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Poonam Suyal
कभी सोचा नहीं था (अनुशीर्षक में पढ़ें) 3 February 2019 कभी सोचा नहीं था कभी सोचा नहीं था मैंने दर्द होगा तुझे, दिल मेरा छटपटाएगा तेरा दर्द मुझे,
3 February 2019 कभी सोचा नहीं था कभी सोचा नहीं था मैंने दर्द होगा तुझे, दिल मेरा छटपटाएगा तेरा दर्द मुझे, #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #सफ़रनामा1 #कोराकाग़ज़सफ़रनामा #rzpoonam
read moreNitesh Prajapati
जो होता है वह दिखता नहीं, जो दिखता है वह होता नहीं, दूर गगन में लहराता हर एक पंछी आजाद नहीं होता, इसी तरह आईने में देखा हर चेहरा साफ नहीं होता। आदमी का मन एक छल की तरह है, उसे जितना भी समझने की कोशिश करो, लेकिन उसके विचार हमेंशा ही, हमारी समझ के परे ही निकलते हैं। आँखों पर हमारी एक पट्टी बंधी होती है, जो कर लेते हैं विश्वास दूसरों पर, लेकिन हम जिसे अपना साथी मानते हैं, वही हमारा दुश्मन निकलता है। आदमी का किरदार, उसकी छवि से नहीं परख सकते हम, उसके लिए उसके दिल में झांकना पड़ता है, इसीलिए लिए तो कहते हैं ना कि, जो दिखता है वह होता नहीं और, जो होता है वह दिखता नहीं। -Nitesh Prajapati आईने में दिखा हर चेहरा साफ नहीं होता, उड़ता हुआ हर पंछी आजाद नहीं होता। पहली रचना की तारीख :- 14th March 2021 @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ #collabwithकोराकाग़ज़ #सफ़रनामा1 #कोराकाग़ज़सफ़रनामा
आईने में दिखा हर चेहरा साफ नहीं होता, उड़ता हुआ हर पंछी आजाद नहीं होता। पहली रचना की तारीख :- 14th March 2021 @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ #collabwithकोराकाग़ज़ #सफ़रनामा1 #कोराकाग़ज़सफ़रनामा #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता
read moreDr Upama Singh
महामारी से जंग तकलीफ़ में हैं सबकी सांँसें रास्ते के सब हैं ये कांँटें हम सब मिलजुल कर हैं बांँटें कितने सुकून से हम सब थे अमन चैन से सब जी रहे थे ज़िन्दगी के मझधार में फंँस थे आसान नहीं था वो वक्त घर से निकलना हो गया था सख्त बहुत ही मुश्किल वो दौर था जिससे निकालना कठिन हो गया था फिर भी हम सबने हिम्मत ना हारी ज़िन्दगी की जंग हम सबने जीत ही डाली अभी सिर्फ़ था वायरस अब आ गया काला फंगस कैसे बीतेगा जीवन फिर यार संगत तकलीफ़ में हैं सबकी सांसें रास्ते हैं सब काटें सब मिलजुल कर हम सबने हैं बांटें मेरी पहली रचना कॉरोना वायरस के दूसरे लॉकडाउन में yourquote पर लिखी थी 15 May 2021 06.06 PM #सफ़रनामा1 #कोराकाग़ज़
अभी सिर्फ़ था वायरस अब आ गया काला फंगस कैसे बीतेगा जीवन फिर यार संगत तकलीफ़ में हैं सबकी सांसें रास्ते हैं सब काटें सब मिलजुल कर हम सबने हैं बांटें मेरी पहली रचना कॉरोना वायरस के दूसरे लॉकडाउन में yourquote पर लिखी थी 15 May 2021 06.06 PM #सफ़रनामा1 #कोराकाग़ज़ #yqdidi #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़सफ़रनामा #similethoughts
read moreनेहा उदय भान गुप्ता
