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Deepak "New Fly of Life"
प्यार बताया नहीं जाता प्यार जताया जाता है!! बनके आशिक़ रब सा पूजा जाता है!! हाँसिल करने की ख्वाहिश हो जाती है खत्म!! जो सच्ची हो मोहब्बत तो दो रूहों का मिलन होता है!! प्यार बताया नहीं जाता प्यार जताया जाता है!! ©Deepak Bisht #शिल्पी-ए-मोहब्बत
#शिल्पी-ए-मोहब्बत
read moreDeepak "New Fly of Life"
जिस तरह!!! टूटी हुई माला बिन गाँठ के जुड़ा नहीं होता!!! उसी तरह!!! जहाँ हो समझौता वहाँ कभी कोई रिश्ता फ़ना नहीं होता!!! ©Deepak Bisht #शिल्पी-ए-रिश्ता
#शिल्पी-ए-रिश्ता
read moreShilpi Singh
शुक्रगुज़ार हूँ तुम्हारी, जाते-जाते नफ़रत से नवाज़ गए। दिलो जान से चाहा तुम्हें, और अपनी बर्बादी का सबब कह गए। इश्क़ साबित करना नहीं आता मुझे, मेरी मोहब्बत को तुम चंद शब्दों में तौल गए। क्या अल्फ़ाज़ों से ही इश्क़ बयां होता है, सालों के रिश्ते को तुम यूँ तोड़ गए। कहो ख़ता क्या थी मेरी, जो रुसवाइयों में मुझे मोड़ गए। क्या दिल्लगी ऐसी होती है, ज़िन्दगी के सफ़र में तन्हा छोड़ गए। #शिल्पी शहडोली #heartbreak #tanhai #ishq #ss #NojotoHindi #NojotoShayri #NojotoNews Reetika Joshi Nibedita Yogini Kajol Pathak #peace
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read moreNeelam Rawat
ब्रह्मा निर्माण करके तुमने ही यह दुनिया रचाई है। देवलोक हो या यमलोक तुमने ही हर चीज सजाई है। डमरू शिव का या विष्णु का हो चक्र सुदर्शन, सुन्दर औजारों की तुमने खूब झड़ी बरसाई है।। दोस्तों आज विश्वकर्मा पूजन दिवस है ,, आज के ही दिन महान देव शिल्पी विश्वकर्मा का जन्मदिन है जिन्होंने अपनी शिल्प कला के माध्यम से देवी देवताओं के अनेक नगरों निर्माण किया द्वारिका और इंद्रप्रस्थ जैसे देवस्थलों का रातों रात निर्माण अपने शिल्प कौशल से किया जिन्होंने स्वयं ब्रह्मा को रच कर इस सृष्टि को रचने में अपना सर्वश्रेष्ठ योग दान दिया।। शिल्प विज्ञान के ऐसे दिव्य ज्ञानी भगवान विश्वकर्मा को नमन वंदन है.. हम और आप भी कहीं न कहीं अपने जीवन शिल्पी स्वयं हैं तो सभी दोस्तों को विश्वकर्मा पूजन दिवस की शुभकामनाएं। दोस्तो खुश रहो हंसते रहो मुस्कुराते रहो और प्रयासरत रहो हमेशा एक नए जीवन के निर्माण के लिए।। पर्यावरण को स्वच्छ रखने में योगदान दें प्रकृति से प्रेम करें ,,,, ©नीलम रावत �� जय विश्वकर्मा भगवन�� #विश्वकर्मा_पूजन_दिवस
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
शिक्षक==== शि= शिल्पी क्ष=क्षमा शील क=कर्तव्यनिष्ठ अर्थात् ऐसा कारीगर जो कर्तव्यनिष्ठ व क्षमा शील हो "शिक्षक"कहलाता है बुलंदियों की राहे शिक्षक के चरणो से हो कर गुजरती है
शिक्षक==== शि= शिल्पी क्ष=क्षमा शील क=कर्तव्यनिष्ठ अर्थात् ऐसा कारीगर जो कर्तव्यनिष्ठ व क्षमा शील हो "शिक्षक"कहलाता है बुलंदियों की राहे शिक्षक के चरणो से हो कर गुजरती है
