Find the Best बिन्दु Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutबिन्दु की परिभाषा, बिन्दु जी के पद, बिन्दु का अर्थ, बिन्दु आयु, बिन्दु wikipedia,
kumaarkikalamse
° एक बिन्दु पर माँ एक बिन्दु पर पापा.. दोनों बिंदुओं जोड़ने वाली रेखा पर परिवार नाम का घेरा है।। #YQBaba #Kumaarsthought #YQDidi #हिंदी #hindi #poem #mathpoem #गणित #बिन्दु #घेरा #रेखा #dot #line #circle l
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 14 – ममता 'मैं अरु मोर तोर तैं माया। जेहि बस कीन्हे जीव निकाया।।'
read moreबिलखते अल्फ़ाज़
जिंदगी की इस रेखा मे ........... तुम्हारे साथ चलना है रेखा के किनारे के बिन्दु बनकर नहीं रेखा के नजदीकी बिन्दु बनकर #जिंदगी की इस रेखा मे तुम्हारे साथ चलना है रेखा के किनारे के #बिन्दु बनकर नहीं रेखा के #नजदीकी बिन्दु बनकर #nojotohindi #nojotopoem
#जिंदगी की इस रेखा मे तुम्हारे साथ चलना है रेखा के किनारे के #बिन्दु बनकर नहीं रेखा के #नजदीकी बिन्दु बनकर #nojotohindi #nojotopoem
read moreAmar Singh
बना दो हिम बिन्दु को सागर अपने इस पुरुषार्थ से। बना दो धरा को स्वर्ग, नि:स्वार्थ सेवार्थ से। बना दोगे हिम बिन्दु को सागर अगर तुम में जज्बात होगा। बना दोगे धरा को स्वर्ग, अगर तुम में परमार्थ होगा। सूरज सी चमक तुम में भी होगी, जो दृढ बन तपोगे कर्तव्य पथ पर। अमर 'अरमान' आत्मा शक्ति
आत्मा शक्ति
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 52 - सखा सत्कार कन्हाई की वर्षगांठ है। इस जन्मदिन का अधिकांश संस्कार पूर्ण हो चुका है। महर्षि शाण्डिल्य विप्रवर्ग के साथ पूजन-यज्ञादि सम्पन्न कराके, सत्कृत होकर जा चुके है। गोपों ने, गोपियों ने अपने उपहार व्रजनव-युवराज को दे दिये हैं। अब सखाओं की बारी है। कन्हाई के सखा भी उपहार देगें; किन्तु ये गोपकुमार तो अपने अनुरूप ही उपहार देने वालें हैं। रत्नाभरण, मणियाँ, बहुमूल्य वस्त्र, नाना प्रकार के खिलौने तो बड़े गोप, गोपियाँ - दुरस्थ गोष्ठों के गोप भी लाते हैं; किन्तु गोपकुमारों का उपह
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 38 - तुलसी-पूजन मैया तुलसी-पूजन कर रही है। गौर श्रीअंग, रंत्न-खचित नील कौशेेय वस्त्र कटि में कौशेय रज्जु से कसा है। चरणों में रत्ननूपुर हैं। कटि में रत्न जटित स्वर्णकाञ्ची है। करों में चूड़ियाँ हैं, कंकण हैं। रत्न जटित अंगूठियाँ हैं। भुजाओं में केयूर हैं। कंठ में सौभाग्य-सूत्र, मुक्तामाल, रत्नहार है और है नील कञ्चुकी रत्नखचित्त लाल कौशेय ओढनी। मोतियों से सज्जित माँग, मल्लिका-मालय-मंडित वेणी। आकर्ण-चुम्बित कज्जल-रञ्जित लोचन, कर्णों में रत्न-कुण्डल, भालपर सिन्दूर-बिन्दु, मैया ब्रजेश
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || 25 - रूठने की बात कन्हाई कभी-कभी हठ करने लगता है। कभी ऐसी हठ करता है कि किसी की सुनता ही नहीं। कोई इसके सुख की, इसके मन की बात हो तो इसकी हठ मान भी ली जाए, किन्तु यह भी कोई बात है कि यह आज हठ पर उतर आया है कि पुलिन पर खेलेगा। ग्रीष्म ऋतु है और यहाँ पुलिन पर छाया है नहीं। क्या हुआ कि मेघ आकाश में छत्र बने आतप को रोकते हैं, किन्तु क्या मेघ रहने से ही धूप की उष्णता पूरी रूक जाती है? क्या इसी से पुलिन रेणुका उष्ण नहीं होगी? गोचारण के लिए वन में आकर शीतल पुलिन पर क्रीडा हो चुकी। स्न
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 26 - विनाद 'आ, दूध पीयेगा?' श्रीव्रजराज दोनों घुटनों में दोहनी दबाये गो-दोहन कर रहे हैं। पीछे कौन आकर खड़ा हुआ, यह जानने की उन्हें आवश्यकता नहीं। दाऊ, श्याम, भद्र, सूबल, तोक - कोई भी हों बाबा के लिए सब अपने ही हैं। नूपूरों की रुनझुन ध्वनि से केवल इतना समझा उन्होंने कि कोई शिशु है और वह उनके पीछे उनके कंधे को सहारा बनाकर खड़ा हुआ है। 'ले, मुख खोल तो!' बाबा ने देखा कि उनका कृष्ण अब उनके पीछे से सामने आ खड़ा हुआ है। यह अभी-अभी नींद से उठकर, मैया की आंख बचाकर गोष्ठ में चला आया है। अल
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 18 - वर्षा में श्याम को जल से सहज प्रेम है और वर्षा हो रही हो, तब तो पूछना ही क्या? सभी बालक प्राय: वर्षा में भीगकर स्नान करने के व्यसनी होते हैं। कन्हाई को कोई रोकनेवाला न हो तो यह तो शरत्कालिन वर्षा में भी भीग-भीगकर स्नान करता, उछलता-कूदता फिरे। यह तो पावस की वर्षा है। इसमें तो पशु भी नीचे छिपने नहीं जाते। उन्हें भी भीगने में आनन्द आता है। प्रातःकाल बालक गोचारण के लिए चलते थे, तब आकाश में थोड़े ही मेघ थे; किन्तु पावस में घटा घिरते देर कितनी लगती है। आकाश प्रथम प्रहर बीतते ही मे
read moreAnil Siwach
राम - श्याम की झांकी -1 || श्री हरि: || 'उठ! तल!' दिगम्बर स्वर्णगौर छोटा-सा दाऊ अपने छोटे भाई का पलना पकड़कर खड़ा है। यह समझ नहीं पाता कि क्यों उसका अनुज उसके साथ खेलने नहीं चल सकता है।
read more