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Krish Vj

#collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #KKPC28 #kkप्रीमियम व्यक्ति की इच्छाएं अनंत है, बहुत कम परिश्रम से बहुत कुछ वो पाना चाहता है। अपना हर कार्य वो सरलता और शीघ्रता से चाहता है यही कारण है कि वो असफल होने का दाग साथ लेकर चलता है। साधन अगर सीमित है तो भी उससे व्यक्ति कि लक्ष्य प्राप्ति पर कोई असर नहीं होना चाहिए। व्यक्ति को सिर्फ अपने लक्ष्य की प्राप्ति की ओर ध्यान देना चाहिए, साधनों की सीमितता का कोई प्रभाव नहीं होना चाहिए। जितने साधन उपलब्ध है उन्हीं को साथ ल

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निरपेक्षो निर्विकारो निर्भरः शीतलाशयः।
अगाधबुद्धिरक्षुब्धो भव चिन्मात्रवासनः।।

सुख साधन त्याग ही ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है, साधन को अंतिम विकल्प के रूप में ही प्रयोग करें।

पूर्ण चिंतन अनुशीर्षक मेें पढ़िए  #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkpc28 #kkप्रीमियम


          व्यक्ति की इच्छाएं अनंत है, बहुत कम परिश्रम से बहुत कुछ वो पाना चाहता है। अपना हर कार्य वो सरलता और शीघ्रता से चाहता है यही कारण है कि वो असफल होने का दाग साथ लेकर चलता है। 
          साधन अगर सीमित है तो भी उससे व्यक्ति कि लक्ष्य प्राप्ति पर कोई असर नहीं होना चाहिए। व्यक्ति को सिर्फ अपने लक्ष्य की प्राप्ति की ओर ध्यान देना चाहिए, साधनों की सीमितता का कोई प्रभाव नहीं होना चाहिए। जितने साधन उपलब्ध है उन्हीं को साथ ल

Krish Vj

#collabwithकोराकाग़ज़ #kkप्रीमियम #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़ #KKPC28 ग़ज़ल :- बे-खौफ़ इश्क़ [रस्म-ए-उल्फ़त:- प्रेम का अनुष्ठान]

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ज़र्द 'सूरज' की तपिश,  ना जला सकीं इसको
'लोक-लाज' की  आँधी, ना  हरा सकीं इसको

ना जात-पात  का "भंवर",  फ़ंसा सका इसको
ना 'ज़ख़्म' की  यह लहरें,  डूबा सकीं है इसको

बह निकले है दर्द के आँसू पर मज़बूर नहीं यह 
मुकम्मल हो ना हो, किसी गिला नहीं है इसको 

"रस्म-ए-उल्फत"  को  ना रोक सके  तूफ़ान यूँ
ज़िंदगी तबाह पर कोई ना झुका सका इसको

जो आए वो सब लौट गए खाली हाथ "कृष्णा"
जल रहा दीप बन, ना कोई बुझा सका इसको  #collabwithकोराकाग़ज़ #kkप्रीमियम  #विशेषप्रतियोगिता  #कोराकाग़ज़

 #kkpc28

ग़ज़ल :- बे-खौफ़ इश्क़

[रस्म-ए-उल्फ़त:- प्रेम का अनुष्ठान]

Krish Vj

जैसे दीपक संग बाती है रहती प्यारे
बिन तेरे मैं कुछ नहीं हूँ 'साजन' मेरे

नदिया कहाँ ? पार होती नांव बिना
'जीवन रथ' के दो पहिये है हम यहाँ

प्रेम सुमन खिलता, मिलते जब हम
अधूरा जीवन जब अलग थलग हम

दो आँख सहती सब साथ साथ जैसे
हम भी पूरक, एक दूजे के यहाँ वैसे  #collabwithकोराकाग़ज़ #kkप्रीमियम #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़ #kkpc28

