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Harendra Singh Lodhi
अपराध तुम्हारे असंख्य हैं और कादाचित अक्षम्य भी, सदियां लगीं थीं जिस प्रकृति के सृजन में उसके विध्वंश में ना तुमको दशक लगे, कहो कि हे विनाश के देवता! अपनी रचना को यूं कुचला देख वो सृजनकर्ता कैसा रोता होगा... #हरेन्द्र_सिंह_लोधी ©Harendra Singh Lodhi #दण्ड #punishment #कर्म #Karma #माहामारी #alone
shyam
#RIPPriyankaReddy नारी के अपमान का ये,अपराध क्षमा के योग्य नहीं। जड़बुद्धि का परिचय हैं,ये कोई कलियुग का संयोग नहीं। हे नारी! न कर विलाप,अपनी दिनहिन अवस्था का। विध्वंश हुआ जीवन तेरा,कुछ गया नही इस सत्ता का। न्याय कर स्वयं से तू, कमजोर नहीं तू शक्ति है, नौ महीने ईश्वर को भी अपनी कोख मे रखतीं हैं। बहोत हुआ अक्षम्य कर्म,अब जड़बुद्धि पर प्रहार करो, शीशहिन करके दुस्टो का, इनपर एक उपकार करो। :-श्याम कभी कभी #दण्ड ही #दया होती हैं जो लोग ऐसी मानसिकता के शिकार हैं उनके लिये यही होना चाहिए। कवि रामकृष्ण नेताम bickeymandal Dev Ratna vinodsaini Gajendra Prasad Saini
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 4 – कर्म 'कुछ कर्मों के करने से पुण्य होता है, और कुछ के न करने से। कुछ कर्मों के करने से पाप होता है और कुछ के न करने से।' धर्मराज अपने अनुचरों को समझा रहे थे। 'कर्म संस्कार का रूप धारण करके फलोत्पादन करते हैं। संस्कार होता है आसक्ति से और आसक्ति क्रिया एवं क्रियात्याग, दोनों में होती है। यदि आसक्ति न हो तो संस्कार न बनेंगे। अनासक्त भाव से किया हुआ कर्म या कर्मत्याग, न पुण्य का कारण होता है और न पाप का।' बड़ी विकट समस्या थी। कर्म के निर्ण
read moreKaustubh Vats
दण्ड बड़ा विशाल होगा इस गुनाह ए अज़ीम का अगर दुखाया है दिल तुमने किसी कलमकार का वो बोलता तो है नहीं किसी से बस खुद को कोसता है पर खुदा जानता है दण्ड है उसके गुन्हेगार का #love #shayri #lekhak #kalamkaar #sher #ishq #writer #lover #poet #life #poetlife #heart #softheart #nojoto
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 13 - हृदय परिवर्तन 'मैडम! यह मेरा उपहार है - एक हिंसक डाकू का उपहार!' मैडम ने आगन्तुक के हाथ से पत्र लेकर पढा। 'मैं कृतज्ञ होऊंगा, यदि इसे आप स्वीकार कर लेंगी।' चर दोनों हाथों में एक अत्यन्त कोमल, भारी बहुमूल्य कम्बल लिये, हाथ आगे फैलाये, मस्तक झुकाये खड़ा था। 'मैं इसे स्वीकार करूंगी।' एक क्षण रुककर मैडम ने स्वतः कहा। उनका प्राइवेट सेक्रेटरी पास ही खड़ा था और मैडम ने उसकी ओर पत्र बढ़ा दिया था। 'तुम अपने स्वामी से कहना, मैंने उनका उपहार स्
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 10 – अनुगमन 'ठहरो!' जैसे किसी ने बलात् पीछे से खींच लिया हो। सचमुच दो पग पीछे हट गया अपने आप। मुख फेरकर पीछे देखना चाहा उसने इस प्रकार पुकारने वाले को, जिसकी वाणी में उसके समान कृतनिश्चयी को भी पीछे खींच लेने की शक्ति थी। थोड़ी दूर शिखर की ओर उस टेढ़े-मेढ़े घुमावदार पथ से चढ़कर आते उसने एक पुरुष को देख लिया। मुण्डित मस्तक पर तनिक-तनिक उग गये पके बालों ने चूना पोत दिया था। यही दशा नासिका और उसके समीप के कपाल के कुछ भागों कों छोड़कर शेष मु
read moreanil kumar y625163
किसी गांव में दो मित्र रहते थे। बचपन से उनमें बड़ी घनिष्टता थी। उनमें से एक का नाम था पापबुद्धि और दूसरे का धर्मबुद्धि । पापबुद्धि पाप के काम करने में हिचकिचाता नहीं था। कोई भी ऐसा दिन नहीं जाता था, जबकि वह कोई-न-कोई पाप ने करे, यहां तक कि वह अपने सगे-सम्बंधियों के साथ भी बुरा व्यवहार करने में नहीं चूकता था। दूसरा मित्र धर्मबुद्धि सदा अच्छे-अच्छे काम किया करता था। वह अपने मित्रों की कठिनाइयों को दूर करने के लिए तन, मन, धन से पूरा प्रयत्न करता था। वह अपने चरित्र के कारण प्रसिद्ध था। धर्मबुद्धि
read more✍️ रोहित
बलात्कारी को दण्ड..... ऐसा दण्ड मिले कि जिससे, रहें काँपते ख़्वाब में, उनका नहीं इलाज़ मिलेगा, मोमिन तेरी क़िताब में, जो भी बलत्कार करने में, ज़रा नहीं सकुचाते हैं, उन हरामजादों को ज़िन्दा, नहला दो तेज़ाब में।।
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 7 – अमोह 'मेरा पुत्र ही सिंहासनासीन हो, यह मोह है वत्स!' आज सातवीं बार कुलपुरोहित समझा रहे थे मद्राधिपति को - 'सम्पूर्ण प्रजा ही भूपति के लिए अपनी संतान है और उसकी सुरक्षा संदिग्ध नहीं रहनी चाहिये।' मद्रनरेळ के कुमार बाल्यकाल सो कुसंग में पड़ चुके थे। वे उग्रस्वभाव के तो थे ही, दुर्व्यसनों ने उन्हें अत्याधिक लोक-अप्रिय बना दिया था। प्रजा चाहती थी कि उत्तराधिकारी कुमार भद्र हों, जो मद्रनरेश के भ्रातृ-पुत्र थे; किंतु पिता की ममता भी दुर्बल क
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