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CalmKazi
सीख रहा हूँ मैं भी, ख़ुदी को आज़माना कुछ भाप सी तीखी है, कुछ ताप सी भीनी है चाय #CalmKaziWrites #YQBaba #YQDidi #Tea #Love #Me #Hindi #हिंदी #भाप #ताप #ख़ुदी #सीख
Lata Sharma सखी
सुनो! याद है वो पहली बार की कॉफी। मैं कहाँ पीती थी कॉफी मगर तुम शौकीन थे। पहली मुलाकात में पहली कॉफी भी जरूरी थी। तुमने मंगाई दो कॉफी। और तुम गर्म गर्म पी भी गए। और मैं पीती नहीं थी तो उसकी गर्म भाप पर उंगलियां फिराते रही। और तुमने पहली बार कहा था। " होने को पहली मुलाक़ात है मगर तुम्हें बरसों से जानता हूँ यूँ लगता है, तुम्हारा यूँ कॉफी की भाप पर हाथ फिरना सच अच्छा लगता है।" और मैं तुम्हारी उस शायरी पर जोर से खिलखिलाकर हंस दी और तुम्हें कॉफ़ी न पीने वाली बात दस दी। मुझे लगा तुम गुस्सा हो जाओगे मगर तुम तो शरमाकर मुस्कुरा दिए थे। वो कॉफी आज भी याद आती है। हाँ कॉफी आज भी नहीं पीती। मगर कॉफी की भाप आज भी मुझे तुम्हारी याद दिलाती है। सखी #CCD #कॉफी #याद #तुम
Lata Sharma सखी
चाय का स्वाद, चाय का स्वाद सदा कड़वा लगा है मुझे, पर इस कड़वेपन ने ही खींचा है मुझे, लिखती सकती है कलम हर घूंट पर कुछ, हर घूंट लिखने की कशिश दे जाता है मुझे। वो पीते हैं चाय भाप पर उंगली घुमाते हुए, पीते पीते घण्टो सोचते है शायद हमको, सोच कर ये दिल खींचा सा जाता है,, ये चाय का कसैला स्वाद लुभाता है मुझे। हाँ मैं नहीं पीती मुझे कड़वी लगी है ये चाय, मगर ये चाय से उठती भाप छूती है मुझे, न जाने क्या कसक है ओ चाय तुझमें, जो मेरा महबूब लबों से लगाता है तुझे। ©सखी #चाय #कशिश #कलम #महबूब #स्वाद #एहसास
Rohit Thapliyal (Badhai Ho Chutti Ki प्यारी मुक्की 👊😇की 🙏)
जैसे ही जमीं ने इस कप के ऊपर से आसमाँ को देखा, वैसे ही जमीं को आसमाँ में बादल होने का एहसास हुआ! फिर जमीं ने आसमाँ से कहा, कि इस बादल को बरसने भी दो यारा... तब आसमाँ ने जमीं से कहा कि जरा ठीक से देख यारा, ये बादल नहीं, बल्कि ये तो गरमागरम चाय से निकल रहा है भाप का फ़व्वारा... धन्यवाद _बधाई हो छुट्टी की by रोहित थपलियाल जैसे ही जमीं ने इस कप के ऊपर से आसमाँ को देखा, वैसे ही जमीं को आसमाँ में बादल होने का एहसास हुआ! फिर जमीं ने आसमाँ से कहा, कि इस बादल को बरसने भी दो यारा... तब आसमाँ ने जमीं से कहा कि जरा ठीक से देख यारा,
जैसे ही जमीं ने इस कप के ऊपर से आसमाँ को देखा, वैसे ही जमीं को आसमाँ में बादल होने का एहसास हुआ! फिर जमीं ने आसमाँ से कहा, कि इस बादल को बरसने भी दो यारा... तब आसमाँ ने जमीं से कहा कि जरा ठीक से देख यारा,
read moreAtul Sharma
