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abhishekallahabadii

बारिश #कविता

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मौसम बारिश का , 
साथ सोंधी सोंधी खुशबू माटी का, 
अलसाई सी कलियों का ,
साथ गीले गीले हरे पत्तों का 
तालाब में टपकती बूंदों का
 साथ टर्र टर्र  करते मेढकों का 
बैठकर देखना बारिश लोगों का
 साथ गरम गरम पकौड़ियों का 
मौसम बारिश का 
इसका अंदाज कुछ अलग सा
मजा भीगनें का
साथ छातों का।। बारिश

Umesh Kushwaha

प्यार आज भी उससे है। #story

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"प्यार आज भी उससे है"
 प्यार में होना और प्यार से उबरना दो अलग अलग बात है। प्यार में होना यानी अमूर्त हो जाना। फिर आप कहीं इतना खो जाते है, जैसे बारिश की पहली बूंदे मिट्टी पर पड़ती हो तो वो सोंधी सोंधी खुशबू आपके मन को पूरी तरह मोह लेती है या धीरे धीरे आप इसके वस में हो जाते हैं,आप मोहित हो जाते है।
     उस मिट्टी की आवो हवा में आप जीने लगते है,फिर वही रोज़ की आदत में शुमार हो जाता है।आप चाह कर भी उस गोलाई की परिध से बाहर नहीं आ सकते,फिर आपकी दिनचर्या इस 
कदर जकड़ जाती है कि जब तक आप उस सौंधी सौंधी खुशबू को मस्तिष्क में उतार न ले तब तक आप खुश नहीं रह सकते,फिर क्या ये धीरे धीरे आपकी आदत आपका स्वभाव बन जाती है।
     जब कोई चीज़ आपके स्वभाव में आ जाए तो उसे बदलना कठिन होता है लेकिन ये और भी भयावह हो जाता जब धीरे धीरे इसकी कद्र कम होने लगती है। फिर क्या झल्लाहट और अकेलापन इस कदर हावी हो जाता है कि आप हर समय खाली खाली महसूस करने लगते हैं।
     नीरस और बेमन होकर जीना जैसे अंश और हर का कायदा हो,फिर आप उस अंश के ही होकर रह जाते हैं यानी हर चीज के आदी जैसे वो रास्ते,बाजार घूमना - फिरना यहां - वहां आना - जाना।यहां तक कि वहां की हवा भी आप के जहन में बस जाती है, जो कि प्राणवायु है। फ़िर आप इससे उबर नहीं सकते अंत तक चाहे कितना भी धैर्य रख लीजिए क्यूंकि वो वायु प्रणय बनकर आपके दिलोदिमाग से लेकर पूरे शरीर में वास कर रही होती है।
       जब वो अंश आपसे अलग होता है, वो तो यही सोचता है कि वो पूरी तरह अलग हो गया है लेकिन ये सिर्फ उसके ही परिपेछ्या से दृष्टागत है। वो कहीं अलग किसी और के साथ खुश है लेकिन आप उस साथ को इतना जी चुके होते हैं की वो फिर आपको नहीं छोड़ता जो की हर समय आपके साथ होता है और नहीं भी, यही बात सबसे ज्यादा तकलीफ देय होती है।
      वो सारे मंजर फिर याद आते हैं, वो सड़के जहां हम साथ चले थे,वो कचौरी का ठेला फिर पानी पूरी की बात" भैया दही वाली ही देना" और वहीं पास वाली आइस्क्रीम की दुकान से  हर बार तुम जिद करके सिर्फ एक ही आइसक्रीम लिया करते थे,और फिर धीरे धीरे पार्क पहुंच जाते थे।फिर क्या तुम बोलती और मैं सुनता था।
        इतना ही नहीं हर रोज़ तुम्हारे ऑफिस से घर तक छोड़ना, पर हां वो हाईवे वाला पुल जहन में बना ही रहता है, जब तुमने अचानक बाइक रोकने को कहा था और हम कुछ देर रुके थे । तब पहलीवार तुमने हमें "किस" किया था,जो आज भी वो पुल वाला किस याद है जिसे भूलाया नही जा सकता।
        हर वो चीज याद है जो हम साथ में जिये हैं,वो गली - वो मोहल्ले! एक एक पल जो हम बातें करते थे और हां वो रेलवे का ओवरब्रिज कैसे भूल सकता हूं मै वहीं पर तो झगड़ा हुआ था हमारा, तुम उस दिन गुस्से में थी। फिर हमारी कई दिनों तक बात नहीं हुई और न ही मिलना जुलना। उस दिन बहुत कोशिश की थी तुमको समझाने की लेकिन तुमने अकेले ही फैसला कर लिया था।
