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Parasram Arora
मंदिर मस्जिद और चर्च मे जाने वालो मे शायद ही कोई ऐसा हो जिनको ईश्वर उपलब्द हुआ हो हा मनुष्यो को और मनुष्यता को खंडित करने मे इन. तथाकथित धार्मिक मनुष्यो ने अपनी i सहभागिता जरूर निभाई है विश्व मे जितने भी ईश्वर और उनके धर्मवलम्बी लोग है इनके नाम पर इतनी हत्याये इतनी हिंसा के आरोप है.. कि उनका कोई हिसाब ही नहीं है ©Parasram Arora मनुष्य और मनुष्यता
मनुष्य और मनुष्यता #कविता
read moreParasram Arora
मंदिर मस्जिद और चर्च मे जाने वालो मे शायद ही कोई ऐसा हो जिनको ईश्वर उपलब्द हुआ हो हा मनुष्यो को और मनुष्यता को खंडित करने मे इन. तथाकथित धार्मिक मनुष्यो ने अपनी i सहभागिता जरूर निभाई है विश्व मे जितने भी ईश्वर और उनके धर्मवलम्बी लोग है इनके नाम पर इतनी हत्याये इतनी हिंसा के आरोप है.. कि उनका कोई हिसाब ही नहीं है ©Parasram Arora मनुष्य और मनुष्यता
मनुष्य और मनुष्यता #विचार
read moreParasram Arora
ये तो सच है कि मनुष्य अब पशु नहीं है लेकिन क्या यह भी सच है कि मनुष्य अब मनुष्य हो गया है? क्योंकि पशु होना तो अब आतीत की घटना हो गई है.....और परमत्मा होना अब मनुष्य के लिएभविष्यकी सम्भावना बन गई है...... यही है मनुष्य का तनाव और संताप. कि वो मनुष्यता के बिना मनुध्य बनने की चेष्टा कर रहा है ©Parasram Arora मनुष्य और मनुष्यता #Teachersday
मनुष्य और मनुष्यता #Teachersday #कविता
read moreDR. LAVKESH GANDHI
महल महलों की दीवारों में गुम हो गई हैं मनुज से मनुजता और दिलों का प्यार #मनुष्य # #मनुजता की निशानी # #yqlife # yqbaba#
मनुष्य # मनुजता की निशानी # yqlife # yqbaba#
read moreKaushal Kumar
सब के अंतर में होता है, एक विशद देहातीपन। मगर बाहरी आडम्बर ने, छीन लिया प्राकृतिकपन।। बचपन, यौवन और बुढापा, का अनुक्रम अब गौण हुआ। अपना ही खोकर अपनापा, मनुज समझता प्रौढ़ हुआ।। झूठी तृष्ना और पिपासा, दिखते हैं मन दामन में। दूरी तय कर लेने वाले, दिखें शून्य विस्थापन में।। ....कौशल तिवारी . . . ©Kaushal Kumar #मनुष्यताआजकल
shaili
इंसानियत मनुष्य का सर्वप्रथम धर्म है, सबसे पहले इसका पालन करो, उसके बाद तुम हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई हो #मनुष्यधर्म
Kaushal Kumar
सब के अंतर में होता है, एक विशद देहातीपन। मगर बाहरी आडम्बर ने, छीन लिया प्राकृतिकपन।। बचपन, यौवन और बुढापा, का अनुक्रम अब गौण हुआ। अपना ही खोकर अपनापा, मनुज समझता प्रौढ़ हुआ।। झूठी तृष्ना और पिपासा, दिखते हैं मन दामन में। दूरी तय कर लेने वाले, दिखें शून्य विस्थापन में।। ..........कौशल तिवारी . . . ©Kaushal Kumar #मनुष्यताआजकल
Arun kr.
मनुस्मृति दहन दिवस एक ग्रंथ जो शदियों से मनुष्य को बाटें रखा लोगों को चार वर्णों मे बांट उसे सम्मान और अधिकार से वंचित रखा शुद्र और वैश्य का जीवन अपमान और तिरस्कार से भरा रखा जिसमें कर्म नही जन्म का प्रधानता था जन्म ही कर्म का चयनकर्ता था जिसमें मनुष्य जीवन का संकुचित वर्णन था गुण ,कौशल- योग्यता मापने का न कोई पैमाना था शदियों से ब्राह्मण और क्षत्रिय का ही जमाना था शुद्र और वैश्य की क्या बात करू... उस स्थिति से आज का मेरा नर्क का कल्पना अच्छा हैं पर कहते हैं न हर युग में एक दुखहर्ता आता हैं जो मनुष्य जीवन संवार जाता हैं बाबा अम्बेडकर ने इस दानव नामक ग्रन्थ को आज के दिन ही दिया जलाय शुद्र और वैश्य नामक मनुष्य का जीवन लिया बचाय । ©Arun kr. #मनुस्मृतिदहनदिवस