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Amit Singhal "Aseemit"
जब हम उस दिन एक दूजे से अलग हो रहे थे, न जाने किस बात से मजबूर तुम बस रो रहे थे। अगर तुम मुझ से न जाने का कर लेते इसरार, अब ज़िंदगी भर न करना पड़ता तुम्हें इंतज़ार। ©Amit Singhal "Aseemit" #इसरार
Arzooo
मेरे इसरार से तू अगर रुकने वालों में से होता मैं अपनी जान दे देती तुझे जाने नही देती ।। रोशन है जो दिल में चराग ऐ मोहब्बत लहू का कतरा कतरा दे के इसे बुझने नही देती ।। सिलसिले मोहब्बत के जो अब अंजाम तक है हर हद से गुजर जाती इसे रुकने नही देती ।। बड़े अरमानों से सजाया था प्यार का गुलशन खुद बिखर जाती इसे मिटने नही देती ।। ना होती गर तुझे फिक्र ज़माने की मुझसे ज़्यादा सच कहती हूं जान तुझे बिछड़ने नही देती ।। मेरे इसरार से तू अगर रुकने वालों में से होता मैं अपनी जान दे देती तुझे जाने नही देती ।। मेरे इसरार (request or insist) से तू अगर रुकने वालों में से होता मैं अपनी जान दे देती तुझे जाने नही देती ।। रोशन है जो दिल में charag-e-mohabbat लहू (Blood) का कतरा कतरा (Drops) दे के इसे बुझने नही देती ।। सिलसिले मोहब्बत के जो अब अंजाम (End) तक है हर हद से गुजर जाती इसे रुकने नही देती ।। बड़े अरमानों से सजाया था प्यार का गुलशन (garden) खुद बिखर जाती इसे मिटने नही देती ।।
मेरे इसरार (request or insist) से तू अगर रुकने वालों में से होता मैं अपनी जान दे देती तुझे जाने नही देती ।। रोशन है जो दिल में charag-e-mohabbat लहू (Blood) का कतरा कतरा (Drops) दे के इसे बुझने नही देती ।। सिलसिले मोहब्बत के जो अब अंजाम (End) तक है हर हद से गुजर जाती इसे रुकने नही देती ।। बड़े अरमानों से सजाया था प्यार का गुलशन (garden) खुद बिखर जाती इसे मिटने नही देती ।।
read moreHimmat Singh
इस आशिक़ को तूने मार डाला खुद के ही इसरार में फन तो मेरा शुरू होता है तेरे ही दीदार में। इसरार- ज़िद करना , हिम्मत सिंह writing# thinking#Punjabi poetry #Hindi poetry #Urdu poetry# इस आशिक़ को तूने मार डाला खुद के ही इसरार में फन तो मेरा शुरू होता है तेरे ही दीदार में। इसरार- ज़िद करना , हिम्मत सिंह
prakash jaiswal
#OpenPoetry एक ख्वाब लिए मै बैठा हूं देखू इसे या इसरार करू या अपनी पाक मुहब्बत का, आंखों आंखों इजहार करू..!! लब सूखे है बेचैन है दिल, और वक़्त लगा पर उड़ता है, चुप रह कर ही खामोशी से, मै कैसे सब इकरार करू..!! वो बैठी है मै बैठा हूं, और मंद हवाएं चलती है, देखू उसको, रोकू खुद को , मै कैसे उसको प्यार करू..!! एक ख्वाब लिए मै बैठा हूं , देखू इसे या इसरार करू #pj #OpenPoetry
Himmat Singh
तुम सोचती हो मैंने सारे सिलसिले मोहब्बत के पल में ही बिताएं हैं कुछ पल मैंने इश्क़ ना करने के इसरार में ही गवाएं हैं। इसरार- ज़िद करना ,हिम्मत सिंह writing# thinking# Punjabi poetry #Hindi poetry# Urdu poetry#💔💔💔🎶🎶🎶💘💘💘💓💓💓
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