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Ghumnam Gautam
सहारा भी चमन हो नाच उठा, नभ नील सघन हो नाच उठा सहसा एक नई पीड़ मिली, मन मस्त मगन हो नाच उठा एक सौ सोलह चाँद की रातें बीतीं, अति बोझिल और निस्संग पिया जो आए, उर विरहन का गतिशील पवन हो नाच उठा ©Ghumnam Gautam #Dance #विरहन #पवन #नभ #ghumnamgautam
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विभीषण जानते लंकेश की थे लात का मतलब बताएँगे नयन विरहन के तुमको रात का मतलब पटकना सर,बहाना अश्क़ बिल्कुल व्यर्थ है सुन लो― कहीं पत्थर भी समझे हैं कभी जज़्बात का मतलब! ©Ghumnam Gautam #विभीषण #ghumnamgautam #पत्थर #विरहन
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read morePushpvritiya
नींदें आई थी मगर नींदें आई नही, पलक अधखुली मैंने जगाई नही, कि....थकन को जी रही मैं अलसाई रही, उधड़ी सिलवटें मैंने सजाई नही.......... झाँका ओट से.... झरोखों से निहारा भी, सब श्वेत...श्यामल स्याह मैं...लजाई नही.... पसरी रही वो स्याह सन्नाटे वहीं पहरो तलक, लसरा रहा टीका....कि लगाई नही, उधड़ी सिलवटें मैंने सजाई नही.......... कि......... मुझमें ही ढला था और मुझमें ही जला था, वो दिवा भी सांझ प्रिया संग मिलन को चला था, कि.......यूं मिलन की बात विरहन को सुहाई नही, उधड़ी सिलवटें मैंने सजाई नही.......... @पुष्पवृतियां . . ©Pushpvritiya #विरहन नींदें आई थी मगर नींदें आई नही, पलक अधखुली मैंने जगाई नही, कि....थकन को जी रही मैं अलसाई रही, उधड़ी सिलवटें मैंने सजाई नही.......... झाँका ओट से....झरोखों से निहारा भी, सब श्वेत...श्यामल स्याह मैं...लजाई नही....
#विरहन नींदें आई थी मगर नींदें आई नही, पलक अधखुली मैंने जगाई नही, कि....थकन को जी रही मैं अलसाई रही, उधड़ी सिलवटें मैंने सजाई नही.......... झाँका ओट से....झरोखों से निहारा भी, सब श्वेत...श्यामल स्याह मैं...लजाई नही....
read moreRahul Saraswat
..जो मिल जाता इश्क़ हमें हम शाय़र, शायद़ न होते न होते जो कहलाते हैं न कहलाते तो क्या होते ... जिसे मिल गया इश्क़ 'फकीर' वो क्या जाने विरहन की आग मीरा जाने , कान्हा जाने जो राधा बिन ही खेले फाग ... #विरहन
हरिओम सुल्तानपुरी
कान्हा तेरी बांसुरी लगती सौतन मोय अधरों को जा चूमती, जान भले ना होय। मै जल जाऊं प्रीत में, गर तुम ना मिल पाय जैसे जल बिन मीन का, सोई दशा होई जाय ©हरिओम सुल्तानपुरी #विरहन #Sa #कृष्णा #Krishna
HarshivaPrakash
तू कही सांझ सी ढलती गई, मेरी नजरों से ओझल कहीं,उदासी से झुकती नजर, ढूंढती फिरती इधर -उधर ! तू तो लालिमा थी, प्रकाश की, केसरिया रंग ओढ चली! शीतल मन अब चाँद निहारे, निशी-दिन जागे तेरी "विरहन" घूंघट की ओट में थी, बन कर चल दी । वो "पनिहारन" #वो_दिन #वोघूँघट की ओट में थी , #विरहन #पनिहारन
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