बड़े मोम हुआ करते थे कभी हम भी... एक ठोकर क्या लगी दिल पत्थर हो गया... सह ना सका मासूम दिल हमारा इस दर्द को, सपने सारे एक पल में ही चकनाचूर हो गया।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सजाएँ थे कभी हम भी ख्वाहिशों का आलम, पर ख़्वाब सारे बहता हुआ समुन्दर हो गया। उम्मीद भी टूट गई, हथेलियाँ भी रिक्त अपना, तबाही का साहिब ऐसा अपना मंज़र हो गया।। 😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭 रो ना सकी आँखें मेरी, एक टक ताकती निगाहे, था उन दिनों कुछ अपना, ऐसा सफ़र हो गया। नेह का नेह छूटा, तो धैर्य भी था उसका टूटा, नही ख़बर किसी को इसकी, ऐसा बवंडर हो गया। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ये होती है कहानियाँ, जहां टुट कर सम्हलते है, पर हकीकत की जमीं पर, इससे अन्तर हो गया। हो चाहे जैसा समय, पर कोई फ़र्क नही मुझ पर, माटी का अब पुतला नही मैं, ये तो प्रस्तर हो गया। 😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭 ख्वाबों का कारवां बुनके चली थी मैं भी एक दिन, पर सब टूटकर, ख्वाबों से मेरा अलगाव हो गया। यूँ ही नही कहते है सब लोग मुझसे, तू बदल गई, पर क्या करे, सितम का मुझ पर असर हो गया।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 बड़े मोम हुआ करते थे कभी हम भी... एक ठोकर क्या लगी दिल पत्थर हो गया... 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 10 जून 2020 10 जून 2020 को अपना अकाउंट बनाया....और उसी क्षण मैंने ये पंक्तियाँ पोस्ट की.... बहुत मुश्किल दौर था मेरे लिए वो....लेकिन योर क्योट के साथ ने मरहम का काम किया..... उम्र के ऐसे पड़ाव से गुजर ही रही हूँ की....मैं लगातार लेखन तो नही कर पाती...पर जब भी समय मिलता है....तो थोड़ा बहुत लिख देती हूँ.....और साथ ही साथ कुछ लेखकों की रचनाओं को पढ़ती भी हूँ....
बड़े मोम हुआ करते थे कभी हम भी... एक ठोकर क्या लगी दिल पत्थर हो गया... 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 10 जून 2020 10 जून 2020 को अपना अकाउंट बनाया....और उसी क्षण मैंने ये पंक्तियाँ पोस्ट की.... बहुत मुश्किल दौर था मेरे लिए वो....लेकिन योर क्योट के साथ ने मरहम का काम किया..... उम्र के ऐसे पड़ाव से गुजर ही रही हूँ की....मैं लगातार लेखन तो नही कर पाती...पर जब भी समय मिलता है....तो थोड़ा बहुत लिख देती हूँ.....और साथ ही साथ कुछ लेखकों की रचनाओं को पढ़ती भी हूँ.... #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #सफ़रनामा1 #कोराकाग़ज़सफ़रनामा
read moreनेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
बड़े मोम हुआ करते थे कभी हम भी... एक ठोकर क्या लगी दिल पत्थर हो गया... सह ना सका मासूम दिल हमारा इस दर्द को, सपने सारे एक पल में ही चकनाचूर हो गया।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सजाएँ थे कभी हम भी ख्वाहिशों का आलम, पर ख़्वाब सारे बहता हुआ समुन्दर हो गया। उम्मीद भी टूट गई, हथेलियाँ भी रिक्त अपना, तबाही का साहिब ऐसा अपना मंज़र हो गया।। 😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭 रो ना सकी आँखें मेरी, एक टक ताकती निगाहे, था उन दिनों कुछ अपना, ऐसा सफ़र हो गया। नेह का नेह छूटा, तो धैर्य भी था उसका टूटा, नही ख़बर किसी को इसकी, ऐसा बवंडर हो गया। