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हिंदीवाले
अफ़वाह है या सच है ये कोई नही बोला मैंने भी सुना है अब जाएगा तेरा डोला इन राहों के पत्थर भी मानूस थे पाँवों से पर मैंने पुकारा तो कोई भी नहीं बोला लगता है ख़ुदाई में कुछ तेरा दख़ल भी है इस बार फ़िज़ाओं ने वो रंग नहीं घोला आख़िर तो अँधेरे की जागीर नहीं हूँ मैं इस राख में पिन्हा है अब भी वही शोला सोचा कि तू सोचेगी, तूने किसी शायर की दस्तक तो सुनी थी पर दरवाज़ा नहीं खोला ~दुष्यंत कुमार ©हिंदीवाले अफ़वाह है या सच है ये कोई नही बोला मैंने भी सुना है अब जाएगा तेरा डोला इन राहों के पत्थर भी मानूस थे पाँवों से पर मैंने पुकारा तो कोई भी नह
अफ़वाह है या सच है ये कोई नही बोला मैंने भी सुना है अब जाएगा तेरा डोला इन राहों के पत्थर भी मानूस थे पाँवों से पर मैंने पुकारा तो कोई भी नह #कविता
read moreAnant Bhardwaj
✍️ कठिनाइयों से ना घबराएं बहुत समय पहले की बात है एक शिल्पकार एक मूर्ति बनाने के लिए किसी जंगल में पत्थर ढूंढने के लिए गया। वहां उसे मूर्ति बनाने के लिए एक बहुत अच्छा पत्थर मिल गया। वो पत्थर लेके वापस घर आते वक्त रास्ते में से एक ओर पत्थर साथ उठा लाया। घर आकर उसने अच्छे वाले पत्थर को मूर्ति बनाने के लिए हथौड़ी और छेनी से उस पत्थर पर कारीगरी करने लगा। जब शिल्पकार की छेनी और हथौड़ी से पत्थर को चोट लगने लगी तो पत्थर ने दर्द से कराहते हुए शिल्पकार से बोला, “अरे भाई मेरे से यह दर्द सहा नहीं जाता, ऐसे तो मैं बिखर जाऊंगा। तुम किसी और पत्थर की मूर्ति बना दो ना प्लीज़।” उस पत्थर की बात सुनकर शिल्पकार को दया आ गई। उसने उस पत्थर को छोड़कर दूसरे पत्थर की गढ़ाई करनी शुरू कर दी। दूसरे पत्थर ने कुछ भी नहीं बोला। शिल्पकार ने थोड़े ही समय में एक प्यारी सी भगवान की मूर्ति बना दी। पास के गांव के लोग तैयार मूर्ति को लेने के लिए आए। मूर्ति को लेकर निकलने वाले थे लेकिन उन्हें ख्याल आया कि नारियल फोड़ने के लिए भी एक पत्थर की जरूरत होगी तो वहां पर रखा पहले वाला पत्थर भी उन्होंने अपने साथ ले लिया। मूर्ति को ले जाकर उन्होंने मंदिर में सजा दिया और पहले वाले पत्थर को भी सामने रख दिया। मंदिर में जब भी कोई व्यक्ति दर्शन करने आते तो मूर्ति पर फूल माला चढ़ाते, दूध से नहलाते और उसकी पूजा करते। और सामने वाले पत्थर पर नारियल फोड़ते हैं। अब पहले वाले पत्थर को हर रोज दर्द सहना पड़ता था। उसने मूर्ति वाले पत्थर से कहा,”तुम्हारे तो मजे है। रोज फूल माला से सजते हों, रोज तुम्हारी पूजा होती हैं। मेरी तो साला किस्मत ही खराब हैं। रोज लोग नारियल फोड़ते हैं और मेरे को दर्द सहना पड़ता है।” पहले वाले पत्थर की बात सुनकर मूर्ति बने पत्थर ने कहा,”देख दोस्त अगर उस दिन तूने शिल्पकार के हाथ का दर्द सहा होता तो आज तुम्हें यह दिन नहीं देखना पड़ता और तुम मेरी जगह पर होते। लेकिन तुमने तो थोड़े से समय के दर्द को ना सहकर आसान वाले रास्ते को चुना। अब तुम उसका नतीजा भुगत रहे हो। शिक्षा: दोस्तों हमारे जीवन में भी कई कठिनाइयां आती है। बहुत सारा दर्द भी झेलना पड़ता है। लेकिन हमें इनसे डरकर पीछे नहीं हटना है, इनका डटकर मुकाबला करना है। यह विपरीत परिस्थितियां हमें और ज्यादा मजबूत बनाएगी। जिससे हम अपनी मंजिल के और ज्यादा करीब पहुंच जाएंगे । ©Anant Bhardwaj ✍️ कठिनाइयों से ना घबराएं बहुत समय पहले की बात है एक शिल्पकार एक मूर्ति बनाने के लिए किसी जंगल में पत्थर ढूंढने के लिए गया। वहां उसे मूर्ति
