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Shubham Tyagi
लैकर हाथ मैं हाथ मै तेरा हौना चाऊ हूँ। करकै वादे तेरे ते वै सारे पूरे करना चाऊ हूँ। बस तू साथ ना छोड़िए। तेरा जिंदगी भर साथ निभादूँगा। अर जे ऊटजा मन तेरा मेरे ते। बस जान ते पहल्यां मेरा एक काम करजाईये। अपनी सहेली की मुलाक़ात मेरी गेल्याँ करवा जाइए।। ©Shubham Tyagi #लेकर #हाथ #वादे #तेरे #पूरे #करना #चाऊ #हूँ #apart
"શિવાય"
मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ एक जंगल है तेरी आँखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ तू किसी रेल-सी गुज़रती है मैं किसी पुल-सा थरथराता हूँ एक बाज़ू उखड़ गया जबसे और ज़्यादा वज़न उठाता हूँ मैं तुझे भूलने की कोशिश में आज कितने क़रीब पाता हूँ कौन ये फ़ासला निभाएगा मैं फ़रिश्ता हूँ सच बताता हूँ -dhushyant kumar
appy
I spent my life thinking काश…काश… कहने की हैं बातें डरता हूँ जब सोता हूँ रातें सोचता हूँ काश हम मिलें कुछ बोलें दर्द सिले कुछ न टोले चाहता नहीं हूँ पर चाहता भी हूँ क्यों यह रिश्ता नहीं जाता बरिस्ता चलो कुछ लम्हों के लिए बन जाओ मेरे लिए मैं रहूँ तुम्हारी बाहों में और तुम मेरी सांसों में काश …काश …
Jeevan Nidhi Tiwari
मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ एक जंगल है तेरी आँखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ तू किसी रेल-सी गुज़रती है मैं किसी पुल-सा थरथराता हूँ हर तरफ़ ऐतराज़ होता है मैं अगर रौशनी में आता हूँ एक बाज़ू उखड़ गया जबसे और ज़्यादा वज़न उठाता हूँ मैं तुझे भूलने की कोशिश में आज कितने क़रीब पाता हूँ कौन ये फ़ासला निभाएगा मैं फ़रिश्ता हूँ सच बताता हूँ दुष्यंत कुमार
Asif Raza
Love has no इज़ाज़त आज आश्मान से बरसती सबनम में तुम्हे अपनी दिल की मल्लिका बनाने के इज़ाज़त रब से मांग लाया हूँ खवाबों की दुनिया को हकीकत बनाने इज़ाज़त रब से मांग लाया हूँ फुर्शत मिली तो फिर किसी और वक्त कर लेंगे गीले - शिकवे आज ज़िन्दगी जन्नत बनाने इज़ाज़त रब से मांग लाया हूँ
IAS Anjali
#OpenPoetry काश…काश… कहने की हैं बातें डरता हूँ जब सोता हूँ रातें सोचता हूँ काश हम मिलें कुछ बोलें दर्द सिले कुछ न टोले चाहता नहीं हूँ पर चाहता भी हूँ क्यों यह रिश्ता नहीं जाता बरिस्ता चलो कुछ लम्हों के लिए बन जाओ मेरे लिए मैं रहूँ तुम्हारी बाहों में और तुम मेरी सांसों में काश …काश … #Anjali kash kash
kash kash
read moreAastha
हम जी रहे हैं कोई बहाना किए बग़ैर, उस के बग़ैर उस की तमन्ना किए बग़ैर... -जौन एलिया #NojotoQuote हम जी रहे हैं कोई बहाना किए बग़ैर, उस के बग़ैर उस की तमन्ना किए बग़ैर... आज जौन एलिया जी की इस ग़ज़ल पर दिल आ कर ठहर गया...गलत क्या कहते हैं शायर, बस बात पढ़े जाने के तज़ुर्बे पर रुकती है कि कितना ही समझा जा रहा है जो लिखा गया है... ज़िन्दगी अक़्सर कुछ ऐसे मुक़ामों पर रुकी मिलती है कि चाहते हुए भी हम वहाँ से आगे न बढ़ पाएँ, कोई शिक़ायत, कोई शिक़वे किए बग़ैर भी बस उस वक़्त के बोझ तले हम दफ़न होते हैं जिसमें कुछ खोया हो...उसके वापस आने की उम्मीद में, उसे फिर से निहार पाने की चाहत में, दिल में कोई गुस्सा, कोई
हम जी रहे हैं कोई बहाना किए बग़ैर, उस के बग़ैर उस की तमन्ना किए बग़ैर... आज जौन एलिया जी की इस ग़ज़ल पर दिल आ कर ठहर गया...गलत क्या कहते हैं शायर, बस बात पढ़े जाने के तज़ुर्बे पर रुकती है कि कितना ही समझा जा रहा है जो लिखा गया है... ज़िन्दगी अक़्सर कुछ ऐसे मुक़ामों पर रुकी मिलती है कि चाहते हुए भी हम वहाँ से आगे न बढ़ पाएँ, कोई शिक़ायत, कोई शिक़वे किए बग़ैर भी बस उस वक़्त के बोझ तले हम दफ़न होते हैं जिसमें कुछ खोया हो...उसके वापस आने की उम्मीद में, उसे फिर से निहार पाने की चाहत में, दिल में कोई गुस्सा, कोई
read moreALOK Sharma
#OpenPoetry मैंने देखा है तुमको जन्म लेते हुए, तुमको मरते हुए ओ तेरा बचपन वो तेरी जवानी सुख के पल दुख की कहानी मैंने देखा है अपनी छावं में तुम्हे सोते हुए, खुले आसमाँ में सांस लेते हुए वो हरियाली वो स्वछता मुझसे है मेरी कोई भी शिकायत न तुझसे है मैंने देखा है माचिस की तीली से लेकर घर की चौखट तक पालने से लेकर मरघट तक मैं हूँ तो तुम हो मैं हूँ तुम्हारी हर सांस में तुम्हारे साथ मे तुम जाओ चाहे जहाँ पाओगे हर जगह तुम्हारे जीवन की हर जरूरत मुझसे है मैं हूँ तो तुम हो खिलवाड़ तो बहुत किया है मुझसे फिर भी शिकायत न है कोई तुझसे हम तो प्राणी है मूक इस धरती के अपनी पीड़ा कहना आता नही जितना अधिकार तुम्हारा है उतना मेरा नही फिर भी ,तुम मेरे लिए प्रिय हो मैं हूँ तो तुम हो मैं हूँ मैं हूँ मैं हूँ जबतक मैं (पेड़ ,पौधे ,बृक्ष,हरियाली प्रकृति ) हूँ तब तक तुम हो #OpenPoetry
Narayan Datt Tiwari
अपने होंठों पर सजाना चाहता हूँ आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ कोई आँसू तेरे दामन पर गिराकर बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ थक गया मैं करते-करते याद तुझको अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ छा रहा है सारी बस्ती में अँधेरा रोशनी हो, घर जलाना चाहता हूँ आख़री हिचकी तेरे ज़ानों पे आये मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ @क़तील शिफ़ाई