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Shubham Bhardwaj
मृगतृष्णा सा जीवन सबका, प्यास नही बुझती है। दोड़ धूप में कटता जीवन, दिन रात यूं ही कटती हैं।। ©Shubham Bhardwaj #tumaurmain #मृग #तृष्णा #सा #जीवन #सब #प्यास #कहाँ #बुझती #है
Shubham Bhardwaj
अजीब प्यास है,बुझाकर भी देखा, बुझती नही है। यह दिल की लगी है,मोहब्बत के बिना सुलझती नही है।। ©Shubham Bhardwaj #Drown #अजीब #प्यास #है #यह #बुझती #नही
Anushant Kumar Annu
गर हो kabhi मौत मेरी तुम सुनकर छुप जाना, जो पूछे कोई कहानी मेरी, तो कहेना इश्क़ में हारा tha, क़त्ल ख्वाइश की वो सह नहीं पाया, बुझती दिया सा था, इसलिए मर गया... ! #बुझती diya
#बुझती diya
read moreनितिन कुमार 'हरित'
फिर से चाहत को हवा देते हैं, आग बुझती है, जला देते हैं । अब मैं आऊँ तो इनकार ना करना मुझको, फिर से कसमों से लाचार ना करना मुझको । अपनी ज़ुल्फ़ें तू हल्की सी झटक सी देना, मेरी उल्फ़त को थोड़ी सी कसक सी देना । याद कर लेना मुझको भी सवालों में कहीं, गुनगुना लेना छिप छिप के ख्यालों में कहीं । इतना काफी है तू चाहत का सिला रख लेना, मुस्कुरा देना फिर चाहे गिला रख लेना ।। बात इतनी है, चल फिर से गिला देते हैं... आग बुझती है, जला देते हैं। फिर से चाहत को हवा देते हैं, आग बुझती है, जला देते हैं ।। #NitinDilSe #NKHarit - Nitin Kr Harit फिर से चाहत को हवा देते हैं, आग बुझती है, जला देते हैं । अब मैं आऊँ तो इनकार ना करना मुझको, फिर से कसमों से लाचार ना करना मुझको । अपनी ज़ुल्फ़ें तू हल्की सी झटक सी देना, मेरी उल्फ़त को थोड़ी सी कसक सी देना । याद कर लेना मुझको भी सवालों में कहीं, गुनगुना लेना छिप छिप के ख्यालों में कहीं ।
फिर से चाहत को हवा देते हैं, आग बुझती है, जला देते हैं । अब मैं आऊँ तो इनकार ना करना मुझको, फिर से कसमों से लाचार ना करना मुझको । अपनी ज़ुल्फ़ें तू हल्की सी झटक सी देना, मेरी उल्फ़त को थोड़ी सी कसक सी देना । याद कर लेना मुझको भी सवालों में कहीं, गुनगुना लेना छिप छिप के ख्यालों में कहीं ।
read moreDeepak Raghuwanshi
यह सत्य है कि लोहे को लोहे से ही काटा जा सकता है और पत्थर से ही पत्थर को तोडा जा सकता है मगर हृदय चाहे कितना भी कठोर क्यों ना हो उसको पिघलाने को कठोर वाणी कभी कारगर नहीं हो सकती क्योंकि वह केवल और केवल नरम वाणी से ही पिघल सकता है क्रोध को क्रोध से नहीं जीता जा सकता बोध से जीता जा सकता है अग्नि अग्नि से नहीं बुझती जल से बुझती है समझदार व्यक्ति बड़ी से बड़ी बिगडती स्थित को दो शब्द प्रेम के बोलकर संभाल लेते हैं हर स्थित में संयम रखो संयम ही आपको कलेशो से बचा सकता हैं आखों में शर्म रहे और वाणी नरम रहे तो समझ लेना परमसुख आप से दूर नहीं जय श्री राधे कृष्णा
Vinay Shukla
उदास तू उदास मै ये रात भी उदास बरस रही है बूंद भी,पर बुझती नहीं प्यास पुकारता है मन सनम तू आ जा मेरे पास धड़क रहा है दिल अभी, न छूटती है आस मिलन की है गुजारिशे,उफ्फ कैसी है ये बरिशे जिस्म-ओ-जान होठ तक सब कर रहें सिफारिशें बादलों के मेल से बरस रहीं हैं बूंद ये तड़प तड़प विरह की रात दिखा रही हैं ख्वाहिशें बादलों में छिप गया है चाद भी अभी अभी बढ़ चली है प्यास थी जो अब तलक दबी दबी आसमां की बूंद बुझा रही जमी की प्यास उदास तू उदास मै एं रात भी उदास जैसे मिल न पाएगा कभी जमी से पर ये आसमां वैसे हम जल रहे विरह ऐसी आस मा याद तेरी आ गई पर है तेरी तलाश उदास तू उदास मै एं रात भी उदास बरस रही है बूंद भी पर बुझती नहीं प्यास विनय शुक्ला कल्पना###@विनय शुक्ला
कल्पना###@विनय शुक्ला
read moreKavyaVarsha
मैं सागर पी गई हुँ, पर प्यास नहीं बुझती, हैँ कुछ भी नहीं मेरे पास, फिर भी कुछ होने की आस नहीं बुझती, #आस_बुझती
राजन गोत्रा ( समर )
जाने किसकी दुआओं से जी रहा हूँ मैं ज़हर ये ज़िंदगी का रोज़ पी रहा हूँ मैं दामने ज़ीस्त तो हमेशा ही से चाक रहा हूँ पुर उम्मीद इसे फिर भी सी रहा हूँ मैं प्यास बुझती भी मेरी तो किस तरह बुझती तमाम उम्र सराबों में ही रहा हूँ मैं हूँ मुत्मयिन कि अब हश्र कुछ भी हो मेरा हूँ बेख्याल कि बेमाने जी रहा हूँ मैं मेरी तारीक ज़िंदगी का कोई जश्न तो हो कि तीरगी के करीब भी रहा हूँ मैं समर से और क्या उम्मीद है ज़माने को कभी ज़माने का होकर नही रहा हूँ मैं #NojotoQuote
Naila Shahi
// औरत // " बुझती हुई शमाँ को जलाए कौन पुराने जख़्मों पे मरहम लगाएं कौन कहने को तो सब अपने हैं यहां रेप पीड़िता को ज़माने में अपनाएं कौन " रेप पीड़िता की समाज में स्थिति // औरत // " बुझती हुई शमाँ को जलाए कौन पुराने जख़्मों पे मरहम लगाएं कौन कहने को तो सब अपने हैं यहां
रेप पीड़िता की समाज में स्थिति // औरत // " बुझती हुई शमाँ को जलाए कौन पुराने जख़्मों पे मरहम लगाएं कौन कहने को तो सब अपने हैं यहां
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