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Monu Matoriya
तिल मिलाना तो एक बहाना है । असलि खाज तो मुह ना लगाना है । Mr.MTR खाज. mr.Mtr
खाज. mr.Mtr
read moreMohd Hasnain
मोहब्बत और मौत की पसंद मे ज्यादा अंतर नहीं होता है एक को दिल चाहिए तो दूसरे को धड़कन... 👎👎👎नीचे वाली खाज को कभी हलके में ना ले 👎👎👎
👎👎👎नीचे वाली खाज को कभी हलके में ना ले 👎👎👎
read moreअल्पेश सोलकर
सरला पाऊस आता.. चाहूल हिवाळा,सुटली गुलाबी हवा सोबत तू असावी.. घट्ट मारलेल्या मिठीत शिरण्यास थंडीस ही जागा नसावी.. सरला पाऊस आता.. चाहूल हिवाळा,सुटली गुलाबी हवा सोबत तू असावी.. घट्ट मारलेल्या मिठीत शिरण्यास थंडीस ही जागा नसावी.. © अल्पेश सोलकर
सरला पाऊस आता.. चाहूल हिवाळा,सुटली गुलाबी हवा सोबत तू असावी.. घट्ट मारलेल्या मिठीत शिरण्यास थंडीस ही जागा नसावी.. © अल्पेश सोलकर
read moreSunil itawadiya
भगवान ना दिखाई देने वाले माता-पिता होते हैं, और माता-पिता दिखाई देने वाले भगवान होते हैं,, #cinemagraph बात अच्छी लगी हो तो दाद देना खाज मत देना दोस्तों 🤗🤗🤗👌🏼💐👍 राधे राधे जय श्री कृष्णा आप सभी यू आर क्यूट फैमिली को 💐👌🏼👍 बिल्कुल सह
#cinemagraph बात अच्छी लगी हो तो दाद देना खाज मत देना दोस्तों 🤗🤗🤗👌🏼💐👍 राधे राधे जय श्री कृष्णा आप सभी यू आर क्यूट फैमिली को 💐👌🏼👍 बिल्कुल सह
read moreSarita Prashant Gokhale
*विठूराया तुझी । सुंदर पंढरी ।* *आले वारकरी । दर्शनाला ।।१* *पायी चालताना। संपले अंतर।* *जन्म खरोखर । धन्य झाला।। २* *टाळ घेता हाती। सुटली आसक्ती।* *जडली विरक्ती। योग्य मार्गी ।।* ३ *झंकारूनी वीणा । छेडती कर्माला।* *पुसती जीवाला। पापपुण्य।।४* *माथ्यावर माझ्या। तुळस माऊली ।* *तुझीच साऊली । घरीदारी।। ५* *अहंभाव गळे। रिंगण करता।* *फुगडी धरता। जाती भेद।। ६* *स्मिता म्हणे आता । व्हावी गळाभेट ।* *अंतरास थेट। पांडूरंगा ।। ७* ©Smita Raju Dhonsale 🚩 *पंढरीची वारी*🚩 *विठूराया तुझी । सुंदर पंढरी ।* *आले वारकरी । दर्शनाला ।।१* *पायी चालताना। संपले अंतर।* *जन्म खरोखर । धन्य झाला।। २*
🚩 *पंढरीची वारी*🚩 *विठूराया तुझी । सुंदर पंढरी ।* *आले वारकरी । दर्शनाला ।।१* *पायी चालताना। संपले अंतर।* *जन्म खरोखर । धन्य झाला।। २* #मराठीकविता
read moreSarita Prashant Gokhale
वृत्त-- वंशमणी वृत्त ८ ८ ४ एकांताला एक सावली मुकली चौकटीतल्या मर्यादेतच फसली अंतरातली भेट अनोखी घडली एक छानशी जन्मखुण ती ठरली श्वास गुंफले तिच्यामध्ये मी माझे गझल पाकळी प्राणावरती फुलली जीर्ण घराच्या सुकल्या होत्या भिंती खांब सरकता नाती उघडी पडली धडपडतांना सावरले पण पडले जखम पुन्हा ती कधीच नाही भरली स्वार्थासाठी इमान नाही विकले समाधानात ओंजळ माझी भरली संकटातही भरकटले ना कोठे वादळास ती सांगत होती सुटली ©Smita Raju Dhonsale वृत्त-- वंशमणी वृत्त ८ ८ ४ एकांताला एक सावली मुकली चौकटीतल्या मर्यादेतच फसली अंतरातली भेट अनोखी घडली एक छानशी जन्मखुण ती ठरली
वृत्त-- वंशमणी वृत्त ८ ८ ४ एकांताला एक सावली मुकली चौकटीतल्या मर्यादेतच फसली अंतरातली भेट अनोखी घडली एक छानशी जन्मखुण ती ठरली #brokenwindow #मराठीशायरी
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
अच्छी अब लगती नहीं , स्थिति गाँव की आज । घर-घर की यह बात है , यहाँ नहीं है काज ।। १ लोग पलायन कर रहे , गाँव छोड़कर आज । जैसे दाने के लिए , उड़े नील तक बाज ।। २ मातृ-भूमि जननी कहे , सुनों कष्ट के योग । भूल किए जो गाँव को , छोड़ गये तुम लोग ।। ३ खुश्बू जितनी हींग की , भोजन को महकाय । व्यथा तुम्हारी भी सुनो , संग-संग ही जाय ।। ४ सुनो सामर्थ्य भर करो , जीवन में हर काज । वर्ना इच्छाए सखे , करती रहती खाज ।। ५ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अच्छी अब लगती नहीं , स्थिति गाँव की आज । घर-घर की यह बात है , यहाँ नहीं है काज ।। १ लोग पलायन कर रहे , गाँव छोड़कर आज । जैसे दा
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
पुन: कष्ट फिर दे रहा , बालक यह नादान । क्षमा करें गुरुवर इसे , तुम हो कृपानिधान ।।१ अच्छे अब दिखते नहीं , सुनो गाँव के हाल । घर-घर की यह बात है , सुन लो बाबू लाल ।। २ लोग पलायन कर रहे , गाँव छोड़कर आज । जैसे दाने के लिए , उड़े नील तक बाज ।। ३ मातृ-भूमि जननी कहे , सुनो कष्ट के योग । भूल हुई जो गाँव को , छोड़ गये तुम लोग ।। ४ खुश्बू जैसे हींग की , करती है मनुहार । व्यथा हमारी भी सुनो , करती सदा पुकार ।। ५ करो सदा सामर्थ्य भर , जीवन में हर काज । वर्ना इच्छाएँ सखे , करती रहतीं खाज ।। ६ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR पुन: कष्ट फिर दे रहा , बालक यह नादान । क्षमा करें गुरुवर इसे , तुम हो कृपानिधान ।।१ अच्छे अब दिखते नहीं , सुनो गाँव के हाल । घर