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Best कोराकाग़ज़  Shayari, Status, Quotes, Stories

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कैद में पंछी 
पंछियों को पालने का शौक तो हर कोई 
रखता है,
उनका दाने पानी का ध्यान तो हर क्षण 
का रखता है,

फिर उनको कैद करके रखने का हौसला 
कैसे कर लेता है ?

जब मन में उनके प्रति इतना दया भाव
रखता है,

तो उनको आजाद करने का मन बड़ा 
क्यों नहीं रखता ?

शौक हैं ये अमीरों के कैद में रखने के 
वरना गरीब इन पंछियों को आजाद ही 
रखता है,

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आप सभी को और आपके परिवार को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाये, ईश्वर की कृपा आप सभी पर हमेशा बनी रहे खुश रहिये सलामत रहिये स्वस्थ रहिये जय श्री राम 🚩🙏 #कोराकाग़ज़जिजीविषा #विशेषप्रतियोगिता #subscribersofकोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ कोराकाग़ज़ #tarunasharma0004 #विजयादशमी #दशहरा

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न बुरा करना न अपमान करना न देना असत्य का साथ कभी,
सत्य का मार्ग है बड़ा ही सर्वश्रेष्ठ न करना गुणों पर अपने अहंकार कभी,
यही सीख हर इंसान को अपनानी राम नाम की ज्योत अपने है मन में जगानी, 
 आप सभी को और आपके परिवार को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाये, ईश्वर की कृपा आप सभी पर हमेशा बनी रहे खुश रहिये सलामत रहिये स्वस्थ रहिये जय श्री राम 🚩🙏

#कोराकाग़ज़जिजीविषा #विशेषप्रतियोगिता #subscribersofकोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #tarunasharma0004 #विजयादशमी #दशहरा

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टूटे दिल का खिलौना
नाता ख़्वाब का न जोड़कर देखना हकीक़त से कभी
खिलौना ग़र टूट जाये तो मोल खरीद लिया है जाये,
दिल ग़र टूट जाये तो मोल न खरीद पाया जाये,
रोकर जिद्द नये खिलौने की बचपन में कर ली जाती थी,
अब टूटे दिल का खिलौना तो जिद्द करनी भी रास न आये, #कोराकाग़ज़जिजीविषा #विशेषप्रतियोगिता #subscribersofकोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #tarunasharma0004

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देख लेना पढ़कर कभी पुरातन मन की पुस्तक को भी नव मन की पुस्तकालय में तन्हा सी वो पुस्तक लगती है, बुज़ुर्ग हमारा मार्गदर्शक इनके बिन जीवन अधूरा वो हमारा कल थे तो हम उनका आज हैं सम्मान करना उनका हम बच्चों का प्रथम कर्तव्य है, सिर्फ एक दिन का नहीं ये सम्मान जन्म जन्मांतर का सम्मान करने का प्रण तुम भी आज ले लेना, देकर खुशी उनकी चेहरो पर उनका एक नया सवेरा बना #collabwithकोराकाग़ज़ #tarunasharma0004 #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़  #कोराकाग़ज़जिजीविषा #subscribersofकोराकाग़ज़ #अतंरराष्ट्रीयबुज़ुर्गदिवस

