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Jiten rawat

प्यासा है मन मेरा समंदर के किनारे मे बैठ कर,
मै अपनी प्यास बुझाता हुँ मयख़ाने में बैठ कर।

वो कहता  है  मेरी  प्यास  बुझायेगा, जो ख़ुद
अपनी प्यास बुझाता है, मयख़ाने में बैठ कर। #प्यासा #मन #समंदर 
#मयख़ाने 
#वो #मेरी_प्यास_बुझायेगा #जो_अपनी_प्यास_बुझाता_है
#मयख़ाने_में_बैठ_कर
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paras Dlonelystar

जला कर के कोई ,बुझाता है क्यों
हंसाता भी है पर, रुलाता है क्यों
क्यों खेलता है ,दिल से ,ए दिल
भुलाकर भी चिलमंन ,बुलाता है क्यों
जला कर के कोई....बुझाता है क्यों #पारस #दिल

अवनीश पाण्डेय

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जंगलों में आग लगती है बुझाता है भगवान
इमारतों में आग लगती है बुझाता है इंशान
जब सबके पेट मे आग लगती है, बुझाता है किसान।।

यही है मेरे असली देश का जवान देश का किसान

Sudeep Keshri✍️✍️

मन #प्रफुल्लित हो जाता इन #वादियों में आकर, फूले न समाता #प्रकृति में समा कर, ईश्वर की रचना के आगे सब कुछ फीका है, हमें तो इससे #सुंदर कुछ ना दिखा है, #नदी, #झील, #झरना या #पहाड़ सब है #बेमिसाल, फूलों का रंग या फलों का स्वाद #कुदरत की क्या बात, पंछी हो या जंतु किसी में नहीं कोई किंतु परंतु, वृक्ष की #टहनी हो या पत्ते हम तो देखते न थकते, #poem #kavita #कविता #nojotohindi #संसार #प्राणवायु #बुझाता

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पर्वतों को पार कर, मन प्रफुल्लित हो जाता इन वादियों में आकर,
फूले न समाता प्रकृति में समा कर,
ईश्वर की रचना के आगे सब कुछ फीका है,
हमें तो इससे सुंदर कुछ ना दिखा है,
नदी, झील, झरना, पहाड़ सब है बेमिसाल,
फूलों का रंग ,फलों का स्वाद कुदरत की क्या बात,
पंछी हो या जंतु किसी में नहीं कोई किंतु परंतु,
वृक्ष की टहनी हो या पत्ते हम तो देखते न थकते,
पानी प्यास बुझाता, हवा प्राणवायु दे जाता,
न कोई किसी से कम है, न कोई किसी से ज्यादा, 
कुदरत ने क्या संसार बनाया,
मेरा तो मन फूले नहीं समाता,
जब मैं खुद को इन सब के बीच पाता,
लेकिन इन सब में ईश्वर की सबसे अच्छी कृति
मैं ही तो हूं, जो इन वादियों के बारे में आपको बताता। मन #प्रफुल्लित हो जाता इन #वादियों में आकर,
फूले न समाता #प्रकृति में समा कर,
ईश्वर की रचना के आगे सब कुछ फीका है,
हमें तो इससे #सुंदर कुछ ना दिखा है,
#नदी, #झील, #झरना या #पहाड़ सब है #बेमिसाल,
फूलों का रंग या फलों का स्वाद #कुदरत की क्या बात,
पंछी हो या जंतु किसी में नहीं कोई किंतु परंतु,
वृक्ष की #टहनी हो या पत्ते हम तो देखते न थकते,

कवि मनीष

पानीं नें कहा घड़े से,
तुझे मुझे अपनें भीतर है समाता,
और तू मुझे शीतल भी है बनाता,
पर धीरे-धीरे तुझसे जुदा होंनें से मन है मेरा घबराता,

न जानें क्यों हमारा रिश्ता है ऐसा,
प्यास जो बुझाता है सबकी वही रह जाता है प्यासा,
मैं सबकी हूँ प्यास बुझाती,
पर मैं हीं हूँ प्यासी रह जाती,

घड़े नें पानीं से कहा,
जब तू घंटों रहकर भीतर मेरे शीतलता है पाती,
प्यास तेरी मेरी तभी हीं है बुझ जाती,
और ये तो है नियम प्रकृति का कुआँ अपनीं प्यास है नहीं कभी बुझाता,

पानीं नें कहा घड़े से,
तू मुझे अपनें भीतर है समाता,
और तू मुझे शीतल भी है बनाता,
पर धीरे-धीरे तुझसे जुदा होंने से मन है मेरा घबराता 
#कविमनीष 






 #NojotoQuote #कविमनीष


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