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Poonam Ritu Sen
"विवशता विष से कम नहीं" (पूरी कहानी caption में पढ़िये) 'विवशता बिष से कम नहीं' "10 वर्ष बीत गये तुम्हे देखे हुये, काफी बड़ी हो गयी होगी अब तुम... " राजेश एक तस्वीर को सीने से लगा कर ऐसे ही कुछ बुदबुदा रहा था। तभी पीछे से आवाज आयी- "डैड आज भी आप डिनर करने में लेट कराओगे, चलिये दादी बुला रहीं हैं।" राजेश ने रुँधे स्वर में कहा 'तुम चलो विक्की मैं आता हूँ' डिनर का टेबल तैयार था। राजेश विक्की और विक्की की दादी और दादा,चारों टेबल में खाने के लिये बैठ चुके थे। एक अजीब सी खामोशी थी, आवाज आ रही थी तो सिर्फ प्लेट में लगते चम्मचों की। आखिर high so
'विवशता बिष से कम नहीं' "10 वर्ष बीत गये तुम्हे देखे हुये, काफी बड़ी हो गयी होगी अब तुम... " राजेश एक तस्वीर को सीने से लगा कर ऐसे ही कुछ बुदबुदा रहा था। तभी पीछे से आवाज आयी- "डैड आज भी आप डिनर करने में लेट कराओगे, चलिये दादी बुला रहीं हैं।" राजेश ने रुँधे स्वर में कहा 'तुम चलो विक्की मैं आता हूँ' डिनर का टेबल तैयार था। राजेश विक्की और विक्की की दादी और दादा,चारों टेबल में खाने के लिये बैठ चुके थे। एक अजीब सी खामोशी थी, आवाज आ रही थी तो सिर्फ प्लेट में लगते चम्मचों की। आखिर high so
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मैं- विरह की आग में जलती एक बाती हूँ अश्रु रूपी सागर में बहती एक नाव हूँ आसमान से नीचे गिरती एक पतंग हूँ हरे पेड़ो से उजड़ती एक डंगाल हूँ दरारों की तरह कराहती एक बंजर जमीन हूँ ( पूरी कविता caption में पढ़ें) मैं- विरह की आग में जलती एक बाती हूँ अश्रु रूपी सागर में बहती एक नाव हूँ आसमान से नीचे गिरती एक पतंग हूँ हरे पेड़ो से उजड़ती एक डंगाल हूँ दरारों की तरह कराहती एक बंजर जमीन हूँ मैं केवल विवशता का पर्याय नहीं, विषाक्त कृत्यों का अर्धपूरित, अक्षम्य परिणाम हूँ..
मैं- विरह की आग में जलती एक बाती हूँ अश्रु रूपी सागर में बहती एक नाव हूँ आसमान से नीचे गिरती एक पतंग हूँ हरे पेड़ो से उजड़ती एक डंगाल हूँ दरारों की तरह कराहती एक बंजर जमीन हूँ मैं केवल विवशता का पर्याय नहीं, विषाक्त कृत्यों का अर्धपूरित, अक्षम्य परिणाम हूँ..
read moreशशांक गौतम
कूड़े में तलाश रहा था अपनी विवशता का जवाब, भूख से विवश था वो मासूम पिछले कई दिन से..!! #yqbaba #yqdidi #विवश
Rahul Saraswat
कभी स्वयं से कभी स्वजनों से मनुष्य को विवश होना ही पड़ता है #विवश#YqDidi
vishnu prabhakar singh
नहीं विधान संपूर्ण कर्मदान जीव इंसान Open for collaboration 💐 अक्षर 5-7-5 आधे अक्षर की गिनती नहीं होती... #कृतिकीकविता #हिंदीहाइकु #विधिकाविधान #विवश #collabwithkriti
Open for collaboration 💐 अक्षर 5-7-5 आधे अक्षर की गिनती नहीं होती... #कृतिकीकविता #हिंदीहाइकु #विधिकाविधान #विवश #collabwithkriti
read moreShikha Mishra
जो हमारे लिए आर्थिक विवशता है वो औरों के लिए मिडिल क्लास मानसिकता है. #yqbaba #yqdidi #smquote #middleclass #आर्थिक #विवश
LOL
किसी नूपुर सी बजती ज़िन्दगी उसकी छन छन छन छन यदि हो जाता इस साल ब्याह उसका अपना लेता कोई उसे यथारूप लेकिन हर कोई चाहता है सिर्फ चाँदनी चाँद की अपनाना नहीं चाहता कोई उसे दाग के साथ! अपनी नैतिकता के चलते छिपाना नहीं चाहती वो देह के सफेद दागों को होने वाले कान्त से पर क्या करे विवश है परिस्थितियों के सम्मुख परिवार में तीन बहनें और भी तो हैं सो बताएगी नहीं उनके आड़े आएगी नहीं पी जाएगी भविष्य की हर पीड़ा वर्तमान में पर शायद ये छल नहीं है जवाब उस समाज को जो दिखावा तो करता है बहुत और बहुत आगे बढ़ जाने का पर त्याग ना सका संकीर्ण सोच को अब तक स्वीकार ना कर सका सिर्फ आत्मा को..!! माना कि विवश आज है पर चाँद फ़िर भी चाँद है.. ©KaushalAlmora #विवश #कुरीतियां #चाँद #Agirlwithwhitepatches #रोजकाडोजwithkaushalalmora #yqdidi #life #दाग
#विवश #कुरीतियां #चाँद #Agirlwithwhitepatches #रोजकाडोजwithkaushalalmora #yqdidi life #दाग
read moregulshan gaurav
भाग्य सी स्याह उसके तारकोल की सड़क पे पैरों के छालों से कराहता विवश आंखो में पिता की देख वो प्रश्न ये उठाता है बाबा हमें घर पहुंचाने ये विमान क्यों नहीं आता है हार जाते हैं सारे तर्क मेरे उसकी मासूमियत के आगे समनाता का अधिकार सबको केवल किताब में मिल पता है सामर्थ्यवानों के समक्ष नमस्तक होता मजदूर की मृत्यु पर अफसोस जताता हर सिकंदर इस लोकतंत्र का बौना सा नज़र आता है ।। #विवश #मजदूर बाबा घर ले जाने ये विमान क्यूं नहीं आता
Waseem Fatima
#LabourDay मज़दूर #विवश होता है उसका कोई #दिवस नहीं होता #Labour_Day
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 4 – कर्म 'कुछ कर्मों के करने से पुण्य होता है, और कुछ के न करने से। कुछ कर्मों के करने से पाप होता है और कुछ के न करने से।' धर्मराज अपने अनुचरों को समझा रहे थे। 'कर्म संस्कार का रूप धारण करके फलोत्पादन करते हैं। संस्कार होता है आसक्ति से और आसक्ति क्रिया एवं क्रियात्याग, दोनों में होती है। यदि आसक्ति न हो तो संस्कार न बनेंगे। अनासक्त भाव से किया हुआ कर्म या कर्मत्याग, न पुण्य का कारण होता है और न पाप का।' बड़ी विकट समस्या थी। कर्म के निर्ण
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