कविता :- नाव और नदी

Poonam Suyal

सीमित साधन ज़िंदगी सबकी ऐश्वर्यपूर्ण नहीं होती। सब लोग सुख समृद्धि से परिपूर्ण हो ये सम्भव नहीं होता। आधुनिक साधनों के रहते जीवन हमारा चाहे अब बेहद आसान हो गया है। पर हर किसी को वो साधन उपलब्ध हों ये मुमकिन नहीं हो पाता। समाज में मध्यमवर्गीय परिवार भी हैं जो इन साधनों को पाने के लिए नित्य संघर्ष कर रहे हैं। अपने बच्चों को वो अच्छी शिक्षा दे सकें इसके लिए कुछ भी करके वो उनको बड़े स्कूलों में दाखिला दिलाते हैं। उनको हर वो अवसर देने की कोशिश वो करते हैं जिससे वो समाज के बीच सर ऊँचा करके चल सकें। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkप्रीमियम #KKPC28

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सीमित साधन (चिंतन)

(अनुशीर्षक में पढ़ें) सीमित साधन 

ज़िंदगी सबकी ऐश्वर्यपूर्ण नहीं होती। सब लोग सुख समृद्धि से परिपूर्ण हो ये सम्भव नहीं होता। आधुनिक साधनों के रहते जीवन हमारा चाहे अब बेहद आसान हो गया है। पर हर किसी को वो साधन उपलब्ध हों ये मुमकिन नहीं हो पाता। समाज में मध्यमवर्गीय परिवार भी हैं जो इन साधनों को पाने के लिए नित्य संघर्ष कर रहे हैं। अपने बच्चों को वो अच्छी शिक्षा दे सकें इसके लिए कुछ भी करके वो उनको बड़े स्कूलों में दाखिला दिलाते हैं। उनको हर वो अवसर देने की कोशिश वो करते हैं जिससे वो समाज के बीच सर ऊँचा करके चल सकें।

Poonam Suyal

नाव और नदी (कविता)

ज़िंदगी की उफनती हुई नदी में सब अपनी नाव  खे रहे हैं
जूझ रहे हैं तूफ़ानों से, किनारे तक का रस्ता ढूंढ रहे हैं 
हताशा को छोड़ हौसलों को अपने परवान दे रहे हैं 
इन आते जाते चक्रवातों से वो बेख़ौफ़ लड़ रहे हैं 

ऊँची नीची लहरें ले जाना चाहती हैं उन्हें साहिल से दूर 
मंज़िल का कुछ अता पता नहीं, वो है अभी सुदूर 
नाव एक दिन ज़रूर लगेगी उनकी किनारे पर 
उनकी हिम्मत ही है अब उनमें उनका गुरूर  #collabwithकोराकाग़ज़  #kkpc28  #विशेषप्रतियोगिता 
#kkप्रीमियम  #कोराकाग़ज़ 

Pic credit google

Poonam Suyal

बे-ख़ौफ़ इश्क़ (ग़ज़ल)

मेरे हमदम का चेहरा आज खिला-खिला सा नज़र आता है
कितना मासूम है वो जिसमें हमें खूबसूरत चाँद नज़र आता है 

वो लहराते हुए आकर यूँ समाए हमारे पहलू में 
बिल्कुल बे-ख़ौफ़ इश्क़ उनका हमको नज़र आता है 

ये हमारा तो कसूर नहीं कि हुई मोहब्बत उनसे हमको 
हमें तो अपने यार में भी बस ख़ुदा नज़र आता है 

मोहब्बत और ज़ंग में होता है सब कुछ जायज़
उनमें हमें बेबाक जीने का जज़्बा नज़र आता है 

अब नहीं परवाह हमें दुनिया के सितम की 
उनके साथ ही से हमको जन्नत का मंज़र नज़र आता है  #collabwithकोराकाग़ज़  #kkpc28  #विशेषप्रतियोगिता 
#kkप्रीमियम  #कोराकाग़ज़ 

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तीसरी रचना विशेष प्रतियोगिता कोरा काग़ज़ विद्या-चिंतन शीर्षक-सीमित साधन #collabwithकोराकाग़ज़ #KKPC28 #विशेषप्रतियोगिता #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़