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 7 - निष्ठा की विजय 'मैं महाशिल्पी को बलात् अवरुद्ध करने का साहस नहीं कर सकता।' स्वरों में नम्रता थी और वह दीर्घकाय सुगठित शरीर भव्य पुरुष सैनिक वेश में भी सौजन्य की मूर्ति प्रतीत हो रहा था। वह समभ नहीं पा रहा था कि आज इस कलाकार को कैसे समभावें। 'मेरे अन्वेषक पोतों ने समाचार दिया है कि प्रवाल द्वीपों के समीप दस्यु-नौकाओं के समूह एकत्र हो रहे हैं। ये आरब्य म्लेच्छ दस्यु कितने नृशंस हैं, यह श्रीमान से अविदित नहीं है और महाशिल्पी सौराष्ट्र के
read moreShilpi Singh
यूँ झूटी कहावत का क्या फ़ायदा #शिल्पी सिंह #ग़ज़ल#नोजोतो#हिंदीपोएट्री#नोजोतोगज़ल
यूँ झूटी कहावत का क्या फ़ायदा #शिल्पी सिंह #ग़ज़ल#नोजोतो#हिंदीपोएट्री#नोजोतोगज़ल
read moreShilpi Singh
#ग़दर.... ** #ग़दर **...my first story written by me जी हाँ यह 2001 कि बात है जब.. “ग़दर”..फ़िल्म रिलीज़ हुई और लोग बेशब्री से इंतेज़ार कर रहे थे कि जल्दी से इसकी कैसेट बाज़ार में आजाये क्योंकि सिनेमाघरों में जाने का समय कहाँ था और पैसे भी उतने नही थे और तो और जो आनंद हमारे गाँव के पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर देखने से मिलती वो सिनेमाघरों में कहाँ ?..आख़िर फ़िल्म की कैसेट्स बाज़ार तक आ ही गई सब पाँच-पाँच रुपए इकट्ठा करने लगे ..सीडी और बैटरी के लिए ताकि लाइट जब चली जाए तो बैटरी से जोड़ दिया जाएगा। गाँव में कि
#ग़दर.... ** #ग़दर **...my first story written by me जी हाँ यह 2001 कि बात है जब.. “ग़दर”..फ़िल्म रिलीज़ हुई और लोग बेशब्री से इंतेज़ार कर रहे थे कि जल्दी से इसकी कैसेट बाज़ार में आजाये क्योंकि सिनेमाघरों में जाने का समय कहाँ था और पैसे भी उतने नही थे और तो और जो आनंद हमारे गाँव के पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर देखने से मिलती वो सिनेमाघरों में कहाँ ?..आख़िर फ़िल्म की कैसेट्स बाज़ार तक आ ही गई सब पाँच-पाँच रुपए इकट्ठा करने लगे ..सीडी और बैटरी के लिए ताकि लाइट जब चली जाए तो बैटरी से जोड़ दिया जाएगा। गाँव में कि
read moreShilpi Singh
चपल,चंचल सी नैनों में, कहाँ तुझको छुपालूं मै। न बातों ख़बर मुझमें, न जज़्बातों का क़दर मुझमें। न देखी मै अभी दुनियां, कैसे दुनियां बनालूँ मै। अभी नदियों की पानी हूँ, दुबकी हुई कहानी हूँ। अभी ख़ुद से ही रूठी हूँ , कैसे तुझको मनालूँ मै। मुलाकातों का न मंज़र हैं, ख़्यालातों का न कोई डर हैं। अभी सहमी सी साँसे हैं, कैसे धड़कन बनालूँ मै।। चपल,चंचल सी नैनों में, कहाँ तुझको छुपालूं मै।। #स्वरचित....#शिल्पी सिंह❤ #विधा....#कविता चपल,चंचल सी नैनों में, कहाँ तुझको छुपालूं मै। न बातों ख़बर मुझमें, न जज़्बातों का क़दर मुझमें। न देखी मै अभी दुनियां, कैसे दुनियां बनालूँ मै।