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Best ग़ज़ल_अभ्यास Shayari, Status, Quotes, Stories

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Insprational Qoute

गजल(हजज़) 1222×4 मुफ़ाईलुन निकल पड़ते है राही मंजिलों की तलाशो में, गिनती जीवंत में होती न गीने जाते लाशों में, ठहरते ये नही जुनुन इनमें फ़ौलादी भरा होता, ये उन से अलग है जो जीवन बिताते अय्याशों में,

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गजल(हजज़)
1222×4   मुफ़ाईलुन 

निकल पड़ते  है  राही  मंजिलों  की  तलाशो  में,
गिनती जीवंत में होती  न  गीने  जाते  लाशों  में,

ठहरते ये नही जुनुन  इनमें  फ़ौलादी  भरा होता,
ये उन से अलग है जो जीवन बिताते अय्याशों में,

अँधेरे  के  उजालों  का  रहस्यमयी  पथ  खोजते,
फिर  चर्चे  हो अप्रत्याशित गगनचुंबी अकाशों में,

अनवरत    हो  सजगतापूर्वकता   से   खोये  रहते,
जुनूनी आग  दहक  रही  होती  इनकी  श्वासों  में,

मरुभूमि से भी कलियों का खिल जाना निश्चित है,
बनाये  रख  महक जैसे  बरक़रार सम पलाशों  में। गजल(हजज़)
1222×4   मुफ़ाईलुन 

निकल पड़ते  है  राही  मंजिलों  की  तलाशो   में,
गिनती जीवंत में होती  न  गीने  जाते  लाशों   में,

ठहरते ये  नही  जुनुन  इनमें  फ़ौलादी  भरा होता,
ये उन से अलग है जो जीवन बिताते  अय्याशों  में,

Abhay Bhadouriya

न जाने हम कैसे रास्ते पर खड़े हैं
कौन है लोग जो हमारे पीछे पड़े हैं

तेरे हिज्र का सबब....देख मेरी जान 
चांद, सितारे, आसमान सब सूने पड़े हैं

ईमान को अपने दांव पर लगा कर
कुछ रिश्ते मुझको निभाने पड़े हैं 

आग दिल की अंगीठी में लगा कर
मुझे  कुछ ख्वाब जलाने पड़े हैं
 #ग़ज़ल #ग़ज़ल_अभ्यास 
#abhaybhadouriya

Abhay Bhadouriya

मेरी जान हम  तेरे इंतजार में खड़े हैं
जिंदगी के आखिरी मुकाम पे  खड़े हैं

लोग कहते है दिल किसी से लगा लो 
यार देखो हम उसीके प्यार में पड़े हैं 

समुंदर तैयार है आगोश में लेने को
हम तान के सीना,किनारे पे खड़े हैं

वो चांद बन, आसमान में  इतरा रहे हैं
हम भी कम नहीं है सितारे पे खड़े हैं। #ग़ज़ल  #ग़ज़ल_अभ्यास 
#कुछ_अनकही_बातें 
#abhaybhadouriya

Abhay Bhadouriya

पूरी गजल जल्द ही 🙂 #ग़ज़ल #ग़ज़ल_अभ्यास #safar #safar_jindgi_ka #abhaybhadouriya

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कुछ दिन से यारों उल्फत में हूँ
मतबल तेरी यादों की ज़हमत में हूँ

रोकने की अब कोशिशें होने लगी है 
मतबल में  सफर -ए -बरकत में हूँ 
 पूरी गजल जल्द ही 🙂

#ग़ज़ल #ग़ज़ल_अभ्यास 
#safar #safar_jindgi_ka 
#abhaybhadouriya

Abhay Bhadouriya

हमसे भी कभी आंखें दो-चार कर दीजिए अगर इश्क है हमसे तो इजहार कर दीजिए मैं तो काफिर हुँ मुझे इबादत कहां आती है... आपने हाथ से छूकर मुझे पाक कर दीजिए। चोटिल है.. ये दिल मेरा जमाने के सितम से..... उजड़ा हुआ शहर हुँ मुझे आबाद कर दीजिए।

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हमसे भी कभी आंखें  दो-चार कर दीजिए
अगर इश्क है हमसे तो इजहार कर दीजिए

मैं तो काफिर हुँ मुझे इबादत कहां आती है...
आपने हाथ से छूकर मुझे पाक कर दीजिए।

चोटिल है.. ये दिल... मेरा जमाने के सितम से 
उजड़ा हुआ शहर हुँ मुझे आबाद कर दीजिए।

कहां गए परिंदे सारे इस जंगल के... देखो
कोई खतरा गर है तो मुझे खबरदार कर दीजिए ।

और मैं कहां जानता हुँ अंतर होली और ईद का....
मैं चांद को देखूं तो...मेरे गाल गुलाल कर दीजिए ।
 हमसे भी कभी आंखें  दो-चार कर दीजिए
अगर इश्क है हमसे तो इजहार कर दीजिए

मैं तो काफिर हुँ मुझे इबादत कहां आती है...
आपने हाथ से छूकर मुझे पाक कर दीजिए।

चोटिल है.. ये दिल मेरा जमाने के सितम से.....
उजड़ा हुआ शहर हुँ मुझे आबाद कर दीजिए।