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सीमित साधन 
हमारे जीवन का बिन साधन गुजारा नहीं है जैसे 
जैसे आधुनिकता की अग्रसरता हो रही है,
मंहगाई की मार हर इंसान के दैनिक जीवन पर 
दिन पर दिन हावी होती जा रही है,
हर साधन आज के दौर में महत्वपूर्ण है सोच-
विचार कर साधन का उपयोग जीवन में करना 
पड़ता है,मगर व्यक्ति की आवश्यकता की 
अधिकता से अधिक होती जिज्ञासा जबकि 
साधन सीमित होते है,फिर भी वो हर साधन 
का उपयोग कर लेना चाहता है,मगर संतुलित 
निष्कर्ष हेतु वर्तमान की आवश्यकताओं को 
ज्यादा महत्व देना जरूरी है,मगर व्यक्ति की 
वर्तमान इच्छायें अक्सर भविष्य की इच्छाओं 
को प्रभावित कर दैनिक जीवन का आकलन 
का गणित अक्सर बिगाड़ देती है,जिनका कहीं
न कहीं परिवार के समस्त सदस्यों के दैनिक 
जीवन के साधनों पर भी असर होता है,इसलिए 
व्यक्ति को बनाकर हर समस्या का समाधान
हेतु उपयोग किया जा सकता है,
 तीसरी रचना
विशेष प्रतियोगिता 
कोरा काग़ज़ 
विद्या-चिंतन
शीर्षक-सीमित साधन 
#collabwithकोराकाग़ज़ #KKPC28 #विशेषप्रतियोगिता 
#KKप्रीमियम #कोराकाग़ज़

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दूसरी रचना विशेष प्रतियोगिता कोरा काग़ज़ विद्या-कविता शीर्षक-नाव और नदी #collabwithकोराकाग़ज़ #KKPC28 #विशेषप्रतियोगिता #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़

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नाव और नदी 
*****************
क्या कहती है नदी जरा समझ ऐ नाव तू भी इशारा, 
सुख दुख है जीवन के वक्त की बहाव से बहती धारा, 

संघर्ष-पथ पर गतिशील सी होती कल कल करती धारा,
चट्टानों से टकरा जाती तूफां से भिड़ कर चलती जाती, 

ठहरना न भाता नाव मेरी को थकना इसने सीखा नहीं,
क्षण-क्षण ये आगे चलती जाती रूख जिस ओर ये करे, 

समय का माझी न रूकना सीखे नसीब को लेकर संग
कर्मो की हवा नाव मेरी को एक नई सी राह दिखलाये,

 दूसरी रचना
विशेष प्रतियोगिता 
कोरा काग़ज़ 
विद्या-कविता
शीर्षक-नाव और नदी
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#KKप्रीमियम #कोराकाग़ज़

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जय श्री श्याम 🙏 पहली रचना विशेष प्रतियोगिता कोरा काग़ज़ विद्या-ग़ज़ल शीर्षक- बे-ख़ौफ़ इश्क़ #collabwithकोराकाग़ज़ #KKPC28 #विशेषप्रतियोगिता #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़

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बे-ख़ौफ़ इश्क़
************ 
मेरे दिल की किताब पढ़कर तो देख श्याम 
मेरे दिल की बात समझ कर तो देख श्याम, 

मेरे बे-ख़ौफ़ इश्क़ की ख़बर लेकर तो देख श्याम
छुपाकर न रखा तुझसे मैंने ग़म दिल में कोई श्याम,

ज़मानें ने ठोकर-ए-रूसवाई से रूबरू कराया श्याम 
चौखट पर तेरी मुझे पनाह की सौगात मिली श्याम, 

मुकद्दर के खोटे हैं समझ लेना ज़िन्दगी को तुम श्याम 
क़श्ती-ए-ज़िन्दगी की गोते खाती समंदर-ए-सैलाब श्याम 

भरोसा है मुझको तेरी इनायत-ए-करम पर इतना श्याम 
यकीनन ग़म मेरे सारे मुकम्मल हो ख़ुशियों भरे श्याम,  जय श्री श्याम 🙏
पहली रचना
विशेष प्रतियोगिता 
कोरा काग़ज़ 
विद्या-ग़ज़ल
शीर्षक- बे-ख़ौफ़ इश्क़ 
#collabwithकोराकाग़ज़ #KKPC28 #विशेषप्रतियोगिता 
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