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Andy Mann
बा-वफ़ा था तो मुझे पूछने वाले भी न थे बे-वफ़ा हूँ तो हुआ नाम भी घर घर मेरा ©Andy Mann #मैं_और_मेरे_एहसास Ak.writer_2.0 Sanjana Shilpa priya Dash Kshitija Neelam Modanwal PФФJД ЦDΞSHI Tsbist @Hardik Mahajan naaz sonu kumar babra Sonam yadav Anshu writer Neel Geet Sangeet KK क्षत्राणी Sethi Ji vineetapanchal rashmika_mandanna. Paakhi Sharma heartlessrj1297 पथिक.. POONAM GUPTA AD Grk Banarasi.. Maaahi..
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read moreशब्दवेडा किशोर
#इक कविता तुम्हारे नाम मेरे एहसास अक्सर मेरी कविता पढ़कर कहते हैं के जानती हो मेरा दिल क्या चाहता है ? इन कविताओं से,कहानियों से दूर ले जाऊँ तुम्हें सदा के लिए अपनी ख्यालों की दुनिया में जहाँ तुम्हारे और मेरे नहीं हमारे एहसास महकते हो हर ओर ले जाना चाहता हूँ तुम्हें कहीं दूर क्षितिज के उस पास जहाँ सफेद जमीं को चूमता हैं स्याह आसमां भरना चाहता हूँ ख़ुशनुमा पल तुम्हारी तन्हाइयों में मेरी कुछ भावनाओं से भरी ये कवितायें दरअसल वो कश्तियाँ थी जिनमें बैठकर ना जाने कितनी बार तुम्हें तकता रहता मैं ख़ामोश मुद्दतो से बस तुम्हारे ही ख़्वाब देखता रहा मैं वो रातें भी क्या रातें रहीं जिनमें कांपती रहीं मेरी रूह भी तेरे दर्द से और इन सब से अंजान अपने कलम को दर्द की स्याही में डुबोकर लिखते रहे तुम अपनी कथाएँ व्यथाएँ हाँ....ले जाना चाहता हूँ तुम्हें जहाँ इश्क़ की खुशबु से सराबोर हो सारा आलम और बिखरे हो हर तरफ हर श्रृंगार के फूल जिनपे चलकर तुम्हारे कोमल पदचाप के निशान बने मेरे हृदय के सुनी पगडंडियों पे मगर सच तो यही हैं प्रिये के कल्पना की शिखर पे बिठाकर तुम्हें ले जाऊं दर्द-ओ-गम की दुनिया से दूर डूबकर और फिर तुम्हारी चाहत और तुम्हारे प्रेम में शब्दों के बाजुओं को थाम लिखूं एक कविता "सिर्फ तुम्हारे नाम" @शब्दभेदी किशोर ©शब्दवेडा किशोर #मैं_और_मेरे_एहसास
शफ़क रश्मि
पढ़ते तो तुम भी होगे ना जब जब मैं तुमको लिखती हूं, कैसे रुक पाते हो तब तुम, जब जब मैं तुमको पढ़ती हूं। चाय सुबह की ठंडी होती अक्सर मुझसे रूठा करती है उसकी उड़ती भाप में भी मैं तेरा अक्स बनाया करती हूं। दिन तो काट लिया करती हूं,बेफिजूल के कामों में, रातें तन्हां हो जाती हैं, बस करवट बदला करती हूं। कैसे बढ़ते हैं आगे रिश्ते में,कैसे भूले जाते हैं वादे, क्यूं ना सिख सकी अबतक मैं,अक्सर सोचा करती हूं। ©शफ़क रश्मि #मैं_और_तुम #मैं_और_मेरे_जज़्बात #मैं_और_मेरे_एहसास
शफ़क रश्मि
पढ़ते तो तुम भी होगे ना जब जब मैं तुमको लिखती हूं, कैसे रुक पाते हो तब तुम, जब जब मैं तुमको पढ़ती हूं। चाय सुबह की ठंडी होती अक्सर मुझसे रूठा करती है उसकी उड़ती भाप में भी मैं तेरा अक्स बनाया करती हूं। दिन तो काट लिया करती हूं,बेफिजूल के कामों में, रातें तन्हां हो जाती हैं, बस करवट बदला करती हूं। कैसे बढ़ते हैं आगे रिश्ते में,कैसे भूले जाते हैं वादे, क्यूं ना सिख सकी अबतक मैं,अक्सर सोचा करती हूं। ©शफ़क रश्मि #मैं_और_तुम #मैं_और_मेरे_जज़्बात #मैं_और_मेरे_एहसास
Niti Adhikari
काश कल कुछ ऐसा कल आए जहां न हो कोई बेबसी , ना कोई गम बस मैं ही मैं हूं , ना हो कोशिश तुझे भुलाने की, ना हो तू , ना तेरी यादों का मरहम ©Niti Adhikari #मैं_और_मेरे_एहसास
Raj
सुमित जोशी 'राइटर'
Magical Words ( rupali yadav)
............. ©Magical Words ( rupali yadav) ए मेरे शहर!! मैंने तुझमें कई पहर गुज़ारे हैं मैंने देखे हैं अपनी आशाओं के कई सूर्योदय तुझमें ए शहर!! मैंने निराशाओं का सूर्यास्त भी देखा है तेरे संग गुज़ारी हैं मैंने तुझमें अपनी कई आशाएं-निराशाएं मैंने देखा है तुझे सन्नाटे से शोर की ओर बढ़ते हुए मैं भटकी हूं तुझमें कई शिकवा और शिकायतों के साथ मैंने ढूंढा है तुझमें अपने प्रिय का घर
ए मेरे शहर!! मैंने तुझमें कई पहर गुज़ारे हैं मैंने देखे हैं अपनी आशाओं के कई सूर्योदय तुझमें ए शहर!! मैंने निराशाओं का सूर्यास्त भी देखा है तेरे संग गुज़ारी हैं मैंने तुझमें अपनी कई आशाएं-निराशाएं मैंने देखा है तुझे सन्नाटे से शोर की ओर बढ़ते हुए मैं भटकी हूं तुझमें कई शिकवा और शिकायतों के साथ मैंने ढूंढा है तुझमें अपने प्रिय का घर
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प्रकृति की गोद में खेलना, वहीं पर सर रख कर सो जाना, प्रकृति का और मेरा एक अटूट रिश्ता है, प्रकृ मुझे ठुकरा शक्ति है मैं नही... ©Raj rajpoot #प्रकृति_प्रेम #प्रकृति_की_गोद_में #मैं_और_जिंदगी #मैं_और_मेरे_एहसास #प्रकृति_और_मैं