         तुम्हारे लिए तो आसान था पर शायद आज तक मैं उन चीजों से उबर नहीं पाया हूं,खोजता रहता हूं मै तुम्हे ही उन्ही रास्तों में जहां जहां हम साथ चले थे। पर अब वो गलियां हमें चुभती हैं हवाओं में भी एक अजीब सी चुभन है जो गले ही नही उतरती। लेकिन तब भी उन सारी जगहों को एक बार फिर देख लेना चाहता हूं,मानो मै तुम्हे महसूस के रहा होता हूं जब उन सारी जगहों से गुजर रहा होता हूं चाहे वो तुम्हारे घर की पास वाली गली हो या रेलवे फाटक के खुलने का वो दो मिनट का इंतजार पर आज भी लगता है कि तुम उस पार से कहीं मुझे निहार रही होगी और दौड़कर फिर मेरे पास आना चाहती होगी लेकिन फिर मैं मौन हो जाता हूं तुम्हे खोकर,क्यूंकि मै जीना चाहता था तुम्हारे साथ,जब तुम साथ होती थी तो अच्छा लगता था लेकिन शायद अब तुम्हे मंजूर नहीं था मेरे साथ रहना , वो प्रश्न आज भी मेरे अंदर कहीं उस उत्तर को खोजना चाहता है जिसका जवाब सिर्फ तुम हो।
  मै तुम्हे ढूडना चाहता हूं फिर वही उसी पार्क में की तुम आओगी उसी मेज पर जहां हम साथ बैठा करते थे,आज भी मैं रोज उसी मेज़ पर जाकर अकेले बैठता हूं इसी उम्मीद में कि एक दिन तुम जरूर आओगी। अब तो दिल की धड़कने और तेज़ होने लगी थी क्यूंकि मेरे जाने का यानी इस शहर को छोड़ने का समय कुछ ही दिन और बचा था।
 उस शहर को छोड़ने से पहले मैं हर एक चीज को समेट लेना चाहता था,हर वो लम्हा जी लेना चाहता अब अकेले ही जैसे तुम्हारे साथ जिया था। तुम्हारे न होने का दुख तो था वो अकेलापन लेकिन तुम मुझमें हर वक्त होती थी ऐसा लगता था कि तुम मेरे साथ चल रही हो,कुछ कह रही हो और मैं सुनता जा रहा हूं आज भी उसी तरह पूरी तनमयता से।
     कुछ भी हो ये शहर तो अब जहन में बस गया है वो भी सिर्फ तुम्हारे लिए जिसे अब भूलाया नहीं जा सकता। इश शहर ने हमें बहुत कुछ दिया और बहुत कुछ सिखाया भी है। अब यहां खोने को कुछ बचा भी नहीं था क्यूंकि आप यहां अपना दिल हार चुके है और उससे बेहद कीमती कुछ हो भी नहीं सकता। 
      इस शहर ने प्रेम करना सिखाया, प्यार में होना सिखाया लेकिन प्यार से उबरना नहीं सिखा पाया जिसकी टीस आज भी चुभ रही है जो शायद अब जीवन पर्यंत रहे क्यूंकि जब कोई प्यार में होता है तो वो फुल स्विंग के साथ  पूरी ईमानदारी और लगन से होता है और फिर जब कोई बीच में ही छोड़ के चला जाए तो फिर बहुत दुखता है इसीलिए कहता हूं प्यार में होना और प्यार से उबरना दो अलग - अलग बात है। प्यार आज भी उससे है।

Asmita Jain

उसका जाना
बारिश की रुत के
जाने जैसा था
उसके आने की आहट से
मानो मन का मोर
झूम उठता था,
नाचने लगता
गाने लगता
जब वो आती
इश्क की बारिश में 
तर - बतर कर जाती
खूब जमकर बरसती
मन के हर एक कोने को
सावन सा भिगो जाती।
उसका जाना यूं हुआ मानो
रह गई हो उसके इश्क की
सोंधी सोंधी सी महक
तन बदन से रूह तक महकती है
उसकी याद बनकर बिखरती है
उसके जाने के बाद
कई सावन आए,कई गए
वो बारिश फिर ना हो सकी
वो रूत फिर ना आई सकी लौटकर
जो इस बदन को महका सके।
उसकी महक आज भी
कहीं ना कहीं जिंदा है
बस तुम्हारा आना ना हो सका। #spillpoetry #nojoto #poetry #poem #shayri #hindipoem #nojotowriter #barish #sawan

DiLip KumaR

सोंधी-सोंधी...