"जीवन" क्या है...?... यह जीवन हम "जन्म" लेते हैं, "बड़े" होते हैं हमारे "मां बाप" हमें पालते हैं, और फिर उनके "धन"💵से हमारा "बालपन" बीतता है फिर हम बड़े होते हैं हम विवाह कर लेते हैं हमारी "संतानें" होती है हम उनको पालते हैं फिर हम "वृद्ध" 👴 हो जाते हैं और फिर एक दिन इस "संसार" से चले जाते हैं क्या यही "जीवन" है....?... आता होगा यह" प्रश्न" आपके मन में कई बार... है ना.. अब तनिक" जल की यात्रा" देखिए "सागर" से "भाप" बनकर उठता है "मेघ" ☁बन कर "बरसता" 🌧है फिर "नदी" बनकर पुनः "सागर" में समावेश करता है किंतु कभी यह मन यह प्रश्न नहीं करता की... उसका जीवन क्या है? उसका उद्देश्य क्या है? हर" भाव" जीता है, और दूसरों के लिए जितना बन सके "देता" जाता है जब "सागर" में होता है तो "असंख्य जलीय जीवो" को "जीवन" देता है जो "सागर से भाप" बन कर" मेघ" बनता है किसानों को "आशा" देता है कि "फसल" पुनः उपजे, जो वर्षा बनकर बरसता है तो इस सूखी "प्यासी धरा" को सिंचता है, और जब नदी में होता है तो किनारों पर "वनस्पतियों" को "जन्म" देता है किंतु सोचिए क्या कभी जल सोचता होगा कि उसका जीवन क्या है?... उसके जीवन का उद्देश्य क्या है...?.. नहीं वह बस अपना" धर्म" करता जाता है और जितना हो सके सबको "आनंद" देता जाता है इसलिए जीवन में कभी यह प्रश्न मत कीजिएगा कि यह जीवन क्या है..? इस जीवन का उद्देश्य क्या है..? बस इस जीवन को जी ले और जितना हो सके उतना सबको आनंद दे... 🙏🏻👍🏻...... #ŃÅVM Şçhöõľ Ńëémřãńå Bý-Åťüľ Şhãřmå 🖋️🖊️✨✨ "जीवन" क्या है...?... यह जीवन हम "जन्म" लेते हैं, "बड़े" होते हैं हमारे "मां बाप" हमें पालते हैं, और फिर उनके "धन"💵से हमारा "बालपन" बीतता है फिर हम बड़े होते हैं हम विवाह कर लेते हैं हमारी "संतानें" होती है हम उनको पालते हैं फिर हम "वृद्ध" 👴 हो जाते हैं और फिर एक दिन इस "संसार" से चले जाते हैं क्या यही "जीवन" है....?... आता होगा यह" प्रश्न" आपके मन में कई बार... है ना.. अब तनिक" जल की यात्रा" देखिए "सागर" से "भाप" बनकर उठता है "मेघ" ☁बन कर "बरसता" 🌧है फिर "नदी" बनकर पुनः "सागर" में समावेश करता ह
"जीवन" क्या है...?... यह जीवन हम "जन्म" लेते हैं, "बड़े" होते हैं हमारे "मां बाप" हमें पालते हैं, और फिर उनके "धन"💵से हमारा "बालपन" बीतता है फिर हम बड़े होते हैं हम विवाह कर लेते हैं हमारी "संतानें" होती है हम उनको पालते हैं फिर हम "वृद्ध" 👴 हो जाते हैं और फिर एक दिन इस "संसार" से चले जाते हैं क्या यही "जीवन" है....?... आता होगा यह" प्रश्न" आपके मन में कई बार... है ना.. अब तनिक" जल की यात्रा" देखिए "सागर" से "भाप" बनकर उठता है "मेघ" ☁बन कर "बरसता" 🌧है फिर "नदी" बनकर पुनः "सागर" में समावेश करता ह
read moreRakesh Kumar Dogra
इससे ज्यादा नम मैं अन्दर से हूं, शीशे के ये जो बाहर हो रहा है और मुझे ही पता है दुनिया ये समझती है कि 'वो' छलक रहा है। छलकता वो नहीं है छलकता वो है जिसका दर्द हो रहा है, तुम दुआ मांगते रहो जिसको मिला है कबूल हो रहा है। #gif रोने वालों के लिए सहेजने का मौसम, कमरे में बैठा कोई खुश्क शीशे की भाप पर दर्द लिख रहा है। भाप पर लिखा कितनी देर टिकेगा, रेत पर फिर भी लहर का स्वागत में इन्तज़ार हो रहा है।
रोने वालों के लिए सहेजने का मौसम, कमरे में बैठा कोई खुश्क शीशे की भाप पर दर्द लिख रहा है। भाप पर लिखा कितनी देर टिकेगा, रेत पर फिर भी लहर का स्वागत में इन्तज़ार हो रहा है।
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