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Rishabh chaturvedi
#चक्रव्यूह रचो तुम जितने चाहे#रण से मुँह ना मोडऊँगा कलयुग का #अभिमन्यु हूँ सारे #चक्रव्यूह तोड़ूँगा भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा मछली शहर #मंडल #उपाध्यक्ष सरकोनि #ऋषभ चतुर्वेदी ©Rishabh chaturvedi #भारत #na #NarendraModi #Police #political #pod #so
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read moreKrishna Mandal
गजल आज कल वो हमे भूल जाने लगी। हमसे नजरे भला क्यो चुराने लगी। साथ देने का जिसने किया था वादा, अब वही हम से रिश्ता छुराने लगी। कौन-सी बात का दे रही सजा हमे, खीले गुलशन को वह मुरझाने लगी। जोड़ कर तोड़ना कोई उनसे सीखे, हमे टुटता देख वह मुस्कुराने लगी। जीस पत्थर पर नाम लिखे थे कृष्ण, वही पत्थर क्यो हम पर चलाने लगी। कवि:-कृष्ण मंडल #waiting आज कल वो हमे भूल जाने लगी। हमसे नजरे भला क्यो चुराने लगी। साथ देने का जिसने किया था वादा, अब वही हम से रिश्ता छुराने लगी। कौन-सी बात का दे रही सजा हमे,
#waiting आज कल वो हमे भूल जाने लगी। हमसे नजरे भला क्यो चुराने लगी। साथ देने का जिसने किया था वादा, अब वही हम से रिश्ता छुराने लगी। कौन-सी बात का दे रही सजा हमे,
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किसे दोस्त कहे और किसे यार अपना। किस पे रखे आज कल एतबार अपना। हर अपने ही मेरा रकिब बन बैठे है, हम कितनो से करे दिल बिमार अपना। सब मतलबी है लोग मतलब के लिये, हमे कस्ती बनाके करते भवर पार अपना। पैसा का नशा जब छाता है लोगो पर, गिरगिट की तरह बदलते है बिचार अपना। तुम रसुख में जीयो हमे मलाल नहीं, कृष्ण करायेंगे नहीं अब तिरस्कार अपना। कवि:-कृष्ण मंडल किसे दोस्त कहे और किसे यार अपना। किस पे रखे आज कल एतबार अपना। हर अपने ही मेरा रकिब बन बैठे है, हम कितनो से करे दिल बिमार अपना। सब मतलबी है लोग मतलब के लिये, हमे कस्ती बनाके करते भवर पार अपना। पैसा का नशा जब छाता है लोगो पर, गिरगिट की तरह बदलते है बिचार अपना।
किसे दोस्त कहे और किसे यार अपना। किस पे रखे आज कल एतबार अपना। हर अपने ही मेरा रकिब बन बैठे है, हम कितनो से करे दिल बिमार अपना। सब मतलबी है लोग मतलब के लिये, हमे कस्ती बनाके करते भवर पार अपना। पैसा का नशा जब छाता है लोगो पर, गिरगिट की तरह बदलते है बिचार अपना।
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एक को छोड़ किसी को दिल में बसाया नहीं। हद से ज्यादा किसी से अंबक लराया नहीं। बेशुमार गम के बाद सीखे है,जीने का हुनर, अपने चाहत में किसी को हमने तरपाया नहीं। कवि:-कृष्ण मंडल #sed#शायरी एक को छोड़ किसी को दिल में बसाया नहीं। हद से ज्यादा किसी से अंबक लराया नहीं। बेशुमार गम के बाद सीखे है,जीने का हुनर, अपने चाहत में किसी को हमने तरपाया नहीं। कवि:-#कृष्ण #मंडल Pratik Bhala (pratik writes) US Sanjay jaiswal Aayush Raj | Thepaperpenguy Lakshmi singh My_Words✍✍
Nandsingh
पदयात्रा पदयात्रा पदयात्रा सम्मानित साथियों 2 अक्टूबर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जन्म जयंती पुरे राष्ट्र मे एक सामाजिक, पर्यावरण व स्वच्छता संकल्प के रूप मे मनाई जा रही है । इसके साथ ही अत्यंत हर्ष का विषय है कि शारदीय नवरात्रि का पावन अवसर भी इस दौरान है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपने सामर्थ्य अनुसार साधना करता है तो आओ इस महायोग पर साधना व संकल्प को मूर्त रूप देते हैं अत: अणुशक्ति मित्रमंडल पुन: आपसे आग्रह करता है विशाल सातवीं पदयात्रा का। साथियों इस पदयात्रा का आरंभ स्थल पूर्व की भांति मुक्तेश्वर महादेव मंदिर होगा दिन "2 अक्टूबर" प्रात: 05.45 बजे व पदयात्रा का गंतव्य स्थान क्षेत्र की प्रसिद्ध घाटा वाली माताजी (खातीखेडा)होगा जो लगभग 25 किमी. दूरी है। सभी आगंतुक पदयात्रियो से निवेदन है कि इस पदयात्रा मे अधिक से अधिक संख्या मे अपने इष्टमित्रों सहित भाग ले व इसे सफल बनाते हुए पर्यावरण , सामाजिक समरसता व स्वच्छता का संदेश जन जन तक पहुँचायें । मित्र मंडल के साथियों से निवेदन है कि मंडल के गणवेश मे यात्रा में भाग लें । यात्रा से संबधित अन्य जानकारी व रजिस्ट्रेशन के लिये यात्रा संयोजक श्री दीपक आंजना , श्री निकेश गर्ग , श्री तालिब हुसैन से संपर्क करें Jai mata di
Jai mata di
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ग़जल हर रोज एक बेवफा के यादो में रोया करता हूँ। अपने ही अश्कों से अपन जख्म धोया करता हूँ। वह तो मखमल के विस्तर पर सो जाया करती है, मै रोज उसके यादो की अर्थी पर सोया करता हूँ। अब तो ये नींद भी परायी सी हो गयी है मेरी, मै अब तो रातो को भी तन्हा तन्हा खोया रहता हूँ। जो कर गयी बेवफाई मुझसे अपने खुशी के लिये, फिर भी क्यो उसी के लिये दुआ का बिज बोया करता हूँ। जीसने भुला दी कृष्ण अपने दिल से मुझे समय कि तरह, फिरभी क्यो उसी की तसवीर दिल में सजोया करता हूँ। कवि:-कृष्ण मंडल #ग़जल हर रोज एक बेवफा के यादो में रोया करता हूँ। अपने ही अश्कों से अपन जख्म धोया करता हूँ। वह तो मखमल के विस्तर पर सो जाया करती है, मै रोज उसके यादो की अर्थी पर सोया करता हूँ। अब तो ये नींद भी परायी सी हो गयी है मेरी, मै अब तो रातो को भी तन्हा तन्हा खोया रहता हूँ।
#ग़जल हर रोज एक बेवफा के यादो में रोया करता हूँ। अपने ही अश्कों से अपन जख्म धोया करता हूँ। वह तो मखमल के विस्तर पर सो जाया करती है, मै रोज उसके यादो की अर्थी पर सोया करता हूँ। अब तो ये नींद भी परायी सी हो गयी है मेरी, मै अब तो रातो को भी तन्हा तन्हा खोया रहता हूँ।
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