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Stories related to पिंजरे का अर्थ

Arora PR

पिंजरे का पंछी

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नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

# पिंजरे का पंछी ।

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Parasram Arora

#पिंजरे का पंछी........

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कितने पारंगत होते हैँ  ये 
पिंजरे  मे  बंद  तोते 
जो नामों को  दुहराते हैँ  निश्चित ही 
खुद को भी  और 
दूसरों को भी भरमाने का ही काम 
कर रहे हैँ 
वे शायद  नहीं जानते क़ि  इस  नाम 
दुहराने  की कला   क़ि वजह से 
उन्हें ताउम्र  पिंजरे मे ही बंधक बन कर 
रहना   पड सकता है 
और खुदा न खस्ता   किसी दिन  पिंजरे का 
मुँह  खुला भी  रह गया  तो वो  उड़ना    चाहते 
हुए भी  उड़ नहीं पायेगा  क्योंकि तब तक 
उसके  पँख  उड़ना  भूल  चुके होंगे

©Parasram Arora #पिंजरे का पंछी........

Usha Dravid Bhatt

पिंजरे का असर

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जब लौटा  वो कैद काट कर
आजाद  खगों को कर बैठा ,
वर्षों से आवाद पिंजरों को 
घर से बाहर  लगा बैठा ,

पंख फैलाते उड़ चले पखैरू
ज्यों  नाप रहे हों  फैले नभ को ,
पा न सकेंगे  ओर  छोर  गगन का 
रहा जीवन पूर्ण समर्पित पिंजरों को ।। पिंजरे का असर

Parasram Arora

पिंजरे का परिंदा

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मुझे उस परिंदे से बेइंतहा  मुहब्बत हो गई थी
जिसेमैंने अपनी ख़ुशी के लिये उसे पिंजरे सहित
खरीद कर घर के आँगन में  लटका दिया  था
नित्य उससे बाते करता  और उसकी  मधुरतम चहकते
गीतों को सुनकर आत्मविभोर हो जाता था  .
फिर वो दिन भी आया  ज़ब मेरी आँख  आकाश
में उड़ते परिंदो पर पड़ी ज़ो  पूरी मस्ती से  चहकते हुए आकाश की ऊंचाईया  नाप रहे थे
तब मुझे अहसास हुआ कि.उन मुक्त स्वच्छन्द 
परिंदो की च हकने की त्वरा  और मिठास मेरे पिंजरे वाले परिंदे से. कितनी 
अलग थी
और तब मुझे  समझ में आया कि प्यारऔर ख़ुशी बँधन में नही है
प्यार और ख़ुशी मुक्ति  और  स्वछंदता  की  उपज हैँ

©Parasram Arora पिंजरे का  परिंदा

Parasram Arora

पिंजरे का पंछी.

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पिंजरे का पंछी
लम्बे समय से वहाँ रहते रहते
अब ऊब चुका हैँ  और मुक्ति
के लिये पिंजरे की सलाखे
तोड़ रहा हैँ
अब वो दिन दूर नही ज़ब  वो  बाकी
सलाखों को  तोड़ने में भी सफलहोगा
और  खुद को  इस पिंजरे के बंधन से
आज़ाद  कर  खुली  हवा में साँसे भी 
ले  सकेगा

©Parasram Arora पिंजरे का पंछी.

ईन्द्रजीत कुमार यादव

पिंजरे का परिन्दा

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karthikey poems

पिंजरे का पंछी हूं ..

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पिंजरे का पंछी हूं
 उड़ने की तलाश में....
भूल जाऊं बीता सब कुछ
एक नए कल की आस में ...

आंखों में भय है ...
फिर भी उड़ना है आसमान
 चाहे आंधी हो या तूफान
अब करना है ! मुझे 
यह भवसागर पार.....

 था कोई मन  का ,
 अब सिर्फ यादें .....
पिंजरे का  पंछी हूं
 उड़ने की तलाश में... पिंजरे का पंछी हूं ..

अभिषेक सिंह

MK Zakhmi

कैद है पिंजरे में दिल का परिंदा....

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