Abhay Bhadouriya

मैंने फिर आंखों में एक ख्वाब सजाया है पत्थरों के शहर में.. शीशे का घर बनाया है अब दम घुटने लगा है मेरा शहर की भीड़ में सांस लेने के लिए एक रोशनदान बनाया है भूलने लगा हुँ.. अब मैं खुद को थोड़ा- थोड़ा मैंने खुद को समझने के लिए आईना लगाया है

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मैंने फिर आंखों में एक ख्वाब सजाया है
पत्थरों के शहर में.. शीशे का घर बनाया है

अब  दम घुटने लगा है मेरा शहर की भीड़ में
सांस लेने के लिए एक रोशनदान बनाया है

भूलने लगा हुँ.. अब मैं खुद को थोड़ा- थोड़ा
 मैंने खुद को समझने के लिए आईना लगाया है

अब दरकने लगी है दीवारें मेरे घर की
लगता है मौसम बारिश का फिर आया है मैंने फिर आंखों में एक ख्वाब सजाया है
पत्थरों के शहर में.. शीशे का घर बनाया है

अब  दम घुटने लगा है मेरा शहर की भीड़ में
सांस लेने के लिए एक रोशनदान बनाया है

भूलने लगा हुँ.. अब मैं खुद को थोड़ा- थोड़ा
 मैंने खुद को समझने के लिए आईना लगाया है

Gumnaam

नहीं चाहा था ऐसा हो गया है उसे देखे ज़माना हो गया है.. "कृष्ण कुमार तूर" बह्र है। मुफ़ाईलुन, मुफ़ाईलुन, फ़ऊलुन 1222 / 1222 / 122 नहीं चाहा/ था ऐसा हो / गया है

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 देखो वक़्त का भी अफसाना हो गया
जिस चेहरे पर गुरुर था उन्हें
आज वही कितना पुराना हो गया 
#hate love नहीं चाहा था ऐसा हो गया है
उसे देखे ज़माना हो गया है..
"कृष्ण कुमार तूर" 

बह्र है।
मुफ़ाईलुन, मुफ़ाईलुन, फ़ऊलुन 
1222 / 1222 / 122
नहीं चाहा/ था ऐसा हो / गया है

... मोलिका

जो खोल दे एक शाम तू अपने दिल की किताब, तेरे हर अजाब को मैं अपना बना लूं..!! सहीफ़े :- revelatory books आब-ए-शीरीं :- मीठा पानी, शिताब :- तीव्र/तेज अज़ाब :- दुख/दर्द,

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सीने में दफन जाने कितने अजाब रखता हैं
हां वो मेरी हर नब्ज़ का हिसाब रखता है..

आंखों के रास्ते दिल में उतर जाने का
वो ये हुनर लाज़वाब रखता है..

हो जाए नशा किसी को भी उसकी बातों का
लफ़्ज़ों में अपने ऐसी शराब रखता है..

ये लड़का कृष्ण की नगरी का
शायद कोई जादू की किताब रखता है..!! जो खोल दे एक शाम तू अपने दिल की किताब,
तेरे हर अजाब को मैं अपना बना लूं..!!

सहीफ़े :- revelatory books
आब-ए-शीरीं :- मीठा पानी,
शिताब :- तीव्र/तेज
अज़ाब :- दुख/दर्द,

Jai Gupta

ग़ज़ल आप सभी की नज़्र में #ग़ज़ल #ग़ज़ल_अभ्यास #शाइरी #yqdidi #yourquotedidi #yqhindi

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मापनी - १२१२-१२१२-१२१२-१२१२

वो मुझसे कर्ज़ का हर इक हिसाब मांगने लगे
जरा सी देरी क्या हुई जवाब मांगने लगे।।१

नशे की लत से दूर रहते थे हमेशा से ही जो
वो ग़म भुलाने के लिए शराब मांगने लगे।।२

बहुत गुमान था उन्हें जवानी की उड़ान पर
सफेद बाल क्या हुए ख़िज़ाब मांगने लगे।।३

ज़रा सा इल्म क्या हुआ ये वेद औ पुराण का
खुदा के दर प जाके तुम हिसाब मांगने लगे।।४ ग़ज़ल आप सभी की नज़्र में

#ग़ज़ल 
#ग़ज़ल_अभ्यास 
#शाइरी 
#yqdidi 
#yourquotedidi 
#yqhindi

Suman Rakesh Shah

नहीं चाहा था ऐसा हो गया है उसे देखे ज़माना हो गया है.. "कृष्ण कुमार तूर" बह्र है। मुफ़ाईलुन, मुफ़ाईलुन, फ़ऊलुन 1222 / 1222 / 122 नहीं चाहा/ था ऐसा हो / गया है

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रिश्ता इतना गहरा हमारा हो गया है कि
तेरे संग ये जीवन सफ़र सुहाना हो गया है
 नहीं चाहा था ऐसा हो गया है
उसे देखे ज़माना हो गया है..
"कृष्ण कुमार तूर" 

बह्र है।
मुफ़ाईलुन, मुफ़ाईलुन, फ़ऊलुन 
1222 / 1222 / 122
नहीं चाहा/ था ऐसा हो / गया है
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