✍️ कठिनाइयों से ना घबराएं बहुत समय पहले की बात है एक शिल्पकार एक मूर्ति बनाने के लिए किसी जंगल में पत्थर ढूंढने के लिए गया। वहां उसे मूर्ति #Success #Thoughts #Motivation #Rose #Growth #Person #aim #target #joshtalks
read moreBad Poet
Stories from the Subconscious: सपनों के शहर में *सपनों के शहर में* बात तब की है जब मैं बाइक चलाने में नौसिखिया था, स्कूल कुछ दो किलोमीटर दूर था और मैं उस लड़की से भी दूर था जो कभी पास हुआ
*सपनों के शहर में* बात तब की है जब मैं बाइक चलाने में नौसिखिया था, स्कूल कुछ दो किलोमीटर दूर था और मैं उस लड़की से भी दूर था जो कभी पास हुआ #story #LoveStory #romance #wonder #iwonder #shawnmendes #badpoethindi #storiesfromthesubconscious
read moreDr Upama Singh
बरसात की शाम #अनुशीर्षक में#👇👇 बात 1999 की है जब मैं एक छोटे से शहर बनारस की बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए प्रवेश लिया। जुलाई के महीने में मेरे एंट्रेंस एग्जाम
बात 1999 की है जब मैं एक छोटे से शहर बनारस की बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए प्रवेश लिया। जुलाई के महीने में मेरे एंट्रेंस एग्जाम #yqdidi #अनुशीर्षक #yqrestzone #collabwithrestzone #rzलेखकसमूह #rzwriteshindi #unique_upama #rztask425
read moreD.P. Singh
अब बोलने से पहले, बहुत सोचने लगा हूं, बहुत बोल गया था, मगर सोचने से पहले ।। क्या बोला पता नहीं
क्या बोला पता नहीं #विचार
read moreKhushi Kumari
सतयुग में गुस्सा होने पर श्राप दे देते थे और कलयुग में गुस्सा होने पर ब्लॉक कर देते है। ये है डिजिटल श्राप ©Khushi Kumari सही बोला कि नहीं #Seating
Hasanand Chhatwani
बहुत खामोश हो कर उन्हें हम देखते रहे कहते हैं इबादत में बोला नहीं करते ......... ❣️ #इबादत में बोला नहीं करते
Hasanand Chhatwani
वो खुलकर कुछ बोला ही नहीं, धोखा भी धोखे से दिया उसने !! वो खुलकर कुछ बोला ही नहीं, धोखा भी धोखे से दिया उसने !!
वो खुलकर कुछ बोला ही नहीं, धोखा भी धोखे से दिया उसने !! #शायरी
read moreRoshni Yadav
कैसे न करती उसपे यकिन ,नदी के जैसे बह रही थी आंखे तुम मिल जाओ तो में मुक्कमल ,हो जाऊ तुमको पाके दिल के हर राज खोलूंगा, तेरे लिए ही हर अल्फाज बोलूंगा मिलोगी नहीं तो मर जाऊंगा एक बार नहीं सौ बार बोलूंगा तुमसे दूर होकर में जी कहा पाऊंगा, लाके देदो जहर खाकर मर जाऊंगा हजार कसमें खाई उसने वादे भी हजार किए बन बैठे खुदके कातिल उसके बातो का एतबार किए शौक था उसका दिलो से खेल जाने का खुद को ही खुद का गुनहगार किए फरेब,धोखा का पहना चोला था उसने झूठ भी कितना प्यारा बोला था ©Roshni Yadav उसने झूठ भी कितना प्यारा बोला था
उसने झूठ भी कितना प्यारा बोला था #कविता
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