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Prashant Shakun "कातिब"
समुद्र किनारे गीली रेत पर मैं चल रहा हूँ तुम्हारे पदचिन्हों पर ©Prashant Shakun "कातिब" देखो, कितना खूबसूरत चित्र बनाते हैं ना ये शब्द… . . . सुनो, मैं इस
देखो, कितना खूबसूरत चित्र बनाते हैं ना ये शब्द… . . . सुनो, मैं इस #Love #प्रेम #रेत #समुद्र #किनारा #आकांक्षाएं #पदचिन्ह #प्रशांत_शकुन_कातिब #बस_यूं_ही_एक_खयाल
read moreRitu_Upadhyay
दूर तक चलना है तुम्हारे साथ जीवनभर साथ निभाओगे क्या? खफा हूं गर कभी तो सहलाकर मना पाओगे क्या? गर कभी मन हो जी भर आंसू बहाने का... अपनी सिरहानी दे पाओगे क्या? गुणों को अक्सर सभी देखते है तुम मेरी कमियों को अपना पाओगे क्या? कुछ जिद्दी कुछ अड़ियल सी हूं... मेरे गुस्से को सह पाओगे क्या? मेरी छोटी छोटी कांक्षा ए.... है तुम उन्हें पूरा कर पाओगे क्या?.... ©Rituu #आकांक्षाएं
Sugandh Mishra
मुझे आकांक्षा है पूर्णत्व की, क्योंकि संपूर्णता का कोई पर्याय नहीं होता | अधूरे टुकड़ों को जोड़कर बने हिस्सों की नहीं , जो मेरा नहीं उसे पाने की ख़्वाहिश भी नहीं , और जो मेरा ही है वहाँ किसी और अस्तित्व का प्रश्न कहाँ ? सम्पूर्ण को अधिक होने की आवश्यकता तो नहीं , सम्पूर्ण जितना भी है सम्पूर्ण है | नदी मे बहता दीप प्रकाशपुंज तो है किंतु , मंदिर के आलोकन को जरूरत है प्रकाश के स्थायित्व की | मैं बांध नहीं सकती मुट्ठी मे आसमान , किन्तु मेरे आँगन मे कुछ सितारों को तो चमकना होगा ही| मुझे तलाश है मेरी गागर के शीतल नीर की, किसी बहते हुए झरने से इस तृष्णा को विश्राम कहाँ ये अभिमान की पराकाष्ठा नहीं वरन आग्रह है स्वाभिमान का , कि मुझे आकांक्षा है पूर्णत्व की, क्योंकि संपूर्णता का कोई पर्याय नहीं होता |सुगंध #कविता #आकांक्षाएं #अभिलाषा पूर्णत्व की आकांक्षा मुझे आकांक्षा है पूर्णत्व की,क्योंकि संपूर्णता का कोई पर्याय नहीं होता | अधूरे टुकड़ों को जोड़कर बने हिस्सों की नहीं , जो मेरा नहीं उसे पाने की ख़्वाहिश भी नहीं , और जो मेरा ही है वहाँ किसी और अस्तित्व का प्रश्न कहाँ ? सम्पूर्ण को अधिक होने की आवश्यकता तो नहीं ,
#कविता #आकांक्षाएं #अभिलाषा पूर्णत्व की आकांक्षा मुझे आकांक्षा है पूर्णत्व की,क्योंकि संपूर्णता का कोई पर्याय नहीं होता | अधूरे टुकड़ों को जोड़कर बने हिस्सों की नहीं , जो मेरा नहीं उसे पाने की ख़्वाहिश भी नहीं , और जो मेरा ही है वहाँ किसी और अस्तित्व का प्रश्न कहाँ ? सम्पूर्ण को अधिक होने की आवश्यकता तो नहीं ,
read moredevinasri
इन आकांक्षाओं का कहां है बसेरा। जरा मिलूं तो मैं उससे क्या राज है उसमें जो खींचता है बार-बार मुझे क्यों ऐसी अठखेलियां करता है जो ठेस मुझको पहुंचाता है अपनी आकांक्षाओं से अवगत तो कराता है क्या वो सब कुछ तू दे पाएगा मुझे इन आकांक्षाओं का कहां है बसेरा जरा मिलूं तो मैं उससे। #devinasri#poetry#आकांक्षाएं#बसेरा#अठखेलियां#इलाज#☺️☺️
#devinasri#Poetry#आकांक्षाएं#बसेरा#अठखेलियां#इलाज#☺️☺️ #कविता
read moreSudeep Keshri✍️✍️
मैं उड़ता परिंदा खुले सोच का बंदा, मेरे विचार पर्वतों से ऊँचे, मेरी भावनाएं नदियों सी बहती, मेरी आकांक्षाएं समुंद्र में जाकर ठहरे, मन हवाओं सा चंचल, कौन रोक पाया था मुझे, जो रोक पाता, यह था मेरा बचपन और बचपन की आजादी। मैं #उड़ता #परिंदा खुले सोच का बंदा मेरे विचार पर्वतों से ऊँचे मेरी #भावनाएं #नदियों सी बहती मेरी #आकांक्षाएं समुंद्र में जाकर ठहरे मन हवाओं सा चंचल कौन रोक पाया था मुझे जो रोक पाता यह था मेरा बचपन और #बचपन की #आज़ादी
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