Find the Best पतले Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutएक्सरसाइज पतले होने की, तार बिजली से पतले, खतर पतले वास्ते बढ़िया, पतले पीर दरगाह,
'नीर'🍁
मैं न...... पतले बहुत पतले मुंह वाली सुराही होना चाहती हूँ जिसमें ब्रम्ह शक्ति रूपी जल निवास करे या फिर कोई निश्छल पवित्र प्रेम की धार ही प्रविष्ट कर सके अन्य किसी ठोस पदार्थ का जाना संभव न हो विनम्रता दयालुता के भावों से लिप्त सहृदय झुककर प्रेम बांटूँ और वितरण के वक्त पात्र की धातु रंग आकार आदि में तनिक मात्र भी भेद न करूँ। #सुराही #कृपा #जल #मानवता #प्रेम
mukesh verma
उनके आँखों का कमाल उफ़ क्या कहना... उनके भिंगे उलझें बाल उफ़ क्या कहना... उनके चेहरे की हंसी औऱ गढ़े पड़ते हुए गाल उफ़ क्या कहना... पलटकर देखना उनका औऱ फ़िर मतवाली सी चाल उफ क्या कहना.. पतले पतले होंठो से लिपटे.. उनके मासूम से सवाल उफ़ क्या कहना... कंचन कोमल सी काया औऱ नैनों में काजल का पतला धार उफ़ क्या कहना... मन मधुर, सरिता सी सरल औऱ वाणी वीणा की तान उफ़ क्या कहना... ©कुमार मुकेश #nojoto#quotes#मk
Anil Siwach
।।श्री हरिः।। 44 - नित्य मिलन श्याम आज बहुत प्रसन्न है। यह आनन्दकन्द - इसके समीप पहुँचते ही दुसरों का विषाद-खिन्न मुख खिल उठता है। जहाँ जाता है, हर्ष-आह्लाद की वर्षा करता चलता है; किन्तु आज तो लगता है जैसे पूर्णिमा के दिन महासमुद्र में ज्वार उठ रहा हो। मैया ने शृंगार कर दिया है। सिर पर तैल-स्निग्ध घुंघराली काली सघन मृदुल अलकें थोड़ी समेट कर उनमें मोतियों की माला लपेट दी है और तीन मयूरपिच्छ लगा दिये हैं। भालपर गोरोचन की खोर के मध्य कुंकुम का तिलक है। कुटिल धनुषाकार सघन भौंहों के नीचे अंजन-रंजि
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।।श्री हरिः।। 38 - तुलसी-पूजन मैया तुलसी-पूजन कर रही है। गौर श्रीअंग, रंत्न-खचित नील कौशेेय वस्त्र कटि में कौशेय रज्जु से कसा है। चरणों में रत्ननूपुर हैं। कटि में रत्न जटित स्वर्णकाञ्ची है। करों में चूड़ियाँ हैं, कंकण हैं। रत्न जटित अंगूठियाँ हैं। भुजाओं में केयूर हैं। कंठ में सौभाग्य-सूत्र, मुक्तामाल, रत्नहार है और है नील कञ्चुकी रत्नखचित्त लाल कौशेय ओढनी। मोतियों से सज्जित माँग, मल्लिका-मालय-मंडित वेणी। आकर्ण-चुम्बित कज्जल-रञ्जित लोचन, कर्णों में रत्न-कुण्डल, भालपर सिन्दूर-बिन्दु, मैया ब्रजेश
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|| श्री हरि: || 27 - उपहार 'मेरी मुट्ठी में क्या है?' कन्हाई बहुत प्रसन्न है। दौड़ा-दौड़ा आया है और दाहिने हाथ की मुट्ठी बन्द किये भद्र के सम्मुख मटकता पूछ रहा है। 'हाऊ!' मधुमंगल ने समीप आकर कह दिया। 'उसे तू खा लेना।' श्यामसुन्दर हंसकर बोला। जब यह खुलकर हंसता है, कपोलो में नन्हे गड्ढे पड जाते हैं। कुन्दकली के समान उज्जवल, सटी पतले दातों की पंक्तियां चमक उठती हैं और पतले-कोमल अरुण अधर मानो दूध क धार से स्निग्ध हो जाते हैं।
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