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नव-पुरातन मन 
****************
नव अंकुरित युवा जीवन शैली भूला है,देती
पुरातन अंकुरित वृद्ध जीवन शैली को, 
देख न पाते न समझ पाते नीरवता से
परिपूर्ण उन निस्वार्थ मन की दुविधा को,
ढ़लती साँझ की भाँति एक मन की पुस्तक 
कहीं न कहीं मायूस सी लगती है,
रिश्तों रूपी पुस्तकालय में तन्हा सी पुरातन 
पुस्तक सी लगती है,
नव पुस्तक के निष्ठुर मन से आस कितनी 
लगती है,मन की पुस्तकालय में पुरातन 
मन अपवाद को घुटिकता में परिवर्तित 
कर लेती है,शब्दों से न हो प्रस्तुत स्वंय 
को मौनता में विलुप्त कर लेते हैं,
भावों को अपने नव-मन के संग साझा जो
करना चाहते हैं,विचारों की तारतम्य की 
सटीकता न लाने में असमर्थ वो हो जाते हैं ,
नव मन की जीवन की शैली की संस्कृति से 
पुरातन मन की जीवन शैली की संस्कृति 
प्राय पराजित हो जाती है, देख लेना पढ़कर कभी पुरातन मन की पुस्तक को भी
नव मन की पुस्तकालय में तन्हा सी वो पुस्तक लगती है,
बुज़ुर्ग हमारा मार्गदर्शक इनके बिन जीवन अधूरा 
वो हमारा कल थे तो हम उनका आज हैं 
सम्मान करना उनका हम बच्चों का प्रथम कर्तव्य है,
सिर्फ एक दिन का नहीं ये सम्मान जन्म जन्मांतर का
सम्मान करने का प्रण तुम भी आज ले लेना,
देकर खुशी उनकी चेहरो पर उनका एक नया सवेरा बना

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पहली रचना कविता ************** मौसमी मानव चरित्र ************* #KKPC27 #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़प्रीमियम #प्रीमियमकविता #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ कोराकाग़ज़  #tarunasharma0004

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मौसमी मानव चरित्र 
मौसमी सा हर रंग में ढ़लता ये मानव का चरित्र, 
कभी स्वार्थी तो कभी निस्वार्थी युगों युगों से 
अपना दस्तूर निभाता ये मानव का चरित्र, 
कभी लाभ कभी हानि,कभी खुशी हो कभी
दुख हर तजुर्बे से गुजरवाता ये मानव का चरित्र,
कभी पत्थर सा तो कभी कोहिनूर सा तराशता 
मन ये मानव का चरित्र, 
हर रिश्ते के किरदार में ढ़लता अपनत्व का परिवार 
बनाता ये मानव का चरित्र, 
कभी सम्मान तो कभी अपमान से सामना कराता
ये मानव का चरित्र, 
कभी समझदार तो कभी अल्हड़पन दिखलाता 
ये मानव का चरित्र, 
कभी संस्कारी तो कभी असंस्कारी का समावेश 
प्रदर्शित है कराता ये मानव का चरित्र,  पहली रचना कविता 
**************
मौसमी मानव चरित्र 
*************
#KKPC27 #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़प्रीमियम #प्रीमियमकविता #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़  
#tarunasharma0004

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तरुणाई सी कश्ती मिरी
वो बचपन की कश्ती हक़ अपना अदा कर चली,
अब तरुणाई की कश्ती हक़ अपना अदा कर रही, 

कैसे संभाले हाल ए कश्ती अपनी, समंदर गहरा
लहरों का शोर दिल की कशमकश डूबा न दे कहीं 

लगा बहुत मेला इंसानों का ज़िन्दगी में मिरी,
मगर अंजान हुई शख़्सियत मिरी मुझसे ही, 

ये तरुणाई हुई कश्ती तरूणा की बड़ी गज़ब 
की लगी,न पूँछो कितने हादसों से गुजरी मिरी 
जज़्बातों की कश्ती, 

कैसे कह दूँ किनारा है दूर लहरों से मिरी 
कश्ती का कैसे बेख़ुदी का इल्ज़ाम मैं दे दूँ, 