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ये होती है कहानियाँ, जहां टुट कर सम्हलते है, पर हकीकत की जमीं पर, इससे अन्तर हो गया। हो चाहे जैसा समय, पर कोई फ़र्क नही मुझ पर, माटी का अब पुतला नही मैं, ये तो प्रस्तर हो गया। 😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭 ख्वाबों का कारवां बुनके चली थी मैं भी एक दिन, पर सब टूटकर, ख्वाबों से मेरा अलगाव हो गया। यूँ ही नही कहते है सब लोग मुझसे, तू बदल गई, पर क्या करे, सितम का मुझ पर असर हो गया।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 बड़े मोम हुआ करते थे कभी हम भी... एक ठोकर क्या लगी दिल पत्थर हो गया... 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 10 जून 2020 10 जून 2020 को अपना अकाउंट बनाया....और उसी क्षण मैंने ये पंक्तियाँ पोस्ट की.... बहुत मुश्किल दौर था मेरे लिए वो....लेकिन योर क्योट के साथ ने मरहम का काम किया..... उम्र के ऐसे पड़ाव से गुजर ही रही हूँ की....मैं लगातार लेखन तो नही कर पाती...पर जब भी समय मिलता है....तो थोड़ा बहुत लिख देती हूँ.....और साथ ही साथ कुछ लेखकों की रचनाओं को पढ़ती भी हूँ....
बड़े मोम हुआ करते थे कभी हम भी... एक ठोकर क्या लगी दिल पत्थर हो गया... 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 10 जून 2020 10 जून 2020 को अपना अकाउंट बनाया....और उसी क्षण मैंने ये पंक्तियाँ पोस्ट की.... बहुत मुश्किल दौर था मेरे लिए वो....लेकिन योर क्योट के साथ ने मरहम का काम किया..... उम्र के ऐसे पड़ाव से गुजर ही रही हूँ की....मैं लगातार लेखन तो नही कर पाती...पर जब भी समय मिलता है....तो थोड़ा बहुत लिख देती हूँ.....और साथ ही साथ कुछ लेखकों की रचनाओं को पढ़ती भी हूँ.... #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #सफ़रनामा1 #कोराकाग़ज़सफ़रनामा
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वो ही ख़्वाहिशों को हमारी बिगाड़े वो ही ख़्वाहिशों को हमारी सँवारे, उसकी महफ़िल में हमने भी अपनी ख़्वाहिश आजमाने की ठान ली, सुना करते है हम अक्सर उसकी महफ़िल में विचलित होते मन को सुकून मिलता है, हमने भी उसके दर पर सजी महफ़िल में आकर हाजिरी लगा ली, ज़माने ने जहाँ हाथ छोड़ा हमारा उस श्याम ने हमारी बाँह थाम ली, बड़ा अटूट बंधन सा लगता है श्याम संग हमारा जब ज़माने ने हमसे नजरे फिरा ली, कोरा काग़ज़ सफरनामा 1 पहली रचना.. 26 sept 2020 समय..10.58 जब ख़्वाहिशों को आयाम न मिले तो मेरे श्याम के दरबार की महफ़िल में सुनवाई होती है, सुनता है वो सबकी जब कोई ख़्वाहिश नाकाम रह जाती है, उसी पर आधारित हमारी पहली रचना थी, जहाँ से हमने लेखन के सफ़रनामे की शुरुआत की, #collabwithकोराकाग़ज़ #सफ़रनामा1 #कोराकाग़ज़सफ़रनामा #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़
कोरा काग़ज़ सफरनामा 1 पहली रचना.. 26 sept 2020 समय..10.58 जब ख़्वाहिशों को आयाम न मिले तो मेरे श्याम के दरबार की महफ़िल में सुनवाई होती है, सुनता है वो सबकी जब कोई ख़्वाहिश नाकाम रह जाती है, उसी पर आधारित हमारी पहली रचना थी, जहाँ से हमने लेखन के सफ़रनामे की शुरुआत की, #collabwithकोराकाग़ज़ #सफ़रनामा1 #कोराकाग़ज़सफ़रनामा #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़ #trendingquotes #tarunasharma0004
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