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Author Munesh sharma 'Nirjhara'
शिवत्व को जिसने समा लिया फिर वही शिव सम हो जाता है काल और महाकाल फिर क्या वह स्वयं ही शिव बन जाता है 🌹 शिव कभी संततियों में भेद नहीं रखते, उनके लिए देव, दानव, मनुज, चर, जलचर, भूमिचर, कीट इत्यादि सब एक समान हैं, कोटि कोटि नमन 🙏🙏🙏 #writer #emot
Anil Ray
ग़र मर्द हो तो तुम्हारी हस्ती का इतना तो रौब रहे... बगल से निकले जो कोई औरत तो वों बेखौफ रहे... ©Anil Ray विचारार्थ लेखन...............✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 एक मछली सम्पूर्ण तालाब को गंदा करती है, ऐसा विद्वान कहते आये है। कहने का अर्थ यह है कि यदि एक मछली
विचारार्थ लेखन...............✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 एक मछली सम्पूर्ण तालाब को गंदा करती है, ऐसा विद्वान कहते आये है। कहने का अर्थ यह है कि यदि एक मछली #thought
read moreparineeta
मुझे पसंद है पढ़ना कोई कविता ऐसे जैसे की हम डूब जाए इसकी गहराई में और झुक जाए उस लेखक के चरण में .... मुझे पसन्द हैं भींगना, ऐसे जैसे बूँदे मुझ पर नहीं मैं बूँदो पर गिर रहा, पसन्द हैं मुझे
मुझे पसन्द हैं भींगना, ऐसे जैसे बूँदे मुझ पर नहीं मैं बूँदो पर गिर रहा, पसन्द हैं मुझे #hindipoetry #randomthoughts #YourQuoteAndMine #poetrylove #मुझेपसन्दहैं
read moreDarshan Blon
आओ अपने खुले मनसे उस धूप का स्वागत करें, अंतर्मन की कोनों से हम श्रद्धा पूर्वक उसका नमन करें, लाखों कितने वर्षों से वो धर्तीको दे रहा उजाला, हमारी अंधेरी रातों के लिए चाँद को भी उसने रोशन कर डाला, जलचर थलचर नभचर सारे उसपर ही तो आश्रित हैं, सारे प्राणियों का उपजीविका उसके ही कारण तो स्थापित है, पुकारें हम उसे कितने नामों से "धूप, सूर्य, रवि व दिवाकर" कल्याण किया है हमेसा उसने हरेक अपने रूप में आकार, बिना उसके हमारा कोई वजूद ही ना रहता यहाँ, निर्भर उसपर सारा जनजीवन बिन उसके ना रहता ये जहाँ!! आओ अपने खुले मनसे उस धूप का स्वागत करें, अंतर्मन की कोनों से हम श्रद्धा पूर्वक उसका नमन करें, लाखों कितने वर्षों से वो धर्तीको दे रहा उजाल
आओ अपने खुले मनसे उस धूप का स्वागत करें, अंतर्मन की कोनों से हम श्रद्धा पूर्वक उसका नमन करें, लाखों कितने वर्षों से वो धर्तीको दे रहा उजाल #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine
read moreAB
....... कितनी सुखद यात्रा करती हैं ना नदियां गंतव्य तक बिना पथ भटके शांत अविरल बहती रहती हैं, निःसंदेह उनके धैर्य की सीमा अनंत, अंतर्मन कोमल, ह्रद
कितनी सुखद यात्रा करती हैं ना नदियां गंतव्य तक बिना पथ भटके शांत अविरल बहती रहती हैं, निःसंदेह उनके धैर्य की सीमा अनंत, अंतर्मन कोमल, ह्रद
read moreN S Yadav GoldMine