बहकाव के बहाव में आ न जाये तिरी 
तरुणाई की कश्ती सुन शायरा तरूणा, 

रख संभाल कर नजरों से ज़माने की बुरी 
नज़र से कहीं तिरी मासूम कश्ती डूब न जाये,
 दूसरा चरण "प्रतिरूप-ग़ज़ल
तरुणाई सी कश्ती मिरी
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जाते साल का अंतिम माह चलो जो रूठे है उनको मना लें जो परायेपन के शिकवे हुए उनको भुला दें चार दिन का जीवन है क्या रूठना कैसी नफ़रत दुनिया एक मेला है,सब मिलकर रहें खुश रहे, माँग कर माफी और करके उन लोगो को माफ जो हमसे नफ़रत हैं करते, चलो भुलाकर गिले शिकवे सबका नववर्ष के आगमन का अभिवादन करें, जाते साल को सलाम आते साल को सलाम छोटा सा #hindipoetry #trendingquotes #collabwithकोराकाग़ज़ #tarunasharma0004 #विशेषप्रतियोगिता #KKकविसम्मेलन #KKकविसम्मेलन2 #कोराकाग़ज़ 

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अंतिम माह का माफ़ीनामा 
अच्छे-बुरे लम्हों की उज्जवलता में विलुप्त 
होकर साल ये पुराना जाने को है,
कुछ अच्छे कुछ बुरे सबक की याद बनकर 
संग हमारे रहने को हैं,कुछ हुई नादानियां
हमसे कुछ समझदार हुए,कुछ अपनों ने 
हमसे किया किनारा कुछ अपने मन की 
गहराई से संग हमारा निभा गये,कुछ मिली 
हमें कामयाबी तो कुछ नाकामी से रूबरू हो
गए,कुछ पुरानी ख़्वाहिश फ़ना होने को है कुछ 
नई ख़्वाहिश फ़िर जगने को है,कुछ हुई ग़र
अपनों के संग गलती हमसे तो जाते साल में 
माफ़ीनामा हमारा आप सभी स्वीकार करें,
जाते साल की यादों को अलविदा कहकर,
नये साल के लम्हों का खुशी से आगमन
की तैयारी करें,

Taruna sharma 


 जाते साल का अंतिम माह चलो जो रूठे है उनको मना लें
जो परायेपन के शिकवे हुए उनको भुला दें
चार दिन का जीवन है क्या रूठना कैसी नफ़रत दुनिया एक
मेला है,सब मिलकर रहें खुश रहे, माँग कर माफी और करके
उन लोगो को माफ जो हमसे नफ़रत हैं करते,
चलो भुलाकर गिले शिकवे सबका नववर्ष के आगमन का
अभिवादन करें,
जाते साल को सलाम आते साल को सलाम छोटा सा

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करके ऊर्जा संरक्षण जीवन और धरती को खुशहाल बनाओ, चौथी रचना- राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस #tarunasharma0004 #trendingquotes #hindipoetry #collabwithकोराकाग़ज़ #KKकविसम्मेलन #KKकविसम्मेलन2 #विशेषप्रतियोगिता कोराकाग़ज़ 

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ऊर्जा संरक्षण दिवस 
वायु और खनिज पदार्थों से विद्युत भरपूर 
मात्रा में बनाते हैं,और विद्युतयंत्रो का उपयोग
करके घर आँगन अपना हम उजाले से भर
 लेते हैं,डीजल पेट्रोल के सहयोग से छोटे 
वाहनों से लेकर बड़े वाहनों का मेला सा 
अक्सर सड़कों पर सरपट दौड़ते नजर आते
 हैं,अणु-परमाणु से भी विद्युतधारा उत्पन्न 
करना होता कितना हानिकारक दुनिया ये 
अच्छे से है पहचानें,छोटे बड़े कारोबार में
विद्युत है सबको लगती जरूरी,विद्युतीकरण
 में कमी हो तो रूक जाये दुनिया सारी, 
विद्युत से संबंधित सभी उपकरण अधिक 
विद्युत खाते हैं,विद्युतधारा पर कर लो समय
रहते नियंत्रण जेब पर पड़े है बोझ भारी एक 
सुझाव है सबको है बतलाते सूर्य वायु भी
विद्युत है बनाते, होती नहीं प्रदूषित धरती 
हरी भरी होती है धरती,कभी कुछ न हानि 
होती सोर-ऊर्जा के सहयोग से वायु सूर्य से
विद्युत खूब बनाओ,ये लाभदायक 
विद्युतीकरण तुम सब भी अपनाओ, करके ऊर्जा संरक्षण जीवन और धरती को खुशहाल बनाओ,
चौथी रचना- राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस 
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इसी कशमकश में हर लम्हा जीती है वो एक स्त्री है सबकी ख़्वाहिशों को अपनी ख़्वाहिशों में ढ़ालकर सभी को ख़ुश रखने की कोशिश करती है, फिर भी दुनिया उसको नहीं समझती है, ************************* तीसरी रचना- बोझिल सी ख़्वाहिशें #tarunasharma0004 #trendingquotes #hindipoetry #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #KKकविसम्मेलन #KKकविसम्मेलन2 #कोराकाग़ज़ 

