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Kumar Pradeep
हमरा पगड़ी बांधला से काहेलु की लगेनी लफूआ तहरा का बुझाई ए बुची ई पगरिये पा आवेले अगुआ ©Kumar Pradeep #पगड़ी #भोजपुरिया #बिहारी #बिहारीकलाकार
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read moreittu Sa
इत्तु सा_-` मंज़िल का पता नहीं... सफ़र मज़ेदार था, लगा ऐसा की ख़्वाब देख रहा था। जो ब्यान ना कर सका शब्दों से... उसे मैं कैद कर रहा था, फ़ोन में मैं अपनी इत्तु सी दुनियाँ बना रहा था। @j_$tyle read more line's... 👇👇👇 इत्तु सा पैगाम सफ़र के नाम। मंज़िल का पता नहीं... सफ़र मज़ेदार था, लगा ऐसा की ख़्वाब देख रहा था। जो ब्यान ना कर सका शब्दों से... उसे मैं कैद कर रहा था, फ़ोन में मैं अपनी इत्तु सी दुनियाँ बना रहा था। सफ़र में कुछ Bluetooth के पीछे भाग रहे थे, तो कुछ गानों में अपनी कहानी बता रहे थे।। कुछ उनको देख ख़ुश हो रहे थे ,तो कुछ उनकी खुशी में अपनी खुशी बसा रहे थे। कुछ खिड़की से बाहर बारिश की बूंदों से दोस्ती कर रहे थे ,तो कुछ हरियाली को दिल में बसा रहे थे। कुछ sandwich से अपनी भूख मिटा रहे थे मानो sandwich ही
इत्तु सा पैगाम सफ़र के नाम। मंज़िल का पता नहीं... सफ़र मज़ेदार था, लगा ऐसा की ख़्वाब देख रहा था। जो ब्यान ना कर सका शब्दों से... उसे मैं कैद कर रहा था, फ़ोन में मैं अपनी इत्तु सी दुनियाँ बना रहा था। सफ़र में कुछ Bluetooth के पीछे भाग रहे थे, तो कुछ गानों में अपनी कहानी बता रहे थे।। कुछ उनको देख ख़ुश हो रहे थे ,तो कुछ उनकी खुशी में अपनी खुशी बसा रहे थे। कुछ खिड़की से बाहर बारिश की बूंदों से दोस्ती कर रहे थे ,तो कुछ हरियाली को दिल में बसा रहे थे। कुछ sandwich से अपनी भूख मिटा रहे थे मानो sandwich ही
read moreQUAZI MUEEZ HASHMI
➖ हँसी का राज़ ➖ अपने ऊपर आने वाली मुसीबतों की पगड़ी सरेआम बाज़ार में यूँ उछाल देता हूँ मैं, घर से निकलने से पहले ही सदक़ा निकाल देता हूँ मैं। मुसीबतों को ज़हन से निकाल कर, अपने ही अंदाज़ से हैरानी में डाल देता हूँ मैं, मेरे साथ ख़ुदा है सोच कर ऐ मुईज़, हँसी में सब कुछ टाल देता हूँ मैं। - काज़ी मुईज़ हाशमी ➖ हँसी का राज़ ➖ अपने ऊपर आने वाली मुसीबतों की पगड़ी सरेआम बाज़ार में यूँ उछाल देता हूँ मैं, घर से निकलने से पहले ही सदक़ा निकाल देता हूँ मैं। मुसीबतों को ज़हन से निकाल कर, अपने ही अंदाज़ से हैरानी में डाल देता हूँ मैं,
➖ हँसी का राज़ ➖ अपने ऊपर आने वाली मुसीबतों की पगड़ी सरेआम बाज़ार में यूँ उछाल देता हूँ मैं, घर से निकलने से पहले ही सदक़ा निकाल देता हूँ मैं। मुसीबतों को ज़हन से निकाल कर, अपने ही अंदाज़ से हैरानी में डाल देता हूँ मैं, #Poetry #Quotes #Youtube #Thoughts #Whatsapp #Instagram #Facebook #Stories #मेरे #Twitter #writersofindia #wordporn #writeaway #writersofinstagram #quoteoftheday #quotestagram #wordswag #wordsofwisdom #writersofig #inspirationalquotes #qotd #instawriters #igwriters #igwritersclub #yqbaba #hindipoetry #hindishayari #शायरी #yqdidi #urdushayri #yqbabaquotes #ख़ुदा #सोच #साथ #urduquotes #Nojotonew #टाल #quazimueezhashmi #hashmi__ji #मुईज़
read moreAdwait Vats
कविता-अकेले बनाम भीड़ ट्रेन में अकेली लड़की का जाना एकान्त में अकेले चुपचाप बैठना कॉलोनी में अकेले घर का होना कोई अलग या अकेली जुबान बोलना सड़क पर अकेली धोती, पगड़ी या दाड़ी का गुजरना सब की नजर में उसी तरह चुभता है जैसे बहुत बड़े मेले में खोए हुए बच्चे का अकेले गुमसुम बैठे होना अकेलेपन के विरुद्ध चारों ओर बेतहाशा भीड़ खड़ी है सड़क से संसद तक उसे मिटाने के नियम बनाये जा रहे हैं मानों अकेला होना आज सबसे बड़ा अपराध है कभी अकेले भगीरथ के शीश से निकली होगी गंगा सिद्धार्थ ने अकेले घर छोड़ कर पाया होगा बुद्धत्व अकेले गांधी ने किए होंगे सत्य के प्रयोग टैगौर का 'एकला चालो' गाकर अब कोई महात्मा नहीं बन सकता आजकल महात्मा होने के लिए भीड़ उतनी ही जरूरी है जितनी जरूरी हैं जीवन के लिए चलती हुई सांसे जरूरी नहीं अकेले होने के लिए संख्या इकाई में हो संख्या में अधिक होकर भी अकेले हो सकते हैं एक पूरी जाति को अकेला मानकर घोड़ी से उतारा जा सकता है पगड़ियों में से अकेली पगड़ी चुनकर जिंदा जलाया जा सकता है अकेले ईश्वर या खुदा में यकीन करने पर उसके पास पहुंचाया जा सकता है अकेला विचार सामूहिकता के लिए बड़ा खतरा है जैसे खतरा होता है जंगल के खिलाफ एक अकेली दियासलाई का होना अकेले होने का एक चेहरा होता है चेहरे से भीड़ उसी तरह डरती है जैसे जानवरों का झुंड डरता है किसी दूसरे एक जानवर को देखकर यहां जानवर से तुलना बेमानी लगती हैं वे अपनी प्रजाति का यूँ घेरकर शिकार नहीं करते भीड़ में अकेले होने का अहसान केवल उन सरों को होता है जो अपने गिने जाने से मना कर देते हैं वे बहुत दिनों तक कांधे पर नहीं टिकते टांग दिए जाते हैं किसी मीनार या गुम्बद के सबसे ऊपरी सिरे पर यह देखने के लिए आखिर में कौन अकेला बचेगा जो खुद को भीड़ बनने से रोक लगा
कुछ लम्हें ज़िन्दगी के
बाप की पगड़ी से माँ ने जो दस्तार निकाल दी रो - रो के वेबा का बुरा हाल हो जाता है। ©️✍️ सतिन्दर #kuchलम्हेंज़िन्दगीke #satinder #सतिन्दर #नज़्म #होजाताहै #पगड़ी #दस्तार #बाप #माँ #रोना #वेबा #हाल
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