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क्यूँ नहीं बरसते
बंज़र पड़ती धरती में
उन तरसती आँखों का सोचो
जो एक ही आस लिए बैठे हैं 
के तुम बरसो तो ये भी महकें 
धरती की तरह सोंधी-सोंधी... सोंधी-सोंधी...

Jahnvee

बचपन और बारिश वापस जाना है बचपन में
बचपन वाली बारिशों में जी भर के भीगना है
बारिश की बूंदो से अटखेलियां करना है
सोंधी-सोंधी मिट्टी की खुश्बू को सांसो में भरना है
बेफिक्र बचपन को फ़िर से एक बार जीना है #बचपनऔरबारिश #nojotohindi #nojoto

Birendra Lodhi

रिम-झिम सी ये बारिश🌧️🌧️
और प्रकृति का ये नजारा ,
सोंधी-सोंधी मिट्टी की ये खुशबू
और हरे-भरे ये पेड़ पौधें ,
और गुँजन करती कोयल
और साथ हो तुम्हारा  
तो ये मौसम 
और खूबसूरत लगने लगता है ।। #nojoto #rain #खूबसूरत #प्रकृति #मोहब्बत #रिम #झिम #बारिश

Arun Trivedi

मिट्टी

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वो सूरज की तपिस , वो हवाओं के थपेड़े, वो जलती हुई धरती, वो प्यासे किनारे ,अब ये पहली बारिश,ये प्यारे नज़ारे, ये चेहकते पंछी, ये उफनते किनारे, आ रही है अब, मिट्टी से सोंधी सोंधी खुशबू मिट्टी

Sony

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ताप्ती भूमि पर
बारिश की जब बूद गिर जाए
सोंधी सोंधी सुन्ध उठे
मन को जो बहुत है भाए
बीजों का अंकुरण  कर
नई पीढ़ी की सुरुवात हो जाए
नव जीवन का आगाज़ कहलाए
बारिश की बूदें जब जमी गिर जाए
सोंधी सी वो सुगंध दिल बहुत है भाए

Kishor Jangra

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यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं
सोंधी सोंधी लगती है तब दिलबर की रुस्वाई भी

Divya Tripathi

Apna banars

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शहर वाराणसी. बनारस की बात ही अलग है। यहां के तीर्थ स्थल, अल्हड़ सी अदा, मंदिरों और घाटों के नजारे मन मोह लेते हैं। इसक अलावा बनारस अपने खान-पान के लिए भी जाना जाता है। बनारस के खाने के आइटम्स पूरे दुनियां में मशहूर हैं। तो अगर आप बनारस आयें तो इन लजीज व्यंजनों का स्वाद जरूर चखें।
कुल्हड़ वाली चाय
चाय एक ऐसा चीज है जो पूरे दुनिया के लोग पीते हैं, तो अगर आप चाय के शौकीन है तो  बनारसी की कुल्हड़ वाली चाय का मजा जरूर लें। यहां मिट्टी की सोंधी-सोंधी खुशबू वाले कुल्हड़ में चाय पीने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। वैसे तो चाय पीने के लिए दुकानों पर हमेशा ही भीड़ लगी रहती है, लेकिन सर्दियों में इसका अपवा मजा है।  बनारस का पान
बनारस के पान के क्या कहने, खयीके पान बनारस वाला गाना तो अपने भी सुना होगा, ये गाना ऐसा ही नहीं बना। सच में बनारस का पान इतना रसीला, स्वादिष्ट है जैसे ये गाना। विदेशी टूरिस्ट भी एक बार इसका स्वाद जरूर चखते हैं। ह्यगुलकंद वाला पानह्ण हर किसी की पहली पसंद है।