भगवान विष्णु ने जहां लिया था वराह अवतार वहां स्नान करने से मिलता है पुण्य अपार पढ़िए इस मंदिर का इतिहास !! 🎀🎀 {Bolo Ji Radhey Radhey} वराह भगवान मंदिर :- भगवान विष्णु ने जहां लिया था वराह अवतार, वहां स्नान करने मिलता है पुण्य अपार मिलता है। 🌴 भगवान वराह की नगरी कासगंज जिले का सोरों। देश के विभिन्न राज्यों की श्रद्धा एवं आस्था से जुड़ी हरिपदी गंगा। आने वाले 15 दिन यहां पर देश भर से श्रद्धालुओं का आना होगा। 16 दिसंबर से शुरू हो रहे मार्ग शीर्ष मेले को लेकर आस्था की नगरी तैयार है। त्रयोदशी को नागा साधुओं का शाही स्नान होगा। साल में एक बार लगने वाली पंचकोसीय परिक्रमा भी एकादशी को वराह मंदिर से शुरू होती है। पूर्णिमा को अंतिम एवं चतुर्थ स्नान के साथ में मेले का समापन होता है। 🌴 कासगंज से करीब 12 किमी दूर स्थित सोरों में हरिपदी गंगा (हर की पैड़ी) के तट पर लगने वाले मेले में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। उप्र के साथ मध्य प्रदेश और राजस्थान से तो लोग यहां आते ही हैं, अन्य प्रदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग स्नान करने के लिए यहां आते हैं। पूर्णिमा तक चलने वाले मेले में चार स्नान होते हैं। सबसे ज्यादा महत्व एकादशी के स्नान का है। माना जाता है इस दिन वराह भगवान ने यहां पर व्रत रखा था। त्रयोदशी को होने वाला तीसरा स्नान सिर्फ साधु संतों एवं नागा बाबाओं का ही खास तौर पर रहता है। एकादशी एवं द्वादशी को श्रद्धालु स्नान करते हैं तो अंतिम एवं चौथा स्नान पूर्णिमा को होता है। द्वादशी को वराह भगवान की यात्रा निकलती है। N S Yadav. यह है मान्यता :- 🌴 भगवान विष्णु ने वराह अवतार के रूप में दैत्यराज को मारकर उसके द्वारा रसातल में रखी गई पृथ्वी को दंत के अग्रभाग पर धारण कर जल से बाहर इसी स्थान पर निकाला था। मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को व्रत रखा था, दूसरे दिन द्वादशी को वराह रूप त्याग दिया। इस पुण्य तिथि के उपलक्ष्य में यह मेला प्राचीन काल से यहां लगता आ रहा है। हिरण्याक्ष से पृथ्वी को मुक्त कराया :- 🌴 कासगंज जनपद की सोरों तीर्थ नगरी रहस्यों की नगरी कहा जाता है। सृष्टि का उद्धार करने के लिए भगवान विष्णु ने वराह के रूप में अवतार लिया था। यह अवतार भगवान ने वराह (शूकर) के रूप में लिया, तभी से इस नगरी का नाम शूकर क्षेत्र हो गया। शूकर क्षेत्र सोरों में एक नहीं अनेक आस्था के केन्द्र हैं। वराह भगवान मंदिर के महंत विदिहानंद बताते हैं कि शूकर सोरों तो महिमा से भरा पड़ा है। हमारे यहां कई अवतार हुए हैं। 🌴 दशावतारों में दो जलचर और दो वनचर, दो भूप, चार विप्र के अवतार हैं। जलचर में कक्ष और मक्ष आते हैं। वनचर वराह भगवान और नरसिंह भगवान हैं। दो भूपों में श्रीराम और श्रीकृष्ण आते हैं। चार विप्र हैं- परशुराम, बावन, बुद्ध, कपिल भगवान। ये सभी दशावतार में आते हैं। इस अवतार में भगवान वराह ने हिरण्याक्ष का वध कर और पृथ्वी को जल पर स्थापित किया था। हिरण्याक्ष ने जल के अंदर पूरी पृथ्वी को छिपा दिया था। बहुत बलशाली था