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Gajendra Prasad Saini

कवि के भाव... #शायरी

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एक कवि के भाव को तुम कभी शोर मत समझना...
उजाला दोपहर का लिखता है उसे बोर मत समझना...
बस ये कुछ अल्फ़ाज़ अपने मन के लिखता है
किसी दूसरे के शब्दों का उसे चोर मत समझना... कवि के भाव...

SG

इशक के कवि #शायरी

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इश़क के कवि जीते जी,
 धीमे नशे से  मर रहे है,
ये सोचकर ही रोंगटे खड जाते है मेरे 
वो मरते मरते ऐसे कैसे जी रहे,

©❤SG❤ इशक के कवि

ज्योत प्रकाश शर्मा

#बिना रस के कवि

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मैं agree with you का नारा हूँ।
तुम अभी कट्टा की ही छाड़ा हो।
 तेरे साथ ही खड़ा रहा और तेरे साथ ही खड़ा रहूँगा।
चाहे इसका जितना महंगा भाड़ा हो। #बिना रस के कवि

ज्योत प्रकाश शर्मा

#बिना रस के कवि

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तुम मिनरल बोतल की वॉटर हो,
हम गंगा का रसधार प्रिय।
तुम पिज्जा बर्गर सी लगती हो,
हमे सतुआ से है प्यार प्रिय।। #बिना रस के कवि

ज्योत प्रकाश शर्मा

#बिना रस के कवि

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किसी के दिल में रहने की आदत छोड़ ये आशिक। 
तेरा अपना घर छोटा पड़ा है क्या? #बिना रस के कवि

ज्योत प्रकाश शर्मा

#बिना रस के कवि।

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न जमानत लेंगे न बेल माँगेगे।
मुझे बस अपनी बाँहो में गिरफ्तार कर लो न।
जिंदगी के अंतिम पड़ाव पे हूँ,
अब तो प्यार कर लो न।। #बिना रस के कवि।

Vishwajeet kumar

एक कवि के लिए...

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अफवाहों की आंधी बहती है
बहती रहे... 
कानो मे झूठी फुसफुसाहटें 
कहती रहे.... 
राष्ट्रनिर्माता, धरा की धूरि 
तुम हो... 
कलम तुम्हारी सत्य शाश्वत 
कहती रहे.... एक कवि के लिए...

ज्योत प्रकाश शर्मा

#बिना रस के कवि।

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जो मुझे मेरे हालत पे उसी तरह छोड़ दे,
दिखावे की दोस्ती क्यों न  उससे तोड़ लें?
उसे समझाने,मनाने पर क्यों अपना जोड़ दें?
जो मेरे और न देखें क्यों न उससे मुँह मोड़ लें? #बिना रस के कवि।

ज्योत प्रकाश शर्मा

#बिना रस के कवि

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तेरे दबे होठ मुस्कुराना।
इशारो में ही बहुत कुछ कह जाना।
तेरी हर वो बातें भाती है,
अब तो रात में नींद भी नही आती है।। #बिना रस के कवि

ज्योत प्रकाश शर्मा

#बिना रस के कवि।

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बरसात के दिनों में फुस की छत है टिपटिपाय।
फिर भी भगवान से मनाए की थोड़ा और बरसाए, थोड़ा और बरसाए।
क्योंकि सुख रहें हैं धान।
हाँ हूँ मैं किसान।। #बिना रस के कवि।
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