎑 वह अर्जुन के पास आकर आर्त स्‍वर से फूट फूटकर रोने लगी। शक्‍तिशाली अर्जुन ने भी उसे सामने देख अपना धनुष नीचे डाल दिया। धनुष त्‍यागकर कुन्‍तीकुमार ने विधिपूर्वक बहिन का सत्‍कार किया और पूछा बहिन! बताओ, मैं तुम्‍हारा कौनसा कार्य करूं ? तब दु:शला ने उत्‍तर दिया- भैया! भरतश्रेष्‍ठ! यह तुम्‍हारे भानजे सुरथ का औरस पुत्र है। 

🎑 पुरुष प्रवर पार्थ! इसकी ओर देखो, यह तुम्‍हें प्रणाम करता है। राजन! दु:शला के ऐसा कहने पर अर्जुन ने उस बालक के पिता के विषय में जिज्ञासा प्रकट करते हुए पूछा 

🎑 बहिन! सुरथ कहां है ? तब दु:शला बोली- भैया! इस बालक का पिता वीर सुरथ पितृशोक से संतप्‍त और विषा से पीड़ित हो जिस प्रकार मृत्‍यु को प्राप्‍त हुआ है.

🎑 निष्‍पाप अर्जुन! मेरे पुत्र सुरथ ने पहले से सुन रखा था कि अर्जुन के हाथ से ही मेरे पिता की मृत्‍यु हुई है। इसके बाद जब उसके कानों में यह समाचार पड़ा कि तुम घोड़े के पीछे पीछे युद्ध के लिये यहां तक आ पहुंचे हो तो वह पिता की मृत्‍यु के दु:ख से आतुर हो अपने प्राणोंका परित्‍याग कर बैठा है।

🎑 अनघ! अर्जुन आये इन शब्‍दों के साथ तुम्‍हारा नाममात्र सुनकर ही मेरा बेटा विषाद से पीड़ित हो पृथ्‍वी पर गिरा और मर गया। प्रभो! उसको ऐसी अवस्‍था में पड़ा हुआ देख उसके पुत्र को साथ ले मैं शरण खोजती हुई आज तुम्‍हारे पास आयी हूं। ऐसा कहकर धृतराष्‍ट्र पुत्री दु:शला दीन होकर आर्त स्‍वर से विलाप करने लगी। उसकी दीन दशा देखकर अर्जुन भी दीन भाव से अपना मुंह नीचे किये खड़े रहे। 

🎑 उस समय दु:शला उनसे फिर बोली- भैया! तुम कुरुकुल में श्रेष्‍ठ और धर्म को जानने वाले हो, अत: दया करो। अपनी इस दुखिया बहिन की ओर देखो और भानजे के बेटे पर भी कृपादृष्‍टि करो। मन्‍दबुद्धि दुर्योधन और जयद्रथ को भूलकर हमें अपनाओं। जैसे अभिमन्‍यु से शत्रुवीरों का संहार करने वाले परीक्षित का जन्‍म हुआ है, उसी प्रकार सुरथ से यह मेरा महाबाहु पौत्र उत्‍पन्‍न हुआ है।

©N S Yadav GoldMine #Dark जैसे अभिमन्‍यु से शत्रुवीरों का संहार करने वाले परीक्षित का जन्‍म हुआ है, उसी प्रकार सुरथ से यह मेरा महाबाहु पौत्र उत्‍पन्‍न हुआ है !!

Shree

(long post) पता नहीं कहां से समय भी निकल आया और लेख भी लिख गया। अब विषय के कितने समीप है, वो आप सब तो पढ़ कर बताइएगा। कोशिश की जा रही थोड़

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प्रेम मिथ्या है! 
है क्या?

ना ना... या शायद हां!

मिथ्या वही तो है जिसकी 
सच्चाई से अवगत हैं ये संसार.... 
जैसे कि प्रेम से। 

तो हुए ना दोनों एक से! है ना..? 

अब क्या पता... शायद हां।  (long post)

पता नहीं कहां से समय भी निकल आया और लेख भी लिख गया। अब विषय के कितने समीप है, वो आप सब तो पढ़ कर बताइएगा।

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