बनारसी मिठाइयां की अलग है मिठास 
बनारस के खान पान की बात हो और मिठाइयों बात ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता। बनारस की मिठआई अपने आप में अलग महत्व रखती है। यहां के रसगुल्ले, गुलाबजामुन, मलाई-गिलौरी, लौंगलता, बेसन के लड्डू, खीर- कदम और न जाने कितनी ही मिठाइयां हैं, जिसका स्वाद आपका मन मोह सकता है। 

ओस की बूंदों से बनृता है ये मलइयो
दूध से बनने वाला मलइयो काशी की खास पहचान है। गंगा घाट, चौक और गदौलिया में मिलने वाला मलइयो लोगों को अपनी तरफ खींच ही लेता है। इसे बनाने की विधि भी बेहद खास है। दूध को चीनी के साथ उबालकर आसमान के नीचे ओस में रख दिया जाता है। रात भर ओस में रखने के बाद इसमें दूध मिलाया जाता है। इसके बाद किसी बर्तन में दूध को काफी देर तक फेंटा जाता है। इससे झाग तैयार होता है, जिसे लाजवाब मलइयो कहते हैं।

बनारस की खास लस्सी
बनारसी लस्सी भी यहां की पहचान है। इंडिया घूमने आए विदेशी इसका स्वाद जरूर चखते हैं। चौक इलाके की कचौड़ी गली में ब्लू लस्सी के नाम से एक दुकान है। यहां आपको सेब, केला, अनार, आम और रबड़ी समेत हर फ्लेवर की लस्सी मिल जाएगी।

बनारस की सुबह और पूड़ी-सब्जी, जलेबी और वो कचौड़ी गली
कद्दू की सब्जी-पूड़ी और साथ में गरमागरम जलेबी बनारस की पहचान है। लंका पर स्थित ह्यचाची की दुकानह्ण पूड़ी-सब्जी के लिए मशहूर है। इसका स्वाद चखने के लिए लोग सुबह से ही दुकान पर जमा हो जाते हैं। वहीं, चौक की कचौड़ी गली इसी के लिए ही फेमस है। अगर आप काशी आएं तो इसका स्वाद एक बार जरूर चखें।

बनारसी टमाटर चाट
काशी में आए और टमाटर चाट का स्वाद नहीं चखा, इसका मतलब आप बनारसीपन के एक हिस्से को नहीं जान सके। जी हां, टमाटर चाट बनारस का फेमस स्ट्रीट फूड है। इसे बनारसी चाट भी कहा जाता है। इसका स्वाद बेहद अलग और स्वादिष्ट होता है।

लौंग लता
इसे ह्यलवंग लतिकाह्ण भी कहते हैं। ये बंगाली समाज के त्योहारों पर बनने वाली पारंपरिक मिठाई है। बनारस की हर दुकान पर ये करीने से सजी हुई रखी रहती है। जो काशी आता है, वो एक बार इसका स्वाद जरूर चखता है।

चूड़ा-मटर
बनारस का चूड़ा मटर जिसका स्वाद ही अलग है, इसे सर्दियों में चाय के साथ खाने का लुफ्त आप उठा सकते हैं। काशी में सर्दियों में हर घर में चूड़ा-मटर बनता है। यही नहीं, ये आपको दुकानों पर भी गरमागरम मिल जाएगा। यहां के लोग अक्सर बतकही लगाते और साथ में चूड़ा-मटर खाते दिख जाएंगे।


रबड़ी वाला दूध
वैसे तो आप घर में ही दूध गर्म करके पी लेते होंगे, लेकिन बनारस में बड़ी सी हांडी में घंटों तक दूध पकाया जाता है। इससे दूध का स्वाद बढ़ जाता है। इसके बाद दूध में रबड़ी भी मिलाई जाती है, जो इसके टेस्ट को और भी बढ़ा देती है।

बनारसी चाट
बनारस की चाट काफी मशहूर है। देश-विदेश से लोग आलू-टिक्की चखने के लिए काशी आते हैं। अलग-अलग मसालों से बनी आलू-टिक्की का अलग ही स्वाद होता है। आप जब भी काशी आएं तो ये डिश भी है खास 

सेवपुरी
आलू, टमाटर, प्याज, अलग-अलग मसाले और सेव से बनी सेवपुरी अपने स्वाद के लिए काफी मशहूर है। अगर आप बनारस आने का प्लान बना रहे हैं तो इसे भी एक बार जरूर चखें। Apna banars
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