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बोझिल सी ख़्वाहिशें
जीती है स्त्री जीवन अपना बोझिल सी ख़्वाहिशों
को मन में लिए,कभी मायके की ख़्वाहिशें 
तो कभी ससुराल की ख़्वाहिशें, करती है 
सबकी हर ख़्वाहिश को पूरी अपनी ख़्वाहिशों 
की कुर्बानी देकर,मायके में जन्म से लेकर 
युवावस्था तक माँ पापा की ख़्वाहिशों तले 
रहती,चाहती क्या है वो न चाहकर भी
बता न पाती,आधा सफ़र जीवन का माँ 
पापा के उपनाम के साथ है जीती,सर्वगुण-
सम्पन्नता का सम्मान लेकर ससुराल की
 दहलीज़ पर अपने हमसफ़र के उपनाम 
के साथ कदम है रखती,उसके मन की बची
ख़्वाहिश वो वहाँ दम है 
तोड़ देती,ससुराल की ख़्वाहिशों में खुद
को ढ़ाल अपनी ख़्वाहिशों के अस्तित्व
को जानें कहाँ है वो खो देती, इसी कशमकश में हर लम्हा जीती है वो एक स्त्री है 
सबकी ख़्वाहिशों को अपनी ख़्वाहिशों में ढ़ालकर 
सभी को ख़ुश रखने की कोशिश करती है,
फिर भी दुनिया उसको नहीं समझती है,
*************************
तीसरी रचना- बोझिल सी ख़्वाहिशें 
#tarunasharma0004
#trendingquotes

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बहुत शोर होता है मन में मगर सुनने वाला कोई नहीं तन्हा सफ़र के मुसाफ़िर है बस खुद के संग ही चलते जाना है, दूसरी रचना-दिल का शोर ************************** #tarunasharma0004 #trendingquotes #hindipoetry #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #KKकविसम्मेलन #KKकविसम्मेलन2 #कोराकाग़ज़ 

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दिल का शोर
इतना भी न कर शोर ऐ दिल इतना कि 
तेरी चीख यहाँ कोई न सुनने वाला, 

अक्सर ये दुनिया गूंगी बहरी हो जाती है
तब जब हमें किसी अपने की जरूरत हो, 
अक्सर देखा है हमने सबसे पहले जब 
हम अपनों से उम्मीद रखते है, 

तो वही अपने ना उम्मीद करके नसीब 
के सहारे हमें बीच मझधार में छोड़कर 
चले जाते है, 

ऐ दिल चल सीख लें हम दोनों अकेले 
रहना कोई रहनुमा नहीं अपना यहाँ जो 
हमारे जज़्बातों को समझ सके, 

खो गये सब ज़माने की भीड़ में इतना
कि अब हम ख़ुद गुमनामी के साये
तले खोने को मजबूर हो गये,

 बहुत शोर होता है मन में मगर सुनने वाला कोई नहीं
तन्हा सफ़र के मुसाफ़िर है बस खुद के संग ही 
चलते जाना है,
दूसरी रचना-दिल का शोर
**************************
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