दैत्य। उससे देवता भी हार गए थे। भगवान ने वराह का अवतार लेकर हिरण्याक्ष का वध किया और पृथ्वी को मुक्त कराया भगवान ने रखा था एकादशी का व्रत :- 🌴 तीर्थ पुरोहित सोरों विक्रम पांडे बताते हैं कि मान्यता है कि यहां भगवान ने वराह (तृतीय अवतार) के रूप में एकादशी के दिन व्रत रखकर पंचकोसी की परिक्रमा की थी। बाद में हिरण्याक्ष का वध कर हरिपदीय गंगा कुंड को नाखूनों से खोदकर अपने प्राण कुंड में त्याग दिये थे। तभी से इस कुंड में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। मृत पूर्वजों की अस्थियां विसर्जन करने से उनकी आत्मा का शांति मिलती है। विसर्जन की जाने वाली अस्थियां 72 घंटे यानि तीन के दिन के अंदर पानी में घुल मिलकर रेणु रूप हो जाती है। तभी से मार्गशीर्ष मेले का शुभारंभ हुआ था। ©N S Yadav GoldMine #City भगवान विष्णु ने जहां लिया था वराह अवतार वहां स्नान करने से मिलता है पुण्य अपार पढ़िए इस मंदिर का इतिहास !! 🎀🎀 {Bolo Ji Radhey Radhey} व
#City भगवान विष्णु ने जहां लिया था वराह अवतार वहां स्नान करने से मिलता है पुण्य अपार पढ़िए इस मंदिर का इतिहास !! 🎀🎀 {Bolo Ji Radhey Radhey} व #पौराणिककथा
read moreअशेष_शून्य
आदमी ने उतार फेंका अपनी देह से आत्मा को । अब वह पूरी तरह से आदमखोर जानवर है ।। ~©अंजली राय हमने जब भी आकाश की तरफ देखा ; नभचर परिंदे बन गए कभी हम हांफते रहे थकते रहे पर उड़ने की चाह न छोड़ पाए हम गिरे फिर उठे फिर गिरे और दौड़ते
हमने जब भी आकाश की तरफ देखा ; नभचर परिंदे बन गए कभी हम हांफते रहे थकते रहे पर उड़ने की चाह न छोड़ पाए हम गिरे फिर उठे फिर गिरे और दौड़ते #HUmanity #dead #yqaestheticthoughts #अशेष_शून्य
read moreVedantika
अस्तित्व इस जीवन का धरा पर ही तो सम्भव है। प्रकृति का हर दृश्य मनोहर लगता बड़ा विहंगम हैं। ईश्वर की अदभुत रचना यह है संभावनाओं का संसार, निज स्वार्थ से ऊपर उठकर करो इसका संरक्षण हर बार। ईश्वर द्वारा रचित इस सृष्टि में कितनी ही आकाशगंगाएँ है जिसमें न जाने कितने अनगिनत तारे, कितने ही ब्रम्हांड और कितने ही ग्रह उपस्थित है। ऐसी
ईश्वर द्वारा रचित इस सृष्टि में कितनी ही आकाशगंगाएँ है जिसमें न जाने कितने अनगिनत तारे, कितने ही ब्रम्हांड और कितने ही ग्रह उपस्थित है। ऐसी
read moreDeepak Kanoujia
"तेरे यार भतेरे ने मेरा तू ही है बस यारा" " तेरे नाल होना ऐ गुज़ारा जट्टी दा मेरा नहीयो होर कोयी हाल किसे नाल " दृश्य 1 : एक सुन्दर सरोवर जिसमें तरह तरह के फूल खिले हैं और विभिन्न प्रकार के जलचर जल की क्रीङाये कर रहे हैं...आसपास ऊँचे पर्वत और उनसे क
दृश्य 1 : एक सुन्दर सरोवर जिसमें तरह तरह के फूल खिले हैं और विभिन्न प्रकार के जलचर जल की क्रीङाये कर रहे हैं...आसपास ऊँचे पर्वत और उनसे क #mahashivratri #loveisworship #shivparvati #mahadevlove #modishtro #deepakkanoujia #pradhunik
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